• हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित सबसे बड़ा और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कराची से लगभग 250 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, मकरान के पहाड़ी क्षेत्र में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और हिंदू भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है।

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    हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित सबसे बड़ा और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कराची से लगभग 250 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, मकरान के पहाड़ी क्षेत्र में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और हिंदू भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है।

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    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हिंगलाज माता मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह वह स्थान माना जाता है जहां देवी सती का सिर गिरा था। इस कारण यह स्थान शक्ति साधना और भक्ति का केंद्र है। यहां हर साल हिंगलाज यात्रा नाम का एक बड़ा धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

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    हिंगलाज माता मंदिर का उल्लेख विभिन्न हिंदू ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि यह मंदिर हजारों वर्षों से अस्तित्व में है और पहले यह केवल तपस्वियों और साधुओं के लिए ही प्रसिद्ध था। धीरे-धीरे यह स्थान एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया। यह मंदिर विशेष रूप से नाथ संप्रदाय और वैष्णव भक्तों के लिए पूजनीय है।

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    मंदिर एक प्राकृतिक गुफा के भीतर स्थित है। यहां कोई भव्य इमारत नहीं है, बल्कि गुफा के अंदर ही देवी की पिंडी (प्रतिमा) स्थापित है। मंदिर के चारों ओर का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। पहाड़ों और रेगिस्तानी इलाके से घिरे इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन यात्रा करनी पड़ती है।

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    हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु पहले कराची आते हैं और वहां से बस या निजी वाहन द्वारा मंदिर स्थल तक जाते हैं। कुछ भक्त पैदल यात्रा भी करते हैं, जिसे “हिंगलाज यात्रा” कहा जाता है। यह यात्रा काफी कठिन होती है, लेकिन भक्त इसे माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से पूरी करते हैं।

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    हिंगलाज माता मंदिर ना केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे विश्व के हिंदुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं और अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।





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