
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
चंडीगढ़ः हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश में वक्फ बोर्ड को जितनी जमीन ट्रांसफर की गई हैं, सबकी जांच होगी। सीएम सैनी ने कहा कि हमने वक्फ बोर्ड की जमीनों की जांच करने के लिए एक कमेटी का कठिन कर दिया है। रोहतक डिवीजन के कमिश्नर, करनाल डिविजन के कमिश्नर और रोहतक के डीसी इस कमेटी के सदस्य हैं।
सीएम सैनी ने दी ये जानकारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से यह बात उठाई गई थी कि रोहतक में तालाब था। हमारे पास जो तथ्य आए हैं, उसके मुताबिक यह वक्फ बोर्ड की लैंड है और फर्द में कहीं यह नहीं लिखा कि यहां पर तालाब है। लेकिन जब बार-बार इस मामले को उठाया गया तो हमने गंभीरता से इसकी जांच की। 1967 से पहले यह जमीन शामलात देह थी वहां पर कोई वक्फ बोर्ड की जमीन नहीं थी। 1990 में उस जमीन को वक्फ बोर्ड के नाम से ट्रांसफर कर दिया गया। बता दें कि शामलात देह जमीन गांव की आम जमीन होती है, जिसे कई ज़मीनधारियों द्वारा मिलकर बनाया जाता है।
सीएम ने विपक्ष पर साधा निशाना
सीएम ने कहा कि उस समय की सरकार ने जमीन ट्रांसफर किया। इनका तो उस वक्त एक छात्र राज चल रहा था। यह बहुत गंभीर मामला है। इस जमीन को वक्फ बोर्ड को दे दिया गया है। ऐसी और भी जमीन होगी जो वक्फ बोर्ड को दी गई होगी। पूरे प्रदेश में कमेटी ऐसी जमीनों की जांच करेगी। बहुत जल्द इसकी जांच पूरी कराई जाएगी। अन्य कोई भी जमीन जो वक्फ बोर्ड के नाम की गई है वह क्यों की गई, किसने की है उसकी भी जांच होगी। यह बहुत संगीन और गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच कर कर उस जमीन को वापस शामलात में ले जाने का काम करेंगे।
क्या कहना है कांग्रेस का
सदन में कांग्रेस ने इसका मुद्दा उठाते कहा कि यह तालाब काफ़ी पुराना है। तालाब करीब 120 साल पहले बनाया गया था, जिसे आसपास के ग्रामीणों ने अंग्रेजों के समय जब अकाल पड़ा, तब अनाज के बदले श्रमदान करके बनाया था। आज यह तालाब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। भू-माफिया तालाब में मिट्टी डालकर इसे भर रहे हैं, ताकि प्लाट काटे जा सके, जोकि गलत है।
वक्फ बोर्ड को 1991 में दी थी जमीन
विधायक भारत भूषण बत्रा ने बताया कि पीर बोधी की मजार होने के कारण कांग्रेस के समय 1991 में यह जमीन वक्फ बोर्ड को दी गई थी। वक्फ बोर्ड ने यह जमीन लीज पर दी थी, जिसके बाद भू-माफिया ने इस जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया। यह जमीन करीब 32.5 एकड़ थी, जिसमें से 12 एकड़ पर तालाब और बाकी पर कृषि होती थी। लेकिन भू-माफिया व वक्फ बोर्ड की मिलीभगत के कारण अब यहां मात्र तीन से चार एकड़ जमीन ही रह गई है और अब भी तालाब में मिट्टी डालकर भरने का प्रयास किया जा रहा है।