
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।
वाशिंगटन: निर्वासन में तेजी लाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 18वीं सदी के एक कानून का इस्तेमाल किए जाने की घोषणा की, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद एक संघीय अदालत के न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को इसे लागू करने से रोक दिया। दरअसल ट्रंप प्रशासन ने इस कानून का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि वेनेजुएला का एक गिरोह अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है और प्रशासन के पास उसके सदस्यों को देश से बाहर निकालने के लिए नयी शक्तियां हैं।
कोलंबिया जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेम्स ई बोसबर्ग ने कहा कि उन्हें अपना आदेश तत्काल जारी करने की आवश्यकता है क्योंकि सरकार प्रवासियों को पहले से ही एल साल्वाडोर और होंडुरास भेज रही है। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि ट्रंप की घोषणा के तहत इन प्रवासियों को नए सिरे से निर्वासित किया जा सकता है और उन्हें एल साल्वाडोर तथा होंडुरास में कैद किया जाएगा। अल साल्वाडोर ने इस सप्ताह 300 ऐसे प्रवासियों को स्वीकार करने पर सहमति दे दी जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने गिरोह का सदस्य घोषित किया है।
1798 में बना था कानून
बोसबर्ग ने एसीएलयू और ‘डेमोक्रेसी फॉरवर्ड’ द्वारा दायर मामले की शनिवार शाम सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मैं अब और इंतजार कर सकता हूं और मुझे कार्रवाई करनी होगी।’’ इस फैसले से कुछ ही घंटे पहले ट्रंप ने 1798 के ‘एलियन एनीमीज एक्स’ (विदेशी शत्रु अधिनियम) को लागू करते हुए दावा किया कि वेनेजुएला का गिरोह ‘ट्रेन डी अरागुआ’ अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है। यह अधिनियम राष्ट्रपति को निर्वासन में बड़े पैमाने पर तेजी लाने के लिए नीतिगत और कार्यकारी कार्रवाई के संबंध में व्यापक छूट देता है।
अमेरिकी इतिहास में इस अधिनियम का इस्तेमाल अब तक केवल तीन बार हुआ है और वह भी केवल युद्ध के दौरान किया गया है। इससे पहले इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था। उस समय जर्मन और इतालवी लोगों को कैद करने के साथ-साथ जापानी-अमेरिकी नागरिकों को सामूहिक रूप से नजरबंद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था। (एपी)
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