म्यांमार और थाईलैंड...
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म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है।

म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है और जान-माल का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। भारत के भी अलग-अलग इलाकों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं, जिससे आपदा से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जरूरत का पता चलता है। भूकंप तब आते हैं जब पृथ्वी की पपड़ी (क्रस्ट) में तनाव बढ़ता है। पपड़ी बड़ी प्लेटों से बनी होती है जो धीरे-धीरे हिलती है और ये हलचल भूकंप का कारण बनती है। जब भूकंप आबादी वाले इलाके में आता है, तो इससे काफी नुकसान हो सकता है।

चिंता की बात यह है कि भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप के प्रति संवेदनशील है इसलिए इस मुद्दे पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। बता दें कि भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भूकंप के जोखिम के आधार पर देश को 4 भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। जोन V सबसे अधिक सक्रिय है, जिसमें हिमालय जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जबकि जोन II सबसे कम प्रभावित है। पिछले कुछ सालों में भारत ने कई विनाशकारी भूकंपों का अनुभव किया है।

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भारत को भूकंप के खतरों के हिसाब से 4 जोन में बांटा गया है।

भारत में आए कुछ विनाशकारी भूकंप

भारत के इतिहास में 1905 का कांगड़ा और 2001 का भुज भूकंप सबसे भयानक भूकंपों में गिने जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में 1905 में आए कांगड़ा भूकंप की तीव्रता 8.0 थी, जिसमें 19,800 लोग मारे गए थे। वहीं, 2001 में गुजरात के भुज में 7.9 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने 12,932 लोगों की जान ली और 890 गांवों को तबाह कर दिया। इसके अलावा, 2005 में कश्मीर में 7.6 तीव्रता का एक विनाशकारी भूकंप आया, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। महाराष्ट्र में भी 1993 में लातूर में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने 9 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली।

हाल ही में, 17 फरवरी 2025 को दिल्ली में 4.0 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। नवंबर 2024 से फरवरी 2025 तक भारत में 159 भूकंप दर्ज हुए, जिससे भविष्य की तैयारियों को लेकर चिंता बढ़ गई है।

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गुजरात के भुज में आए भूकंप में हजारों जानें गई थीं।

भूकंप सुरक्षा के लिए सरकारी पहल

भूकंप सुरक्षा को बढ़ाने के लिए, सरकार ने कई पहल शुरू की हैं:

  1. भूकंपीय वेधशालाओं की बढ़ोतरी: 2014 में भारत में भूकंप मापने वाली 80 वेधशालाएं थीं, जो फरवरी 2025 तक बढ़कर 168 हो गईं।  
  2. खास टीवी कार्यक्रम: NDMA ने मार्च 2025 में दूरदर्शन टीवी पर “आपदा का सामना” नाम से भूकंप पर चर्चा का कार्यक्रम दिखाया।  
  3. 10 सूत्री योजना: 2016 में PM नरेंद्र मोदी ने आपदा से बचाव के लिए 10 बिंदुओं का प्लान बनाया, जो 2047 तक आपदा-रोधी भारत के लक्ष्य से जुड़ा है।  
  4. इमारतों को मजबूत करना: भारत का 59% हिस्सा भूकंप के खतरे में है, इसलिए बिल्डिंग कोड को सख्ती से लागू किया जा रहा है।  
  5. हिमालय में तैयारी: हिमालयी इलाके में भूकंप की चेतावनी सिस्टम और आपदा से निपटने का मजबूत प्लान तैयार किया गया है।  
  6. सुरक्षा नियम आसान बनाए: 2021 में बिल्डिंग कोड के तहत भूकंप से बचाव के नियमों को सरल करके इमारतों की सुरक्षा बढ़ाई गई।  
  7. बीमा और जोखिम की व्यवस्था: भूकंप से हुए नुकसान का हिसाब लगाने और प्रभावित इमारतों के लिए बीमा का सिस्टम बनाया गया है।  
  8. भूकैम्प ऐप: सरकार का “भूकैम्प” ऐप, जो राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बनाया, असली समय में भूकंप की जानकारी देता है।

इन प्रयासों के अलावा, भारत सरकार प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित देशों को सक्रिय रूप से मानवीय सहायता और आपदा राहत (HDR) सहायता प्रदान कर रही है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को कायम रखते हुए, भारत ने फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद NDRF की टीमों, चिकित्साकर्मियों की तैनाती और आवश्यक राहत आपूर्तियां सुनिश्चित करके तुर्की और सीरिया को सहायता प्रदान की।

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भूकंप से बचाव के लिए सरकार ने काफी तैयारियां की हैं।

भूकंप की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए प्रमुख सरकारी एजेंसियां

भारत में भूकंप के जोखिम को कम करने और प्रतिक्रिया में कई प्रमुख एजेंसियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये संगठन भूकंपीय गतिविधि की निगरानी करने, आपदा प्रबंधन नीतियां विकसित करने और आपात स्थितियों के दौरान प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल यानी कि NDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं पर विशेष प्रतिक्रिया देना है। NDRF की स्थापना सबसे पहले 2006 में 8 बटालियनों के साथ की गई थी। आज, इसमें 16 बटालियनें हैं, जिनमें से प्रत्येक में 1,149 कर्मी हैं।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र: भारत में भूकंप की निगरानी की शुरुआत 1898 में अलीपुर (कलकत्ता) में पहली भूकंपीय वेधशाला की स्थापना के साथ हुई थी। आज, राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क पूरे देश में भूकंप की गतिविधियों पर नजर रखता है। इकट्ठा किए गए डेटा को उन्नत तकनीक का उपयोग करके राष्ट्रीय और राज्य प्राधिकरणों के साथ साझा किया जाता है। यह प्रणाली भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने पर शोध भी करती है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: आपदा प्रबंधन अधिनियम 23 दिसंबर 2005 को पारित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी कि NDMA का गठन हुआ, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। प्रत्येक राज्य का अपना राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी कि SDMA भी होता है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री करते हैं। जहां NDMA आपदा प्रबंधन नीतियों को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार है, वहीं SDMA भूकंप सहित आपदा योजनाओं को बनाने और लागू करने के प्रभारी हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान: इसकी शुरुआत 1995 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र यानी कि NCDM के रूप में हुई थी। 2005 में, प्रशिक्षण और कौशल निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान या NIDM कर दिया गया। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत NIDM मानव संसाधन विकसित करने, प्रशिक्षण प्रदान करने, अनुसंधान करने और आपदा प्रबंधन से संबंधित नीतियों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।

भूकंप से सुरक्षा के प्रमुख उपाय और शोध पहल

भूकंप से बचाव के लिए भारत में कई कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे सुरक्षा के नियम बनाना, पहले से चेतावनी देने वाला सिस्टम लगाना और खतरों का हिसाब लगाना। ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि लोगों को सुरक्षा की जानकारी मिले, जोखिमों पर नजर रखी जा सके और भविष्य के भूकंपों के लिए पहले से तैयारी हो सके।

भूकंप सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश: गृह स्वामियों की मार्गदर्शिका (2019) गृहस्वामियों को सुरक्षित और आपदा-रोधी घर बनाने में मदद करती है जो सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं। सरलीकृत दिशा-निर्देश (2021) नए घर बनाने वालों या बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट खरीदने वालों के लिए भूकंप सुरक्षा युक्तियां प्रदान करते हैं।

भूकंप पूर्व चेतावनी (EEW): हिमालयी क्षेत्र में एक पूर्व चेतावनी प्रणाली पर शोध चल रहा है। NCS पूरे भारत में कुछ निश्चित तीव्रता के भूकंपों को रिकॉर्ड करता है और डेटा को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से साझा करता है।

भूकंप जोखिम इंडेक्सिंग (EDRI): NDMA की EDRI परियोजना भारत के शहरों में भूकंप के खतरों का पता लगाती है। यह जोखिम, कमजोरियों और खतरों का हिसाब लगाकर बचाव के तरीके सुझाती है। इसमें पहले चरण में 50 शहरों को लिया गया, और दूसरे चरण में 16 और शहरों को जोड़ा गया।

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भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?

भारत भूकंप से बचाव के लिए कई कदम उठा रहा है। सरकार नीतियां बना रही है, सुरक्षा दिशानिर्देश तैयार कर रही है और लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रही है। इसका उद्देश्य है कि लोग भूकंप के दौरान सुरक्षित रहें और नुकसान कम हो। भविष्य में भूकंप से बचाव के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। नागरिकों को भी भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए, इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए और सुरक्षा के उपायों का पालन करना चाहिए। जब ​​लोग तैयार और जागरूक होते हैं, तो इससे नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है और जान बचाने में मदद मिल सकती है। (PIB इनपुट्स के साथ)





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