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भारत का पहला डाकघर

India Post History: केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले भारतीय डाक यानी इंडिया पोस्ट के लिए आज का दिन काफी अहम है। 31 मार्च की तारीख सिर्फ भारतीय डाक के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के लिए भी काफी मायने रखता है। दरअसल, 251 साल पहले आज ही के दिन देश के पहले डाकघर (GPO) की स्थापना हुई थी। देश का पहला पोस्ट ऑफिस 31 मार्च, 1774 को कलकत्ता (कोलकाता) में खुला था। देश का दूसरा पोस्ट ऑफिस 1 जून, 1786 को मद्रास (चेन्नई) में और फिर 1794 को बॉम्बे (मुंबई) में खुला था। भारत में डाक सेवाएं शुरू करने के लिए 1766 में ही तैयारी शुरू हो गई थी, जब रॉबर्ट क्लाइव ने एक नियमित डाक प्रणाली स्थापित की थी। जिसके बाद वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1774 में डाकघर की स्थापना की थी। बताते चलें कि वॉरेन हेस्टिंग्स, बंगाल प्रेसिडेंसी के पहले गवर्नर जनरल थे, जिन्होंने 1772 से लेकर 1785 तक इस ऊंचे पद पर काम किया।

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1672 में हुई थी मैसूर आंचे की स्थापना

1672 में हुई थी मैसूर आंचे की स्थापना

भारतीय डाक के मुताबिक, 1296 में अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में दो तरह से डाक सेवाएं दी जाती थीं। उस समय एक व्यक्ति के संदेश को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए या तो घोड़ों का इस्तेमाल होता था या फिर लोग पैदल ही जाकर संदेश पहुंचाते थे। शेरशाह ने 1541 में बंगाल और सिंध के बीच 2000 मील लंबे स्ट्रेच पर घोड़ा डाक की शुरुआत की। जिसके बाद मैसूर साम्राज्य के 14वें सम्राट, महाराजा चिक्का देवराज वोडेयार ने डाक सेवाओं के लिए 1672 में मैसूर आंचे (Mysore Anche) की स्थापना की। महाराजा चिक्का देवराज वोडेयार को भारत में डाक सेवाओं की नींव के तौर पर देखा जा सकता है, क्योंकि अंग्रेजों ने उसी व्यवस्था को अपग्रेड कर व्यवस्थित भारतीय डाक की शुरुआत की थी।

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1880 में रेलवे द्वारा डाक सेवाएं शुरू हुईं

साल 1879 में आया था पोस्ट कार्ड 

साल 1974 में देश के पहले डाकघर की स्थापना के बाद, साल 1850 में पोस्ट ऑफिस कमीशन नियुक्त किया गया। फिर साल 1854 में डाकघर अधिनियम XVII लाया गया। देश में 1873 में पहली बार उभरे हुए डाक लिफाफों की बिक्री शुरू हुई और इसके 3 साल बाद ही यानी 1876 में हमारा देश यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के साथ जुड़ गया। साल 1879 में पोस्ट कार्ड की शुरुआत हुई और 1880 में रेलवे द्वारा डाक सेवाएं शुरू हुईं और इसी साल ही मनी ऑर्डर भी आ गया था। आज आप जिस पोस्ट ऑफिस में बैंकिंग सेवाओं को लाभ उठा रहे हैं, उस बैंकिंग सेवाओं की शुरुआत 1882 में हुई थी। साल 1882 में भारतीय डाक ने बचत खाते खोलना शुरू किया था।

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1947 में जारी किए गए थे आजादी के डाक टिकट

1 अगस्त, 1986 को लॉन्च हुआ स्पीड पोस्ट 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय डाक ने जहां से अपना सफर शुरू किया था और आज जिस मुकाम पर पहुंच चुका है, इसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी। साल 1884 में भारतीय डाक ने जीवन बीमा लॉन्च किया था और 1886 में एक-आना का रेवेन्यू स्टांप की बिक्री शुरू हुई थी। 1 जुलाई, 1898 को पोस्ट ऑफिस एक्ट VI आया और उसी साल 25 दिसंबर को इंपेरियल पेनी पोस्टेज की भी शुरुआत हुई। जिस साल भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, उस साल भारतीय डाक ने 3 आजादी के पोस्टेज स्टांप जारी किए थे। आम डाक सेवाओं के मुकाबले बेहद कम समय में डाक सेवाएं शुरू करने के लिए 1 अगस्त, 1986 को स्पीड पोस्ट की शुरुआत हुई थी। जैसे-जैसे समय बीतता चला गया, भारतीय डाक लगातार अपनी सेवाओं को अपग्रेड करता रहा। इसी कड़ी में 25 जून, 2006 को ePayment सेवाओं की शुरुआत हुई। 

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डाकघर में मिलता है बैंकों से ज्यादा ब्याज

डाकघर में मिलता है बैंकों से ज्यादा ब्याज

आज के इस मौजूदा समय में भारतीय डाक, अब सिर्फ डाक सेवाओं को साधारण बचत खाते तक ही सीमित नहीं है। भारतीय डाक अब देश के नागरिकों को वो तमाम सुविधाएं और सेवाएं दे रहा है, जो एक बैंक देता है। भारतीय डाक अपने ग्राहकों के लिए बचत खातों के साथ-साथ रिकरिंग डिपोजिट (RD) खाते, टाइम डिपोजिट (TD) खाते भी खोलता है। इतना ही नहीं, पोस्ट ऑफिस अपने ग्राहकों के लिए कई तरह की छोटी बचत योजनाएं जैसे किसान विकास पत्र (KVP) भी चलाता है, जिसमें 115 महीने में आपका पैसा डबल हो जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि डाक सेवाओं के लिए शुरू हुआ इंडिया पोस्ट आज के समय में अपने ग्राहकों को कई बचत योजनाओं पर बड़े-बड़े बैंकों से भी ज्यादा ब्याज देता है।





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