
फैक्ट चेक
वक्फ संशोधन बिल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली अग्निपरीक्षा पास कर ली है। लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास हो गया है। 288 सांसदों ने गरीब-पिछड़े और मुस्लिम महिलाओं की उम्मीद कहे जाने वाले वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया। तो वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों के 232 सांसदों ने बिल के विरोध में वोट डाला। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पुलिस सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करते नजर आ रही है।
वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी, सपा की लाल टोपी पहने एक आदमी को लाठी मारते दिख रहे हैं। आखिर में पिटने वाले आदमी के सिर से खून बहता दिखता है और वो बदहवास हो जाता है। वीडियो में किसी इमारत के बाहर समाजवादी पार्टी के पोस्टर-बैनर लगे दिख रहे हैं। इमारत के बाहर सपा कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा है। इस वीडियो के साथ यह दावा किया जा रहा है कि वक्फ बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पर सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पीट दिया।
क्या किया गया दावा?
कई सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो को वक्फ संशोधन बिल के विरोध से जोड़कर फेसबुक और एक्स पर शेयर कर चुके हैं। एक X यूजर ने वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा है, ”आज लखनऊ में लाल टोपी वाले गुंडों की कुटाई का कार्यक्रम सुबह से चालू है..!!”
फैक्ट चेक
India TV ने की पड़ताल
सोशल मीडिया पर ये वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है, इसलिए हमने इस दावे की पड़ताल करने की ठानी। इंडिया टीवी फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो 2020 का है और किसान आंदोलन के समय का है। वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला इसे दिसंबर 2020 में कई लोगों ने शेयर किया था। यूजर्स ने लिखा था कि वीडियो में जिस आदमी पर पुलिस लाठी चलाती दिख रही है वो सपा नेता यामीन खान हैं। लोगों ने लिखा था कि पुलिस ने किसान आंदोलन में शामिल यामीन खान को लाठी मार कर उनका सिर फोड़ दिया। घटना सपा प्रदेश कार्यालय के बाहर की बताई गई है।
कुछ न्यूज रिपोर्ट्स में भी इस वीडियो को शेयर कर शख्स का नाम यामीन खान बताया गया था। हमें इस विरोध प्रदर्शन और पुलिस लाठीचार्ज की खबरें भी मिलीं। दरअसल, 7 दिसंबर, 2020 को सपा मुखिया अखिलेश यादव किसान यात्रा निकालने के लिए कन्नौज जाने वाले थे। इसके लिए लखनऊ में कार्यकर्ता उनके घर जा रहे थे। इसी दौरान जब पुलिस ने कार्यकर्ताओं को रोकने की कोशिश की तो उनकी झड़प हो गई। तब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया था। अखिलेश को भी कन्नौज जाने से रोका गया था जिसके बाद लखनऊ में काफी बवाल हुआ था। बाद में उन्होंने लखनऊ में ही कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर धरना दिया था। कुछ खबरों में ये भी बताया गया है कि अखिलेश यादव को हिरासत में भी लिया गया था। उस समय तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन चल रहा था।
फैक्ट चेक में क्या निकला?
जांच में वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा गलत पाया गया। वीडियो चार साल से ज्यादा पुराना है। इसका वक्फ संशोधन बिल 2024 से कोई संबंध नहीं है। इस वीडियो को फर्जी दावों के साथ शेयर किया जा रहा है, इसलिए लोगों को ऐसी किसी भी फर्जी पोस्ट से सावधान रहने की सलाह दी जाती है।