
शम्मी कपूर के गुरु हैड़ाखान बाबा।
राज कपूर खानदान के हर दूसरे कपूर की तरह शम्मी कपूर को भी शराब पीने का शौक था। वो हर दिन शराब पीते थे। उनकी एक भी रात बिना शराब के नहीं कटती थी। पर्दे पर हंसमुख और हरफनमौला नजर आने वाले शम्मी कपूर असल में गुस्सैल स्वभाव के व्यक्ति थे, लेकिन एक रहस्यमयी शख्स ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी थी। उनकी लाइफ में एक ऐसे शख्स की एंट्री हुई, जिसने उन्हें पूरी तरह बदल दिया और वो इस बदलाव के बाद अध्यात्म से असल मायने में जुड़े। इस शख्स को उन्होंने अपना गुरु माना और खुद इस बदलाव पर बात की। ये गुरु कोई और नहीं बल्कि हैड़ाखान बाबा थे- उत्तराखंड के रहस्यमय योगी, जिन्होंने शम्मी कपूर को ‘महात्मा जी’ बना दिया।
ऐसी थी पहली मुलाकात
साल 1974 में मशहूर फिल्म अभिनेता शम्मी कपूर की पत्नी के परिवार ने हैड़ाखान बाबा को अपने घर आमंत्रित किया। शम्मी कपूर को उनसे मिलने में कोई इंट्रेस्ट नहीं था। उन दिनों उनके पास कई फिल्में थी और वो शूटिंग में व्यस्त चल रहे थे। परिवार के जोर देने वो भी वहां मौजूद रहे और एक कोने में बैठकर हैड़ाखान बाबा की फोटो खींचने लगे। इसी बीच उनका ध्यान बाबा पर गया और उन्हें आभास हुआ कि हैड़ाखान बाबा की नजर उन पर ही है। शम्मी ने पहले कभी भी ऐसा अनुभव नहीं किया था। इस मुलाकात ने शम्मी के अंदर एक परिवर्तन ला दिया। इसके बाद उन्हें लगा कि उन्हें बाबा के नैनीताल स्थित आश्रम जाना चाहिए।
ऐसे छूटी शराब
इस पहली मुलाकात ने शम्मी कपूर में अंदर ही अंदर बहुत कुछ बदल दिया। वह एक बार फिर उनसे मिलने बाबा के नैनीताल स्थित आश्रम पहुंचे। पूरे इंतजाम के साथ वो वहां गए थे। वो शराब की बोतलें, मीट, गाने-बजाने की सामाग्री भी साथ ले गए थे। इस सब के वो शौकीन थे और उनका एक दिन भी इसके बिना नहीं कटता था। उन्हें लगा कि वो उनके आश्रम में इसके बीना नहीं रह पाएंगे। वहां पहुंचने पर बाबा ने उन्हें हंसकर कहा आ गए ‘महात्मा जी’। शम्मी कपूर को यह सुकून की प्राप्ति हुई। वो आश्रम में 12 दिन रहे और उन्होंने न शराब पी और नॉनवेज खाया। बाद में वो उन्हें इसी नाम से बुलाते रहे। वहां जाने के बाद भी उनका प्रभाव एक्टर पर रहा और धीरे-धीरे उनकी शराब पीने की आदत छूट गई और वो गहरे ध्यान में रहने लगे। अपने आखिरी समय में शम्मी कपूर पूरी तरह से अध्यात्म में डूबे गए थे। उन्होंने एक वेबसाइट भी बनाई जो हैड़ाखान बाबा को समर्पित थी और वो सम्मी कपूर अनप्लग्ड शो में बाबा की कहानियां भी सुनाते थे।
शम्मी को आता था काफी गुस्सा
एक इंटरव्यू में शम्मी कपूर की पत्नी नीला देवी ने बताया, ‘हां, वह गुस्सैल स्वभाव के थे। वह कुछ चीजों को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। मैं इसे इस तरह से कहूंगी। अगर कोई उनके पैर की उंगलियों पर कोई पैर रखता तो वह तुरंत रिएक्ट करते थे। इसलिए पार्टियों में ऐसी चीजें होती थीं। वह उन दिनों बहुत शराब पीते थे, लेकिन उनके लिए यह अच्छी बात थी कि अगले दिन, वह मुझसे जानना चाहते थे कि क्या हुआ था। धीरे-धीरे, वह बदल गए। जब बात शराब और सिगरेट की आती थी तो वे किसी की नहीं सुनते थे। बस पूरे साल में वो 1 जनवरी से 21 जनवरी तक शराब नहीं पीते थे। गीता बाली (पहली पत्नी) 1 जनवरी को बीमार पड़ गई थीं और 21 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई थी। गीता बाली के निधन के बाद से उन्होंने अपने पूरे जीवन में हर साल इस बात का पालन किया।’
हैड़ाखान बाबा।
नीला देवी पहले से थीं भक्त
नीला देवी ने बताया कि उनके सास-ससुर यानी सम्मी के माता-पिता बीमार रहने लगे थे और राज कपूर में काफी व्यस्त थे। ऐसे में शम्मी कपूर ने अपनी फिल्में दो साल के लिए रोक दी थीं और अपने माता-पिता का पूरा ध्यान रख रहे थे। वो कहती हैं, ‘उस दौर ने हमें शम्मी जी के माता-पिता के बहुत करीब ला दिया और उन्होंने हमें बहुत आशीर्वाद दिया। शम्मी जी के लिए 2 साल तक काम से दूर रहना आसान नहीं था। मेरे ससुराल वालों के गुजर जाने के बाद, वे मॉरीशस चले गए और फिर हमें हमारे गुरु जी मिले हैड़ाखान वाले बाबा। मैं हैड़ाखान वाले बाबा में बहुत पहले से विश्वास करती थी, जिन्हें भोले बाबा के नाम से जाना जाता था। उन्होंने भोले बाबा से पहले कभी किसी गुरु जी पर विश्वास नहीं किया था, लेकिन धीरे-धीरे वे उन पर विश्वास करने लगे। इससे हमारी जिंदगी बदल गई। हमारे बेटे आदित्य की शादी भी हमारे गुरु जी के आश्रम में हुई।
नीला ने बताया धीरे-धीरे कैसे बदले शम्मी
इस बात शम्मी कपूर ने भी बताया कि उनको किसी भी चीज का पालन करने के लिए बाबा ने नहीं कहा था, अपने आप स्वाभाविक तौर पर उन्होंने बदलने का फैसला किया। इसी बारे में नीला देवी ने भी बात की और कहा, ‘और ध्यान दें हमारे गुरु जी ने कभी शम्मी जी पर कुछ नहीं थोपा। फिर भी शम्मी हमारे नए मार्ग से इतने जुड़ गए कि वे हमारे गुरु जी के साथ यात्राओं पर जाने लगे। उसके बाद उन्होंने कैरेक्टर रोल करना शुरू कर दिया, जिसे वो पहले नहीं करना चाहते थे। कैरेक्टर रोल स्वीकार करने से पहले वे दुविधा में थे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनका पहला कैरेक्टर रोल ‘जमीर’ में था जिसमें सायरा बानो नायिका थीं। अब आप देखिए सायरा उनकी पहली नायिका थीं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि वे एक कलाकार हैं और उन्हें ऐसी चीजों के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए।’ आगे नीला देवी कहती है कि उनमें सारे बदलाव बाबा की वजह से ही आए। साथ ही बताती हैं कि वो पहले हर दिन 100 सिगरेट पी लिया करते थे।
हैड़ाखान बाबा।
कौन हैं बाबा खेड़ा
उत्तराखंड में जून 1970 की एक सुबह को एक युवा संन्यासी गंगा किनारे बसे गांव हैड़ाखान की एक पथरीली गुफा में लोगों को नजर आया था। 27-28 साल उस शख्स की उम्र थी। उसके चेहरे पर तेज था, वो जब समाधि पर बैठा तो 45 दिन बाद उठा। इस शख्स का नाम किसी को नहीं पता था। लोग उसे हैड़ाखान बाबा कहने लगे। कई लोगों ने उसो महावतार बाबा भी कहा। लोगों का कहना था कि ये वही ‘महावतार बाबा’ हैं जो युगों से हिमालय में रहते थे। वैसे गौर करने वाली बात ये थी कि उस क्षेत्र में पहले भी साल 1860 से 1922 के बीच एक हैड़ाखान बाबा हुए थे। साल 1971 के सितंबर महीने में ये शख्स कोर्ट पहुंच गया और दावा किया कि ये वही हैड़ाखान बाबा है और नए शरीर में वापस आया है। उसने अदालत में कई सबूत पेश किए और लोगों को यकीन दिला दिया कि वो वही हैं। उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और वो सर्वधर्म समभाव का संदेश देते रहे।