Madhuri Dixit
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कौन हैं माधुरी दीक्षित के गॉडफादर?

माधुरी दीक्षित ने 1984 में ‘अबोध’ से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था। इससे पहले उन्होंने टीवी सीरियल में भी काम किया। फिर उन्होंने 80-90 के दशक में बॉलीवुड पर राज किया। माधुरी दीक्षित ने अपने अभिनय, डांस और खूबसूरती से सबको अपना दीवाना बना दिया। लेकिन, क्या आप जानते हैं माधुरी दीक्षित को बॉलीवुड की ‘धक-धक गर्ल’ किसने बनाया? माधुरी को बॉलीवुड की धड़कन एक ऐसे अभिनेता ने बनाया, जिनका खुद का एक्टिंग करियर फ्लॉप रहा। लेकिन, बाद में उन्होंने निर्देशन में अपना हाथ आजमाया और कई एक्टर्स की किस्मत संवारी। इन्हीं कलाकारों में से एक माधुरी दीक्षित भी रहीं।

बतौर एक्टर कई फिल्मों में निभाए छोटे रोल

हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई की। जी हां, सुभाष घई, फिल्म निर्माता और निर्देशक होने के साथ-साथ एक्टर भी रहे हैं। उन्होंने कई फिल्मों में बतौर अभिनेता छोटे-मोटे रोल निभाए, लेकिन एक्टर के तौर पर उन्हें कोई पहचान नहीं मिली। सुभाष घई ने 60 के दशक की शुरुआत में अपने अभिनय की शुरुआत की। वह कुछ छोटी लेकिन उल्लेखनीय भूमिकाओं में नजर आए।

‘आराधना’ में किया काम

सुभाष घई को 1969 में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर स्टारर ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘आराधना’ में एक बड़ी भूमिका मिली। वह फिल्म में भले लीड रोल में नहीं थे, लेकिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहे। बाद में उन्होंने ‘उमंग’, ‘भारत के शहीद’, ‘शेरनी’ और ‘नाटक’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन, घई बॉलीवुड में एक और स्ट्रगलिंग एक्टर बनकर खुश नहीं थे। इसलिए, उन्होंने 1979 में फिल्म निर्देशन की ओर रुख कर लिया।

कालीचरण का किया निर्देशन

सुभाष घई के निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘कालीचरण’ थी, जो ब्लॉकबस्टर रही। फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और रीना रॉय मुख्य भूमिकाओं में थे। इसके बाद, उन्होंने ‘कर्ज’, ‘हीरो’, ‘सौदागर’, ‘कर्मा’, ‘परदेस’ और ‘ताल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया और दशकों के पसंदीदा डायरेक्टर बनकर उभरे।

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एक्टर बनना चाहते थे सुभाष घई।

माधुरी दीक्षित के बने गॉडफादर

1989 में, सुभाष घई ने एक चांस लिया और अनिल कपूर के साथ ‘राम लखन’ में माधुरी दीक्षित को फिर से पेश किया। अपनी आकर्षक एक्टिंग और बेहतरीन डांसिंग स्किल्स से माधुरी दीक्षित रातों-रात मशहूर हो गईं। उसके बाद, ‘धक-धक’ गर्ल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और घई इंडस्ट्री में उनके गॉडफादर बन गए। उन्हें 2006 की फिल्म ‘इकबाल’ के लिए एक निर्माता के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।

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