
भारत ने सिंधु जल संधि किया निलंबित
कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों की कायराना करतूत से पूरा देश गुस्से से उबल रहा है। जिन आतंकियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी, उनका पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया है। इस आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। हालांकि पाकिस्तान ने भारत के आरोपों का खंडन किया है और जवाबी कार्रवाई की धमकी भी दी है। इसके साथ ही ये भी कहा है कि पाकिस्तान किसी भी तटस्थ, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में भाग लेने के लिए तैयार है।
भारत को पाक नेताओं ने दी धमकी-पानी रोक नहीं सकते
इससे पहले पाकिस्तानी पीएम ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भारत नदियों का पानी रोकता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के आगे कहा कि भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो हमारी सेना इसका पूरी ताकत से जवाब देगी। इससे पहले एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा, या फिर उनका खून बहेगा। सिंधु दरिया हमारा है और हमारा ही रहेगा। भुट्टो ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आप एक झटके में सिंधु जल समझौता को तोड़ दें, हम इसे नहीं मानते हैं। हमारी अवाम इसे नहीं मानती और हजारों साल से हम इस नदी के वारिस हैं।
पाकिस्तान ने भारत को दी है धमकी
क्या है सिंधु जल संधि, जिसमें बंट गईं नदियां
भारत और पाकिस्तान दोनों देश सिंचाई और कृषि के लिए सिंधु बेसिन की छह नदियों के पानी पर निर्भर हैं, इसीलिए उन्होंने सीमा पार इन नदियों के पानी के प्रवाह को जारी रखने के लिए स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट नामक एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जब 1948 में स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट की अवधि समाप्त हो गई, तो विश्व बैंक की मध्यस्थता में नौ साल की बातचीत के बाद, पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान और पूर्व भारतीय पीएम जवाहरलाल नेहरू ने सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए।
सिंधु जल संधि के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों: रावी, ब्यास और सतलुज का पानी बांटा गया और बदले में पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का 80 फ़ीसदी हिस्सा आवंटित किया गया है। पाकिस्तान की 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कृषि और लगभग एक तिहाई हाइड्रोपावर सिंधु बेसिन के पानी पर ही निर्भर है। ऐसे में इस सिंधु जल संधि के निलंबित होने से पाकिस्तान में त्राहिमाम मच सकता है।
तो क्या भारत सिंधु नदी के पानी को रोक सकता है
क्या भारत अपनी नदियों के पानी का रुख़ मोड़ सकता है, जिससे पाकिस्तान को उसकी लाइफ़लाइन से वंचित होना पड़ सकता है? और दूसरा सवाल ये भी है कि क्या भारत ऐसा करने में सक्षम भी है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के लिए पश्चिमी नदियों के पानी के प्रवाह को रोकना लगभग असंभव है. क्योंकि इसके लिए बड़ी स्टोरेज और इतनी मात्रा में पानी का प्रवाह मोड़ने के लिए जितनी नहरों की ज़रूरत है उतनी का भारत के पास फ़िलहाल नहीं हैं।
क्या भारत नदियों के पानी को पाकिस्तान जाने से रोक सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर भारत ने नदियों के पानी को रोका तो भारत को सबसे पहले अपने ही क्षेत्र में बाढ़ का ख़तरा होगा क्योंकि उसके बांध पाकिस्तान की सीमा से बहुत दूर हैं। लेकिन अब भारत बिना किसी पूर्व चेतावनी के अपने जलाशयों से गाद बहा सकता है जिससे पाकिस्तान के हिस्से की तरफ़ नुक़सान होगा।
भारत सिंधु जल संधि निलंबित नहीं कर सकता
भारत ने पश्चिमी नदियों पर अपस्ट्रीम जलाशय बनाए हैं, लेकिन उनकी भंडारण क्षमता पाकिस्तान से पूरी तरह से पानी को रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं रख सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के टफ्ट्स विश्वविद्यालय में शहरी और पर्यावरण नीति और पर्यावरण अध्ययन के सहायक प्रोफेसर हसन एफ खान ने बताया, “पाकिस्तान को आवंटित पश्चिमी नदियों में बहुत अधिक प्रवाह होता है, खासकर मई और सितंबर के बीच। भारत के पास वर्तमान में उन प्रवाहों को संग्रहीत करने या मोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है।”
पानी को हथियार बना रहे दोनों देश
टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में अर्बन एनवायरमेंटल पॉलिसी और एनवायरमेंटल स्टडी के असिस्टेंट प्रोफे़सर हसन एफ़ ख़ान ने डॉन न्यूज़पेपर में लिखा, “गर्मी के मौसम में क्या होगा वो चिंता का विषय है। उस वक्त पानी का बहाव कम होता है और स्टोरेज ज़्यादा अहमियत रखती है। टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण है.”एक और मुद्दा जो हर बार तनाव बढ़ने के समय उठता है वो ये है कि क्या ऊपरी देश निचले देश के ख़िलाफ़ पानी को ‘हथियार’ बना सकता है। इसे अक्सर ‘वॉटर बम’ कहा जाता है। जहां ऊपरी देश अस्थायी रूप से पानी को रोक सकता है और फिर बिना किसी चेतावनी के अचानक छोड़ सकता है। जिसकी वजह से निचले हिस्से में भारी नुकसान हो सकता है।
पाकिस्तान को क्या होगा खतरा
भारत के इस फैसले से पाकिस्तान पर दूरगामी असर पड़ने की आशंका है, जो पहले ही वित्तीय और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। देश अपनी कृषि के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है, जो इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पाकिस्तान की लगभग 90 प्रतिशत सिंचाई सिंधु बेसिन के पानी पर निर्भर करती है। पश्चिमी नदियों से पानी की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान – या भविष्य में व्यवधान की धारणा – पानी की कमी को बढ़ा सकती है, फसल की पैदावार को कम कर सकती है और घरेलू अशांति को बढ़ावा दे सकती है, खासकर पंजाब और सिंध के पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे प्रांतों में।
पाकिस्तान को क्या है खतरा
कर्ज में डूबा पाकिस्तान करने लगेगा त्राहिमाम
संधि के निलंबन से न केवल कृषि उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि देश की बिजली आपूर्ति पर भी भारी असर पड़ेगा। जबकि पाकिस्तान पहले से मौजूद जल-उपलब्धता अस्थिरता और पानी की कमी के कारण सालाना लगभग 19 मिलियन टन कोयला आयात करता है, 2021 में कोयले के आयात का वित्तीय बोझ 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। आज, पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कर्ज में डूबा हुआ है।