• OTT प्लेटफॉर्म्स जैसे कि WhatsApp, Instagram, Facebook, Telegram आदि के जरिए हो रहे स्कैम को लेकर COAI ने सख्ती जताई है। टेलीकॉम कंपनियों द्वारा UCC पर रोक लगाने के बाद स्कैमर्स OTT का सहारा ले रहे हैं।

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    OTT प्लेटफॉर्म्स जैसे कि WhatsApp, Instagram, Facebook, Telegram आदि के जरिए हो रहे स्कैम को लेकर COAI ने सख्ती जताई है। टेलीकॉम कंपनियों द्वारा UCC पर रोक लगाने के बाद स्कैमर्स OTT का सहारा ले रहे हैं।

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    टेलीकॉम कंपनियों को रिप्रजेंट करने वाली एजेंसी COAI ने कहा कि फर्जी कॉल्स अब OTT पर शिफ्ट हो रहे हैं। इसके लिए सख्त एक्शन लेने की जरूरत है। OTT के जरिए किए जाने वाले फर्जी कॉल्स नजर में नहीं आते हैं। COAI और लंदन बेस्ड एजेंसी GSMA दोनों ही OTT को रेगुलेटरी के दायरे में लाने के पक्ष में है।

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    COAI ने कहा कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स नेटवर्क अब किसी भी तरह से स्पैम कॉल को यूजर्स तक पहुंचने से पहले रोक रहा है। इसके लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। हालांकि, इसके लिए OTT प्लेटफॉर्म्स कुछ नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वो रेगुलेटरी दायरे में नहीं हैं।

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    हाल में आए स्टडी के मुताबिक, इस समय यूजर्स अपना 85% इंटरनेट डेटा OTT ऐप्स के इस्तेमाल में खर्च करते हैं। पिछले दिनों एयरटेल ने स्पैम कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए AI बेस्ड ऐप लॉन्च किया है, जिसके जरिए यूजर्स को फर्जी कॉल्स से राहत मिली है।

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    Jio समेत दूसरे टेलीकॉम प्रोवाइडर्स भी ऐसे ही AI स्पैम फिल्टर लाने की तैयारी में है। टेलीकॉम कंपनियों द्वारा स्पैम मॉनिटरिंग नेटवर्क लेवल पर हो रही है, जिसकी वजह से स्कैमर्स OTT पर शिफ्ट हो रहे हैं। खास तौर पर स्क्रीन शेयर स्कैम, डिजिटल अरेस्ट के जरिए वो बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दे रहे हैं।

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    पिछले महीने टेलीकॉम रेगुलेटर ने अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ मिलकर ज्वाइंट कमिटी में UCC को रोकने के लिए OTT और RCS को भी रेगुलेटरी दायरे में लाने की सिफारिश की है। रेगुलेटरी दायरे में आने के बाद वाट्सऐप, टेलीग्राम जैसे ऐप्स के जरिए हो रहे फ्रॉड को रोका जा सकेगा।





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