अमेरिका के रक्षामंत्री पीटर हेगसेथ और साथ में हैं चीनी सेना के एक अधिकारी।
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अमेरिका के रक्षामंत्री पीटर हेगसेथ और साथ में हैं चीनी सेना के एक अधिकारी।

बीजिंग: एशिया-प्रशांत क्षेत्र को बीजिंग से खतरा बताने जाने पर चीन भड़क अमेरिका पर भड़क उठा है। चीन ने रविवार को अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा एशियाई देश (खासकर चीन) को “खतरा” कहे जाने की आलोचना की और उन पर शीत युद्ध (कोल्ड वार) की मानसिकता फैलाने का आरोप लगाया। बता दें कि हाल की क्रमिक घटनाओं से वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव और बढ़ गया है।

चीन ने अमेरिका पर क्या आरोप लगाया?

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हेगसेथ ने एक दिन पहले सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला संवाद (एक वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन) में बीजिंग को बदनाम करने वाले झूठे आरोप लगाए। मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका क्षेत्र में संघर्ष और टकराव को बढ़ावा दे रहा है। बयान में कहा गया, “हेगसेथ ने क्षेत्र के देशों की शांति और विकास की अपील को जानबूझकर नजरअंदाज किया और इसके बजाय गुटीय टकराव के लिए शीत युद्ध की मानसिकता को बढ़ावा दिया।” चीन ने कहा, “अमेरिका को छोड़कर दुनिया में कोई भी देश  ‘आधिपत्यवादी शक्ति’ नहीं कहा जा सकता। बीजिंग ने यह भी आरोप लगाया कि वाशिंगटन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को कमजोर कर रहा है। 

ताइवान को लेकर चीन पर चढ़ा अमेरिका

बता दें कि हेगसेथ ने शनिवार को सिंगापुर में कहा था कि वाशिंगटन बीजिंग द्वारा उत्पन्न तेजी से बढ़ते खतरों का मुकाबला करने के लिए विदेशों में अपनी रक्षा क्षमताएं मजबूत करेगा। अमेरिका ने कहा था कि विशेष रूप से ताइवान पर चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए हम ऐसा करेंगे। हेगसेथ ने कहा था, “चीन की सेना ‘वास्तविक लड़ाई’ के लिए अभ्यास कर रही है। हम इसे हल्के में नहीं लेंगे। चीन से उत्पन्न खतरा वास्तविक है और यह आसन्न हो सकता है।”

चीन ने अमेरिका को दिया ये कड़वा जवाब

बीजिंग ने कहा कि ताइवान का मुद्दा पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है और अमेरिका को इसके साथ “आग से खेलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।” बयान में यह भी आरोप लगाया गया कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में आक्रामक हथियार तैनात किए हैं, “तनाव को भड़का रहा है और एशिया-प्रशांत को बारूद के ढेर में बदल रहा है। ”शनिवार को एक फेसबुक पोस्ट में सिंगापुर स्थित चीनी दूतावास ने हेगसेथ के भाषण को “उकसावे और भड़कावे से भरा हुआ” बताया।

ट्रेड और टैरिफ पर भी हो चुका है दोनों देशों में बड़ा टकराव

पिछले महीने अमेरिका और चीन के बीच ट्रड और टैरिफ को लेकर बड़ा टकराव हो चुका है। इसके बाद दोनों देशों में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए 145% शुल्क को 90 दिनों के लिए घटाकर 30% कर दिया गया था, ताकि दोनों पक्षों के वार्ताकार अधिक ठोस समझौते तक पहुंच सकें। इसके बाद चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर अपने शुल्क को 125% से घटाकर 10% कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों में ट्रेड डील फाइनल हुई।

डील के बाद ट्रंप ने चीन को दी थी ये धमकी

दोनों देशों में ट्रेड डील के बाद ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये चीन को फिर धमकी दे दी थी। उन्होंने कहा कि वह अब व्यापार को लेकर चीन के साथ “नरमी” नहीं बरतेंगे। ट्रंप ने इस दौरान बीजिंग पर अमेरिका के साथ किसी अनिर्दिष्ट समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया। इस बढ़ते तनाव के बीच बुधवार को अमेरिका ने घोषणा की कि वह चीन के छात्रों के लिए वीजा रद्द करना शुरू करेगा। इससे बीजिंग में बवाल मच गया। 

सिंगापुर फोरम में क्या-क्या हुआ

अमेरिका द्वारा चीन पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दबंगई और ताइवान को लेकर दिए गए बयान के अलावा आज रविवार को फिलीपींस के रक्षा सचिव गिल्बर्टो टियोडोरो ने भी चीन पर हमला बोल दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में अमेरिका को समस्या बताए जाने के चीनी दावे को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि फिलीपींस देश दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ बढ़ती झड़पों का सामना कर रहा है। टियोडोरो ने कहा कि चीन जो उचित मानता है, वह बाकी दुनिया द्वारा स्वीकार किए गए मानदंडों के विपरीत हो सकता है। बाद में चीनी दूतावास ने तीन फेसबुक पोस्ट कर टियोडोरो के “बेबुनियाद आरोपों” का जवाब दिया और कहा कि दक्षिण चीन सागर के द्वीप चीन के अंतर्निहित क्षेत्र हैं।

चीन क्यों बिफरा?

बीजिंग ने कहा कि “मुसीबत खड़ा करने वाला” चीन नहीं है, बल्कि फिलीपींस द्वारा दो रीफों के पास के जलक्षेत्र में हाल की अवैध घुसपैठ इसका कारण हैं। उसने यह भी आरोप लगाया कि “कुछ बाहरी शक्तियां” आक्रामक हथियार तैनात कर और सहयोगियों को बार-बार सैन्य अभ्यास में शामिल कर इस क्षेत्र की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। बयान में कहा गया, “दक्षिण चीन सागर में कौन देश दूसरों को धमका रहा है, जबरदस्ती कर रहा है और टकराव भड़का रहा है? इसका जवाब सबको पता है,” हालांकि किसी देश का नाम नहीं लिया गया।

इसके अलावा, शनिवार को चीनी दूतावास ने ताइवान के मुद्दे को यूक्रेन युद्ध से जोड़ने की कोशिशों की आलोचना की, जब फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चीन के साथ संभावित संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करने की तुलना में यूक्रेन को नजरअंदाज किए जाने की ‘खतरनाक दोहरी मानसिकता’ की चेतावनी दी।  (एपी)

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