
अनुराग कश्यप
राम गोपाल वर्मा और अनुराग कश्यप फिल्मी दुनिया के वो दो चेहरे हैं जो अपनी शानदार फिल्मों, विजन के साथ-साथ अपनी बेबाकी के लिए भी मशहूर हैं। राम गोपाल वर्मा फिल्मी दुनिया में 3 दशक से भी ज्यादा समय से एक्टिव हैं। उनकी पहली फिल्म ‘शिवा’ (1989) थी, जिसमें नागार्जुन लीड रोल में नजर आए थे। वहीं अनुराग कश्यप ने ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘देव डी’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्मों के लिए वाहवाही लूटी। अनुराग कश्यप ने बतौर लेखक फिल्मी दुनिया में एंट्री ली थी। उन्होंने राम गोपाल वर्मा के साथ ‘सत्या’ की स्क्रिप्ट भी लिखी थी। जिसके बाद उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया और आज फिल्म जगत के जाने-माने डायरेक्टर हैं। अब इंडिया टीवी के ‘द फिल्मी हसल’ पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान अनुराग कश्यप ने लेखक से निर्देशक बनने की अपनी जर्नी पर बात की।
राइटर से डायरेक्टर कैसे बने अनुराग कश्यप?
अनुराग कश्यप ने होस्ट अक्षय राठी के साथ बातचीत के दौरान उस फिल्म निर्माता और निर्देशक के नाम का भी खुलासा किया, जिनके चलते वह फिल्में लिखते-लिखते निर्देशन तक आ पहुंचे। उन्होंने कहा- ‘कहीं ना कहीं मैं हमेशा से फिल्मों का निर्देशन करना चाहता था। मुझे नहीं पता कि रामू (राम गोपाल वर्मा) को याद है कि नहीं, लेकिन मेरे निर्देशक बनने में उनका बड़ा रोल है। तो एक दिन रामू को शहर के कुछ शॉट चाहिए थे और मैंने कुछ शॉट नोट डाउन कर रखे थे, कि कहीं उन्हें जरूरत हुई। तो उन्होंने मजहर को कहा कि क्यों ना तुम लोग जाओ और कुछ शूट करके लाओ। उन्हें वो आइडिया पसंद आए, जो मैंने उन्हें बताए थे।’
राम गोपाल वर्मा ने रिजेक्ट कर दिए सारे शॉट
अनुराग आगे कहते हैं- ‘हमने शूट किया और हम वापस आए और मेरे दिमाग में चल रहा था कि पहली बार मैंने डायरेक्टर की भूमिका निभाई। इसके बाद जब शॉट स्क्रीन पर दिखाया गया तो रामू को एक भी शॉट पसंद नहीं आया। मैं एडिटर के पास गया और बोला कि रामू सर मुझे ऐसे देख रहे थे। तो उसने कहा- तुमने मुझे 7 अलग चीजें बताईं, मैंने ये इस्तेमाल कर लिया, वरना ये भी बकवास शॉट था। उन्होंने मुझे बताया कि ये कितना बुरा था। तुमने जो भी चीजें शूट की हैं, उन्हें वैसे करना ही नहीं था। उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे मुझे मजहर को ये बताना है कि मेरे दिमाग में क्या है। उन्होंने मुझे फिर एक कैमरा दिया और संडे को शूट करने के लिए भेज दिया। तब जाकर हमें थोड़े ठीक-ठाक शॉट मिल सके। तो वहां से मेरी लर्निंग प्रोसेस शुरू हुई।’
अनुराग कश्यप की डायरेक्टर बनने की जर्नी
‘मेरी डायरेक्टर बनने की जर्नी काफी समय बाद शुरू हुई। ये तब की बात है जब मैं ‘मिशन कश्मीर’ में काम कर रहा था। मैंने वो फिल्म बीच में ही छोड़ दी थी। इसके बाद फिर मैंने शिवम नायर के लिए एक स्क्रिप्ट लिखी। फिर मैंने उनसे कहा कि क्या मैं अपनी स्क्रिप्ट को डायरेक्ट कर सकता हूं? उन्होंने बहुत ही ग्रेसफुली कहा- ये तुम्हारी स्क्रिप्ट है, बिलकुल करो। मुझे परमिशन मिलते ही मैंने डायरेक्शन की कोशिश की। उन दिनों किसी को मेरे ऊपर ज्यादा भरोसा नहीं था।’