Rajat sharma, INDIA TV
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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही इस पर हिन्दू-मुस्लिम की सियासत शुरू हो गई है । समाजवादी पार्टी के पू्र्व सांसद एस। टी। हसन ने कावंड यात्रा के रूट पर होटल, ढ़ाबे और खाने पीने की चीजें बेचने वालों के आईकार्ड चेक करने वालों को आतंकवादी बताया, हिन्दू संगठनों की तुलना पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दुओ की जघन्य हत्या करने वाले दहशतगर्दों से की।

एस.टी. हसन का आरोप है कि मुजफ्फरनगर में यशवीर महाराज और उनके सपोर्टर ढ़ाबे वालों की पैंट उतरवा कर लोगों का मज़हब चेक कर रहे हैं, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस तरह के बाबाओं को जानबूझ कर शह दी जा रही है, अगर सरकार को आईकार्ड चैक करना है तो करे, लेकिन बाबाओं को मैदान में किसने उतारा? ओवैसी ने कहा कि अगर किसी की पैंट उतार कर मजहब जानने की कोशिश की जाएगी, तो इसे कौन बर्दाश्त करेगा।

हसन और ओवैसी को भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने जबाब दिया। कहा, ये नियम तो पहले से है कि खाने-पीने की चीज़ें बेचने वालों को दुकान पर अपनी पहचान डिसप्ले करनी होगी। इस नियम का पालन करने में क्या दिक्कत है? जब मुसलमानों की संस्था हलाल सार्टिफिकेट जारी करती है, उस पर किसी को एतराज़ नहीं होता, लेकिन अगर हिन्दू अपनी धार्मिक यात्रा की पवित्रता बनाए रखने की बात करते हैं, तो विपक्ष हंगामा करता है। ये दोहरा मापदंड ठीक नहीं हैं।

विवाद उस वीडियो के वायरल होने के बाद शुरू हुआ, जब मुजफ्फरनगर में यशवीर महाराज नाम के एक बाबा ने खुद दुकानदारों के आधार कार्ड चैक करने की मुहिम शुरू कर दी। पंडित जी वैष्णो ढाबा का QR कोड स्कैन किया गया तो उसका मालिक मुस्लिम निकला। इसी बात पर विवाद शुरू हो गया। इल्जाम लगाया गया कि बाबा के चेलों ने ढाबे में काम करने वाले गोपाल नाम के एक शख्स की पैंट उतरवा कर उसका मजहब कन्फर्म करने की कोशिश की क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था।

बाद में इंडिया टीवी रिपोर्टर ने पता लगाया कि गोपाल का असली नाम तजम्मुल है। आधार कार्ड पर उसके पिता का नाम मकसूद लिखा हुआ है। तजम्मुल मुजफ्फरनगर के बहेरी गांव का रहने वाला है। तजम्मुल दो महीने से ढाबे में काम रहा है और ढाबे के मालिक ने ही इसका नाम गोपाल रख दिया था, उसके हाथ में कड़ा भी पहना दिया गया।

इतने बड़े हंगामे की जड़ सिर्फ वो शख्स है, जो तजम्मुल से गोपाल बना। गोपाल की हकीकत तो सामने आ गई, अब एस. टी. हसन औऱ असदुद्दीन ओवैसी क्या कहेंगे। जो कह रहे थे, गोपाल की पैंट उतरवाई गई, वो  बेचारा नहीं, शातिर निकला। तजम्मुल से गोपाल बन गया और यूट्यूबर के साथ मिलकर इतना बड़ा ड्रामा कर दिया। अब उस यू़्यूबर को भी पकड़ना चाहिए जिसकी बदमाशी के कारण इतना हंगामा हो गया।

मुझे लगता है, होटलों, ढाबों के बाहर मालिक का नाम लिखवाने की बात को Practical नजरिए से देखने की ज़रूरत है। ये बात सिर्फ Food Department के Rule की नहीं है। जो लोग कांवड़ लेकर निकलते हैं, ये बात उनकी धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है। वे शुद्ध शाकाहारी भोजन चाहते हैं। धार्मिक यात्रा के दौरान वो चाहते हैं कि भोजन बनाने वाले और serve करने वाले भी हिंदू हों। ठीक उसी तरह जैसे मुसलमान हलाल फूड की मांग करते हैं। ये उनकी आस्था और मजहब का मामला है। इन दोनों बातों में किसी को कोई ऐतराज नहीं होता।

समस्या तब होती है जब कोई ढाबे का नाम वैष्णव भोजनालय या पंडित जी का ढाबा रखे, लेकिन असल में इसे चलाने वाला और खाना बनाने वाला मुस्लिम हो और वो अपनी पहचान को छुपाए।

मुजफ्फरनगर के केस में जो कर्मचारी गोपाल होने का दावा कर रहा था, वो तजम्मुल निकला। जब लोग इस तरह से नाम छुपाते हैं, तो दिक्कत होती है। ये उसी तरह का मामला है, जैसे इटावा में कथावाचकों ने अपनी पहचान  छुपाई, अपने आप को ब्राह्मण बताया और कथा सुनाई। अगर वे भी अपनी पहचान न छुपाते तो किसी को कोई ऐतराज नहीं होता और बात इतनी नहीं बढ़ती। ऐसे हर मामले में पारदर्शिता हो और नेता लोग इन पर राजनीति न करें, तभी इस तरह के विवाद रुकेंगे।

कोलकाता गैंगरेप आरोपी को तृणमूल का संरक्षण मिला हुआ था

कोलकाता के खौफनाक गैंगरेप केस में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता लगा कि लॉ कॉलेज छात्रा के साथ गैंगरेप के मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा की क्राइम कुंडली लंबी है। उसके खिलाफ चार केस पहले से दर्ज हैं। वो जेल जा चुका है लेकिन तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं से उसके करीबी रिश्ते थे। इसलिए कोई भी उसके खिलाफ खुलकर नहीं बोलता था।

हैरानी की बात ये है कि इस तरह के अपराधी को नियमों को ताक पर रख कर लॉ कॉलेज में नौकरी दे दी गई। चूंकि अब मनोजीत मिश्रा को गैंगरेप के केस में गिरफ्तार कर लिया गया है, इसलिए अब लोग उसकी हकीकत बयां करने लगे हैं।

कोलकाता के गर्ल्स बीटी कॉलेज की प्रिंसिपल मकसूदा खातून ने बताया कि मनोजीत आदतन अपराधी है, राह चलते लड़कियों को परेशान करता था। मनोजीत मिश्रा पहले लॉ का छात्र था। मकसूदा खातून ने कहा कि मनोजीत जब छात्र था, तब पूरे कॉलेज में उसका आतंक था, तोड़फोड़, गुंडागर्दी करना उसका रोज़ का काम था। वो कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ गाली गलौज़ करता, धमकी देता था। कई बार पुलिस से शिकायत भी की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ क्योंकि ममता की तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ उसके रिश्ते थे।

पता ये भी लगा कि सिर्फ राजनीतिक पहुंच की वजह से मनोजीत मिश्रा ने गैंगरेप के दूसरे आरोपी ज़ैब अहमद को लॉ कॉलेज में एडमीशन दिलाया। उसकी रैंक 2634 थी, बंगाल में 14 लॉ कॉलेज हैं, इनमें 2166 सीटें हैं। जिन छात्रों की रैंकिंग एंट्रेस परीक्षा में 500 से 700 तक होती है, उन्हें ही सरकारी कॉलेज  में एडमिशन मिल पाता है। ढाई हजार के नीचे रैंक होने के बावजूद जैब को साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में एडमिशन मिला।

जैसे जैसे गैंगरेप केस की परतें खुल रही हैं, वैसे वैसे ममता बनर्जी की सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। कोलकाता पुलिस ने तीनों आरोपियों, मनोजीत मिश्रा, ज़ैब अहमद और प्रमित मुखर्जी पर 6 नई आपराधिक धाराएं जोड़ दी। अब मामले की जांच कोलकाता पुलिस का डिटेक्टिव डिपार्टमेंट करेगा।

कोलकाता के गैंगरेप केस में जैसे जैसे details सामने आ रही हैं, उससे साफ है कि बलात्कार करने वालों का सरगना लॉ कॉलेज का गुंडा था। वह तृणमूल कांग्रेस से अपने रिश्तों का फायदा उठाता था। वह पहले भी लड़कियों को blackmail करता था, पक्का criminal है, लेकिन उस पर और उसके साथियों पर पहले कभी एक्शन नहीं हुआ। उनकी दादागीरी को किसी ने नहीं रोका, इसीलिए हिम्मत बढ़ती गई और उन्होंने गैंगरेप जैसा वीभत्स अपराध किया।

आज ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को ज़रूर इस बात का अफसोस होगा कि ऐसे लोगों को पार्टी ने जगह क्यों दी। लेकिन ये रोज रोज का किस्सा है। पहले राजनीतिक दल गुंडों का इस्तेमाल करते हैं, फिर छोटे मोटे अपराधों में पकड़े जाने पर उन्हें बचाते हैं और एक दिन वो जब बड़ा अपराध कर देते हैं, तो सब बैठकर रोते हैं और फिर कहते हैं कि इनसे हमारा कोई संबंध नहीं, हमारा कोई लेना देना नहीं।

नहीं सुधरेगा आसिम मुनीर : आतंकियों का जलसा करवाया

जिस दिन वॉशिंगटन में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के Quad संगठन के विदेश मंत्रियों ने एक साझा बयान में पहलगाम नरसंहार की निंदा की और आतंकियों को जल्द पकड़ने की मांग की, उसी दिन पाकिस्तान के बहावलपुर नें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों का एक साझा जलसा हुआ। ये पाकिस्तान की फौज और दहशतगर्दों के गठजोड़ का एक और सबूत था।

आतंकवादियों ने एक रैली करके जनरल आसिम मुनीर से अयोध्या में रामलला के मंदिर को मिसाइल्स से उड़ाने की मांग की। आपरेशन सिंदूर के बाद से बिलों में दुबके दहशतगर्द अब फिर से बाहर निकल आए हैं। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर में आतंक के अड्डों पर हमला किया था। उसी बहावलपुर में हाफ़िज़ सईद के लश्कर-ए-तैयबा ने मसूद अज़हर के जैश-ए-मुहम्मद के साथ साझा रैली की।

इस रैली में लश्कर का डिप्टी चीफ सैफ़ुल्लाह कसूरी और हाफ़िज़ सईद का बेटा तल्हा सईद भी थे। रैली में लश्कर के एक आतंकी ने मांग की कि पाकिस्तान की फौज अयोध्या के राम मंदिर पर बम गिराए। इस आतंकी ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर से ग़ुज़ारिश की कि वो गुजरात के सोमनाथ मंदिर को उसी तरह फिर से तबाह कर दें, जिस तरह 11वीं सदी में महमूद ग़जनवी ने किया था।

आतंकवादियों का ये जलसा सबूत है इस बात का कि पाकिस्तान ने अभी सबक नहीं सीखा है। कसूरी और तल्हा की तकरीरें इस बात के सबूत हैं कि आसिम मुनीर उनका Boss है। राम मंदिर को तबाह करने की मांग इस बात का सबूत है कि इन दहशतगर्दों के इरादे कितने खतरनाक हैं।

भारत के खिलाफ दुनिया के मुसलमानों से एक होकर लड़ने की अपील इस बात का सबूत है कि ये आतंकवादी अल्लाह के नाम पर लोगों को लड़ाना चाहते हैं। लेकिन आसिम मुनीर और उनके पालतू दहशतगर्दों को याद रखना चाहिए कि अब ये पहले वाला भारत नहीं है। 

पाकिस्तान के हर दहशतगर्द का नाम, पता, ठिकाना Missiles पर लिखा जा चुका है। इस बार कोई हरकत की, तो छुपने के लिए दुनिया में कोई कोना नहीं मिलेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 2 जुलाई, 2025 का पूरा एपिसोड

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