Swami Vivekananda death prediction, Vivekananda spiritual insight
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स्वामी विवेकानंद।

Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद को आधुनिक भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रणेता माना जाता है। वह न केवल अपनी गहन शिक्षाओं और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और जीवन के प्रति उनकी असाधारण समझ भी उन्हें संत की श्रेणी में खड़ा करती है। आज स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि है। एक ऐसा प्रश्न जो उनके जीवन के बारे में अक्सर उठता है, वह यह है कि क्या उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास था। उनके जीवन के अध्ययन और उनके शिष्यों द्वारा कही गई बातों से यह साफ होता है कि स्वामी विवेकानंद को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास था।

अपने शिष्यों से क्या कहते थे विवेकानंद?

स्वामी विवेकानंद ने कई मौकों पर अपने शिष्यों और करीबियों को इशारा दिया था कि उनकी जिंदगी बहुत लंबी नहीं है। वह अक्सर कहते थे कि वे 40 वर्ष की आयु तक जीवित नहीं रहेंगे। उनके जीवनीकारों के मुताबिक, स्वामी विवेकानंद का मानना था कि उनका जीवन एक खास मकसद के लिए था, और वह मकसद था भारत को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से जागृत करना और विश्व में वेदांत दर्शन का प्रचार करना। स्वामी विवेकानंद को लगता था कि अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उनके पास बहुत ज्यादा वक्त नहीं है।

सिर्फ 39 साल की उम्र में त्याग दी थी देह

4 जुलाई 1902 को जब स्वामी विवेकानंद का निधन हुआ, उस समय उनकी उम्र मात्र 39 वर्ष थी। उनके शिष्यों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, उस दिन उन्होंने सामान्य से ज्यादा समय तक ध्यान और साधना की। वे शांत, संतुष्ट और आत्मिक रूप से बहुत पूर्ण लग रहे थे। कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने ‘महासमाधि’ की अवस्था में शरीर त्यागा, जो एक योगी की सचेतन रूप से देह छोड़ने की अवस्था है। स्वामी विवेकानंद ने सिर्फ 39 साल की उम्र में वह सब हासिल कर लिया था, जिसे अधिकांश लोग अपनी पूरी उम्र में नहीं हासिल कर पाते। उन्होंने भारत को आध्यात्मिक रूप से जगाने का जो सपना देखा था, वह तबसे लगातार आगे बढ़ रहा है।

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