
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ।
Pakistan News: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में कहा कि उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल ‘शांतिपूर्ण उद्देश्यों और आत्मरक्षा’ के लिए करता है, न कि हमले के लिए। हैरानी की बात ये है कि यह बयान उस देश से आया है, जो बार-बार भारत को परमाणु हमले की गीदड़ भभकी देता रहा है। लेकिन अब अचानक शहबाज शरीफ के सुर बदल कैसे गए? आखिर इसके पीछे का राज क्या है? आइए, पाकिस्तान के इस बदले सुर के पीछे की वजहों को समझने की कोशिश करते हैं।
7 मई के इलाज के बाद उतरा ‘परमाणु बम’ का भूत
पाकिस्तान ने लंबे समय से भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों की गीदड़ भभकी को अपनी रणनीति का हिस्सा बनाए हुए था। चाहे कश्मीर का मुद्दा हो या कोई और तनाव, पाकिस्तानी नेता और सेना अक्सर ‘न्यूक्लियर अटैक’ का जिक्र करते रहे हैं। लेकिन इस बार शहबाज शरीफ का बयान एकदम उलट है। वे अब कह रहे हैं कि परमाणु हथियार ‘हमले के लिए नहीं, बल्कि शांति और रक्षा’ के लिए हैं। पाकिस्तान के नजरिए में इस बदलाव की शुरुआत बीते 7 मई को ही हो गई थी। 7 मई के बाद अगले कुछ दिनों तक भारत ने पाकिस्तान का कुछ ऐसे इलाज किया कि उसके दिमाग से परमाणु बम का भूत उतर गया।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी थी।
ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह सहम गया पाकिस्तान
बता दें कि पहलगाम 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने बहावलपुर जैसे जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ समेत कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा। शहबाज ने खुद माना कि इस 4 दिन के सैन्य टकराव में 55 पाकिस्तानी मारे गए। लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने ‘पूरी ताकत’ से जवाब दिया। फिर भी, भारत की इस तेज और सटीक कार्रवाई ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया।
पाकिस्तान की हेकड़ी क्यों निकली?
पाकिस्तान के रुख में बदलाव को हम आगे दिए गए पॉइंट्स के जरिए समझ सकते हैं:
- भारत की सैन्य ताकत का डर: ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारत न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है, बल्कि वह पाकिस्तान की सीमा में घुसकर भी हमला करने से नहीं हिचकता। भारत की यह आक्रामक रणनीति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका थी। भारत की सैन्य तैयारियों और तकनीकी ताकत ने पाकिस्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया कि परमाणु धमकी देना अब आसान नहीं।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के तौर पर पेश किया, जिसे कई देशों ने स्वीकार किया। दूसरी ओर, पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद को समर्थन देने के लिए वैश्विक मंचों पर आलोचना झेल रहा है। अगर पाकिस्तान ने इस मौके पर परमाणु हथियारों की धमकी दी, तो वह और अलग-थलग पड़ सकता था। शहबाज का ‘शांतिपूर्ण मकसद’ वाला बयान शायद इस दबाव को कम करने की कोशिश है।
- आर्थिक और आंतरिक कमजोरी: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही डगमगा रही है। महंगाई, बेरोजगारी और कर्ज का बोझ उसे परेशान कर रहा है। ऐसे में भारत के साथ सैन्य टकराव को और बढ़ाना उसके लिए जोखिम भरा हो सकता है। शहबाज का नरम बयान उनकी मजबूरी को दिखाता है, क्योंकि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की हालत और खराब हो सकती है।
- आंतरिक अस्थिरता: शहबाज ने अपने बयान में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इस्तीफे और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के राष्ट्रपति बनने की अफवाहों को भी खारिज किया। इससे साफ है कि पाकिस्तान में राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच तनाव की खबरें हैं। आंतरिक उथल-पुथल के बीच ‘न्यूक्लियर अटैक’ को लेकर कोई अक्रामक बयान देना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और मुल्क के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर।
पाकिस्तान का नरम रुख: मजबूरी या रणनीति?
शहबाज का यह कहना कि परमाणु हथियार ‘शांति और आत्मरक्षा’ के लिए हैं, एक तरह से पाकिस्तान की कमजोरी को दर्शाता है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को दिखा दिया कि उसकी धमकियों का अब पहले जैसा असर नहीं। भारत की सैन्य ताकत, वैश्विक समर्थन और आक्रामक रुख ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है। इसके अलावा, शहबाज का बयान एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है। वह दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्तान जिम्मेदार देश है, जो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हमले के लिए नहीं करेगा। लेकिन हकीकत में यह बयान भारत की ताकत और पाकिस्तान की कमजोरी का नतीजा है।