Wholesale inflation in June 2025: खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में गिरावट के साथ विनिर्मित उत्पादों की लागत में कमी आने से थोक महंगाई दर 19 महीने बाद एक बार फिर शून्य से नीचे आ गई है। जून में थोक महंगाई दर यानी मुद्रास्फीति -0.13 प्रतिशत दर्ज की गई। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से ये जानकारी मिली है। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति मई में 0.39 प्रतिशत और जून, 2024 में 3.43 प्रतिशत के स्तर पर रही थी। उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ जून, 2025 में मुद्रास्फीति में कमी की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, मूल धातुओं के विनिर्माण, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि की कीमतों में नरमी रही।’’
जून में सब्जियों की कीमत में दर्ज की गई भारी गिरावट
थोक महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार, जून में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 3.75 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि मई में इनमें 1.56 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सब्जियों की कीमतों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। जून में सब्जियों के दाम 22.65 प्रतिशत घट गए। मई में सब्जियों की महंगाई दर 21.62 प्रतिशत घटी थी। विनिर्मित उत्पादों के मामले में मुद्रास्फीति 1.97 प्रतिशत रही, जबकि मई में ये 2.04 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली की थोक महंगाई जून में 2.65 प्रतिशत रही, जो मई में 2.27 प्रतिशत रही थी।
6 साल के निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई
रेटिंग एजेंसी इक्रा के सीनियर इकोनॉमिस्ट राहुल अग्रवाल ने कहा कि जुलाई, 2025 में खाद्य कीमतों में मौसमी क्रमिक वृद्धि अभी तक तुलनात्मक रूप से कम रही है, जिससे खाद्य कीमतों में नरमी बने रहने का अनुमान है, जबतक कि महीने के बाकी दिनों में सब्जियों आदि की कीमतों में अचानक कोई तेज बढ़ोतरी न हो। आरबीआई मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्यतः खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है, जो जून 2025 में घटकर 6 साल के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई। आरबीआई ने मुद्रास्फीति में नरमी के बीच पिछले महीने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की भारी कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट 5.50 प्रतिशत हो गया।