भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर अगली दौर की बातचीत सोमवार से वाशिंगटन में शुरू होने जा रही है। इस बातचीत के लिए भारत से वाणिज्य मंत्रालय की एक भारतीय टीम वाशिंगटन पहुंच चुकी है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को टीम के साथ जुड़ेंगे। दोनों देशों के बीच यह बातचीत चार दिनों तक चलेगी। खबर के मुताबिक, भारत के डिप्टी चीफ नेगोशिएटर पहले ही अमेरिका पहुंच चुके हैं और यह बातचीत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण पर केंद्रित होगी।
किन क्षेत्रों से जुड़े विवादों को सुलझाना है
खबर के मुताबिक, दोनों देशों को कृषि और ऑटोमोबाइल जैसे अहम क्षेत्रों से जुड़े विवादों को सुलझाना है। साथ ही अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लागू करने की समयसीमा 1 अगस्त तक आगे बढ़ा दी गई है, जिससे यह बातचीत और भी अहम है। आपको बता दें, बीते सप्ताह एक अधिकारी ने कहा था कि हम अंतरिम और पहले फेज के समझौते में कोई अंतर नहीं कर रहे हैं। हम एक पूर्ण व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। जो भी भाग पूरा हो जाएगा, उसे अंतरिम समझौते के रूप में पेश किया जा सकता है और बाकी बातचीत जारी रहेगी।
भारत ने कड़ा रुख अपनाया
अमेरिका की तरफ से कृषि और डेयरी प्रोडक्ट्स पर शुल्क में छूट की मांग को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने अब तक किसी भी एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) में डेयरी क्षेत्र को शुल्क में छूट नहीं दी है। इस मीटिंग में भारत की तरफ से अतिरिक्त 26% शुल्क को हटाने की मांग फिर रखी जाएगी। इसके अलावा, स्टील और एल्युमिनियम (50%) और ऑटो (25%) क्षेत्रों पर टैरिफ कम करने की भी बात हो रही है। अगर दोनों देशों के बीच इन पर सहमति नहीं बनती है, तो भारत ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत जवाबी टैरिफ लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा है।
क्या चाहता है अमेरिका
खबर के मुताबिक, अमेरिका चाहता है कि भारत औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स और डेयरी जैसे कृषि उत्पादों (सेब, नट्स, जीएम फसलें) पर टैरिफ में छूट दे। वहीं भारत, टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा उत्पाद, गारमेंट, प्लास्टिक, केमिकल, झींगा, ऑयल सीड्स, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में टैरिफ रियायत की मांग कर रहा है। दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण की बातचीत को खत्म करने की योजना बना रहे हैं। उससे पहले एक अंतरिम समझौते की उम्मीद की जा रही है।