
Chandrashekhar Azad
नई दिल्ली: भारत को आजादी दिलाने में जिन वीर सपूतों ने अपने जीवन का बलिदान किया, उसमें चंद्रशेखर आजाद का नाम मुख्य रूप से सामने आता है। उनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था लेकिन उनके जीवन में घटी एक घटना की वजह से उनका नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ा।
कहां हुआ जन्म?
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में हुआ था लेकिन उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी था जो नौकरी के सिलसिले में गांव छोड़कर भावरा गए थे। चंद्रशेखर बचपन से ही निशानेबाजी और धनुष विद्या में निपुण हो गए थे।
कैसे बने क्रांतिकारी; क्या है आजाद बनने की कहानी?
जिस समय देश में जलियांवाला बाग कांड हुआ था, उस समय चंद्रशेखर आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे लेकिन इतने मासूमों की मौत से चंद्रशेखर के हृदय में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। इसके बाद उन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ने का पूरा मन बना लिया और महात्मा गांधी के आंदोलन से जुड़ गए।
1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ने के बाद जब चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया, तब उन्हें जज के सामने पेश किया गया। इस दौरान जब चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद बताया। जब उनसे उनके पिता का नाम पूछा गया तो उन्होंने स्वतंत्रता बताया। चंद्रशेखर के इस जवाब से जज नाराज हो गया और उन्होंने आजाद को 15 कोड़े मारने की सजा दी। लेकिन चंद्रशेखर बिना डरे इस सजा को भुगतने के लिए तैयार हो गए। इस घटना के बाद से चंद्रशेखर के नाम के साथ आजाद जुड़ गया।
क्रांति की लड़ाई में भगत सिंह ने दिया साथ
देश के वीर सपूत भगत सिंह ने भी देश को आजादी दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। सांडर्स हत्याकांड के बाद असेंबली में बम फेंकने और अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को हिलाने के लिए उन्हें जाना जाता है। भगत सिंह ने क्रांति की लड़ाई में चंद्रशेखर आजाद का साथ दिया था। आजाद और भगत सिंह, दोनों ही एक दूसरे को बहुत मानते थे और दोनों ही क्रांतिकारियों ने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।