Johny Lever son Jessey Lever
Image Source : @JESSE_LEVER/INSTAGRAM
बेटी जेमी और बेटे जेसी के साथ जॉनी लीवर।

कॉमेडी की दुनिया में दशकों से एक शख्स राज कर रहा है और आज भी उसकी जगह कोई और नहीं ले सका है। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि जॉनी लीवर हैं, जो आज भी हर फिल्म मेकर की पसंद बने हुए हैं। जॉनी लीवर ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से हमेशा ही लोगों को खूब हंसाया। यही वजह है कि सालों से कॉमेडी के बादशाह का टैग उनके ही नाम है। सबी को हमेशा हंसाने वाले इस एक्टर की पर्सनल लाइफ आसान नहीं रही। इन्होंने अपने बचपन से लेकर जवानी तक कई तकलीफों का सामना किया। स्लम में बचपन बिताने से लेकर बेटे को कैंसर से जूझते हुए भी एक्टर ने देखा और इस सबको बर्दाश्त करते हुए भी वो लोगों को हंसाते रहे और कभी अपने काम से पीछे नहीं हटे। जॉनी लीवर ने हाल ही में अपने जीवन के उस दौर की कहानी साझा की, जब उनके सामने एक बड़ा दर्द था। 

बेटे के ट्यूमर की खबर ने तोड़ दिया था जॉनी का दिल

एक्टर ने खुलासा किया कि पिता के तौर पर उन्होंने गहरा दर्द और चिंता दौर देखा। यह वह समय था जब उनके घर में खुशियों की जगह डर और बेचैनी ने जन्म लिया, क्योंकि उनके बेटे जेसी लीवर की जान को गंभीर खतरा था। कुनिका सदानंद के पॉडकास्ट में जॉनी ने बताया कि उनके परिवार के लिए सबसे बड़ा सदमा तब आया जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे जेसी की गर्दन पर एक गांठ है। शुरू में यह गांठ एक सामान्य सूजन जैसी लगी, लेकिन जल्दी ही यह स्थिति गंभीर हो गई। उस समय जेसी सिर्फ दस साल के थे। परिवार ने कई डॉक्टरों से संपर्क किया और अलग-अलग उपचार करवाए, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि स्थिति और बिगड़ती चली गई।

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नरगिस दत्त के अस्पताल में जेसी का इलाज

डॉक्टरों ने जब बताया कि वह गांठ असल में एक ट्यूमर है तो जॉनी और उनके परिवार पर एक बड़ा सदमा टूट पड़ा। सर्जरी करना बेहद जोखिम भरा था क्योंकि इससे जेसी की आंखों की रोशनी जा सकती थी या वे पैरालाइज भी हो सकते थे। यह खबर सुनकर जॉनी और उनके परिवार ने पूरी ताकत से लड़ाई लड़ने का फैसला किया। जॉनी ने बताया कि उस वक्त जेसी को दिन में 40 से 50 गोलियां दी जा रही थीं, लेकिन ट्यूमर पर इसका कोई खास असर नहीं हो रहा था। अपने बेटे के इलाज के बीच परिवार ने जेसी को खुश रखने के लिए अमेरिका की ट्रिप भी प्लान की। वहीं अमेरिका के जर्सी में एक चर्च में पादरी से मुलाकात हुई। पादरी ने जेसी की हालत देखकर उसकी बीमारी के बारे में पूछा और एक महत्वपूर्ण सलाह दी।

अमेरिका में सफल ऑपरेशन के बाद वापस आई उम्मीदें

पादरी ने सुझाव दिया कि जेसी का इलाज न्यूयॉर्क के उसी अस्पताल में करवाया जाए, जहाँ नरगिस दत्त का इलाज हुआ था। इस अस्पताल की साख और सफलता को देखकर जॉनी और उनके परिवार ने उस अस्पताल की ओर रुख करने का फैसला किया। जॉनी ने बताया कि जेसी का ऑपरेशन अमेरिका में हुआ। ऑपरेशन से पहले, उन्होंने और उनके परिवार ने प्रार्थनाएं कीं। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सफलता की खबर दी तो जॉनी की जान में जान आई। बेटे के गर्दन से ट्यूमर पूरी तरह हटा दिया गया था और केवल एक पट्टी बंधी हुई थी। यह ऑपरेशन जॉनी और उनके परिवार के लिए एक नई उम्मीद की किरण साबित हुआ। उस दौर में जहां वे अपनी सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं उनके लिए यह सफलता एक बड़ा संबल और राहत लेकर आई। जेसी की जान बचाने के लिए परिवार ने हर संभव उपाय किए और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।

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