
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
Explainer: पाकिस्तान में तेल के भंडार को लेकर लंबे समय से दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है। तेल भंडार के मामले में पाकिस्तान दुनिया में 52वें स्थान पर है। भारत के पास पाकिस्तान से लगभग 10 गुना ज़्यादा तेल भंडार है, जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में काफी पीछे है। लेकिन हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में “विशाल तेल भंडार” को लेकर एक समझौते की बात कही, जिसने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
क्या कहा है ट्रंप ने
अपनी सोशल मीडिया वेबसाइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर जारी एक संदेश में अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना था कि अमेरिका का पाकिस्तान से एक समझौता हुआ है, जिसके तहत दोनों देश पाकिस्तान के तेल के बड़े भंडार को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे.उनका कहना था, “फ़िलहाल हम तेल कंपनी चुनने की प्रक्रिया में हैं, जो इस साझेदारी का नेतृत्व करेगी. कौन जानता है, शायद वो किसी दिन भारत को तेल बेच रहे होंगे!”
पाकिस्तान में तेल भंडार की वास्तविक स्थिति क्या है
पाकिस्तान अपनी तेल ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाता और वह अपनी जरूरतों का लगभग 80-85% हिस्सा आयात करता है। इसका मतलब है कि देश का स्थानीय उत्पादन उसकी कुल ज़रूरत का केवल 10-15% ही पूरा कर पाता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया, पाकिस्तान भविष्य में भारत को तेल निर्यात कर सकता है। इसके विपरीत पाकिस्तान पेट्रोलियम इन्फ़ॉर्मेशन सर्विसेज़ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक़ पिछले कुछ महीनों में देश में तेल का उत्पादन 11 फ़ीसदी तक गिर गया है।
पाकिस्तान के पास कितना है तेल
यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (US Energy Information Administration) के अनुसार, पाकिस्तान में 9 अरब बैरल तक पेट्रोलियम भंडार हो सकता है, लेकिन इन भंडारों की व्यावसायिक रूप से व्यवहार्यता अभी तक सिद्ध नहीं हुई है। वहीं, सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान के पास लगभग 33.2 करोड़ बैरल का तेल भंडार है, जो दुनिया के कुल भंडार का केवल 0.021% है। पाकिस्तान पेट्रोलियम इन्फ़ॉर्मेशन सर्विसेज़ के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक देश में तेल के भंडार दो करोड़ 38 लाख बैरल तक थे।
पाकिस्तान में कहां कहां हैं तेल के कुएं
सिंध: इस प्रांत में सबसे ज़्यादा कुएं (लगभग 247) हैं।
पंजाब: यहां 33 कुएं हैं।
खैबर पख्तूनख्वा: इस प्रांत में 15 कुएं हैं।
बलूचिस्तान: यहां तेल के चार कुएं हैं।
“विशाल भंडार” के दावे और वास्तविकता
2024 में पाकिस्तानी मीडिया में यह दावा किया गया था कि समुद्री क्षेत्र में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल और गैस भंडार मिला है, जिसे “नीला खजाना” नाम दिया गया था। हालांकि, कई कंपनियों ने 5500 मीटर तक खुदाई की, लेकिन कोई महत्वपूर्ण भंडार नहीं मिला। तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कराची के तट के पास तेल भंडार मिलने का दावा किया था, लेकिन यह दावा भी साबित नहीं हो पाया।
हालांकि 2021 में ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के ज़िला लकी मरवत के एफ़आर इलाक़े बीटनी ने गैस और तेल के भंडार खोजे थे और जून 2022 में माड़ी पेट्रोलियम कंपनी ने उत्तरी वज़ीरिस्तान में बन्नूं वेस्ट ब्लॉक के तहसील शेवा में गैस और तेल के बड़े भंडार निकाले थे, जो ऐसी आख़िरी बड़ी खोज थी।
संक्षेप में, भले ही पाकिस्तान में तेल और गैस के कुछ भंडार मौजूद हैं, लेकिन वे देश की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इन भंडारों को निकालने के लिए भारी निवेश और उन्नत तकनीक की आवश्यकता है, जिसकी पाकिस्तान में कमी है। इस कारण से, “विशाल तेल भंडार” के दावे अभी तक सिर्फ अटकलों और राजनीतिक बयानों तक ही सीमित रहे हैं।
ट्रंप ने क्यों किया दावा, दावे में कितनी सच्चाई
ट्रंप का दावा पाकिस्तान के अपतटीय सिंधु बेसिन में किए गए हालिया भूकंपीय सर्वे के कारण सामने आई है। कहा जा रहा है कि इन सर्वे में कुछ ऐसी भूवैज्ञानिक संरचनाएं मिली हैं जिनमें हाइड्रोकार्बन हो सकते हैं। डस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी संरचनाएं वैश्विक पेट्रोलियम मानकों के तहत ‘ विशाल भंडार’ के रूप में योग्य नहीं हैं। क्योंकि इसे कैटेगराइज करने के लिए ड्रिलिंग करने के बाद साबित करना होगा। यह सच में पेट्रोलियम भंड़ार है, इसका पता लगाने के लिए वित्तीय और तकनीक की आवश्यकता होगी।
क्या झूठे ख्वाब दिखा रहे हैं ट्रंप
पाकिस्तान में तेल का भंड़ार वाला ट्रंप का बयान भारत की रूसी तेल पर निर्भरता पर एक कटाक्ष की तरह है। कहा जा रहा है कि यह भारत पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान को संभावित तेल निर्यातक के रूप में पेश करना ट्रंप का एक प्लान हो सकता है जिससे वह पाकिस्तान को यह महसूस करा रहे हैं कि अमेरिका उसका महत्वपूर्ण साझेदार है। यह अमेरिका के पाकिस्तान को रणनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश भी हो सकती है ताकि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने को आगे आए।