
प्रज्वल रेवन्ना केस
बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना को मेड के साथ रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है और 11.50 लाख का जुर्माना लगाया है। अदालत ने प्रज्वल के अश्लील वीडियो वायरल होने के 15 महीने बाद उसे सजा सुनाई है। 24 अप्रैल 2024 को प्रज्वल के अश्लील वीडियो से भरी हुई सैकड़ों पेन ड्राइव एक स्टेडियम में मिली थीं। इसके बाद उसके खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए और पहले मामले में उसे सजा हो चुकी है। अन्य तीन मामलों में सुनवाई चल रही है। कर्नाटक के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार के किसी व्यक्ति को इतने कम समय में सख्त सजा सुनाकर अदालत ने न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा मजबूत किया है।
प्रज्वल को दोषी साबित करने के लिए पुलिस ने जेनिटल फीचर मैपिंग का इस्तेमाल किया। भारत में यह पहला मौका था, जब पुलिस इस तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे पहले यह तकनीक तुर्किये जैसे देशों में इस्तेमाल की जाती थी। आइए जानते हैं कि जेनिटल फीचर मैपिंग क्या है, प्रज्वल के मामले में कैसे इसका इस्तेमाल हुआ और इस तकनीक ने कैसे प्रज्वल को दोषी साबित करने में मदद की।
क्या है प्रज्वल का मामला?
2019 में हासन लोकसभा सीट से सांसद बने प्रज्वल रेवन्ना ने 2024 लोकसभा चुनाव में भी दावेदारी पेश की थी। हासन सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होना था। इससे दो दिन पहले प्रज्वल के अश्लील वीडियो वाली कई पेन ड्राइव सामने आईं। ऐसे में जेडीएस ने उसे पार्टी से निलंबित कर दिया और वह सांसदी नहीं बचा सका। पुलिस से बचने के लिए प्रज्वल 26 अप्रैल को विदेश भाग गया। 31 मई को वापस लौटा तो पुलिस ने बेंगलुरु एयरपोर्ट से उसे गिरफ्तार किया। इससे पहले ही उसके खिलाफ मामला दर्ज हो चुका था और पुलिस की जांच भी शुरू हो चुकी थी। पुलिस ने 1632 पन्नों की चार्जशीट में इलेक्ट्रॉनिक और गैर-इलेक्ट्रॉनिक सबूत के साथ 183 डॉक्यूमेंट पेश किए। 26 गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए। 2 मई को सुनवाई शुरू हुई और लगातार सुनवाई चली। 18 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद 2 अगस्त को उसे दोषी करार दिया गया।
प्रज्वल रेवन्ना केस
क्या था आरोप?
प्रज्वल पर 50 से ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के आरोप हैं। अलग-अलग पेन ड्राइव में प्रज्वल के दो हजार से ज्यादा अश्लील वीडियो थे। हालांकि, उसके खिलाफ चार मामले ही दर्ज हुए और सिर्फ एक में सजा मिली है। उसे मेड से दो बार दुष्कर्म करने के मामले में दोषी ठहराया गया है। तीन अन्य मामलों में अभी पुलिस की जांच चल रही है।
क्या है जेनिटल फीचर मैपिंग?
जेनिटल फीचर मैपिंग एक फॉरेंसिक तकनीक है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के अंगों, विशेष रूप से जननांगों की पहचान विशिष्ट विशेषताओं की तुलना करके की जाती है। इस तकनीक में, विशेषज्ञ उच्च-रिजॉल्यूशन वाले फोटो/वीडियो के जरिए से शारीरिक विशेषताओं (जैसे त्वचा की बनावट, निशान, या अन्य विशिष्ट चिह्न) का विश्लेषण करते हैं और इनका मिलान उस व्यक्ति की शारीरिक विशेषताओं से करते हैं। यह तकनीक विशेष रूप से उन मामलों में उपयोगी होती है, जहां वीडियो या छवियों में चेहरा स्पष्ट नहीं होता, लेकिन अन्य शारीरिक विशेषताएं पहचान के लिए उपलब्ध होती हैं। इस प्रक्रिया में त्वचा रोग विशेषज्ञ मूत्र रोग विशेषज्ञ और फॉरेंसिक विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं, जो मेडिकल प्रोटोकॉल के तहत शारीरिक तुलना करते हैं। यह तकनीक फिंगरप्रिंट या डीएनए विश्लेषण की तरह ही विशिष्ट पहचान स्थापित करने में सक्षम होती है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक बनावट अलग होती है।
प्रज्वल केस में कैसे हुआ जेनिटल फीचर मैपिंग का उपयोग?
प्रज्वल रेवन्ना मामले में भारत में पहली बार जेनिटल फीचर मैपिंग का उपयोग हुआ। प्रज्वल के वायरल वीडियो की जांच के दौरान फॉरेंसिक टीम ने पाया कि वीडियो असली थी और उन्हें प्रज्वल के फोन से ही रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि, जिस मामले में सुनवाई हो रही थी, उससे जुड़े वीडियो में प्रज्वल का चेहरा नहीं दिख रहा था। ऐसे में मेडिकल के दौरान प्रज्वल के कपड़े उतारकर फोटो खींची गईं। इन फोटो में प्रज्वल के अंगों का मिलान वायरल वीडियो में दिख रहे अंगों से किया गया। मिलान सफल रहा और इसने प्रज्वल को दोषी साबित करने में अहम रोल अदा किया। इसके साथ ही प्रज्वल की आवाज का मिलान भी सफल रहा।
प्रज्वल रेवन्ना केस
अटल बिहारी वाजपेयी रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रज्वल रेवन्ना का मेडिकल टेस्ट किया गया, जिसमें उनके जननांगों की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें ली गईं। इन तस्वीरों का मिलान वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट्स से किया गया। फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि दोनों में शारीरिक विशेषताएं (जैसे कमर, हाथ, और जननांगों की बनावट) पूरी तरह मेल खाती थीं।
जेनिटल फीचर मैपिंग ने कैसे की मदद?
जेनिटल फीचर मैपिंग ने प्रज्वल रेवन्ना मामले में निर्णायक सबूत प्रदान किया, जिसके आधार पर उनकी पहचान पुख्ता हुई और सजा सुनिश्चित हुई। यह तकनीक फॉरेंसिक विज्ञान में एक नया आयाम जोड़ती है, खासकर उन मामलों में जहां पारंपरिक सबूत (जैसे चेहरा या प्रत्यक्ष गवाही) उपलब्ध न हों। इस तकनीक के बिना यह साबित करना मुश्किल होता कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति प्रज्वल ही है। ऐसे में उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला साबित करना मुश्किल होता। अगर मामला साबित भी होता तो उम्रकैद की सजा मिलना मुश्किल था, क्योंकि अपराध की गंभीरता कोर्ट में साबित नहीं होती। पुलिस ने जेनिटल फीचर मैपिंग के जरिए यह साबित कर दिया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति प्रज्वल ही है। इसके बाद जज के लिए सख्त सजा सुनाना आसान हो गया।
जज ने क्या कहा?
कर्नाटक हाईकोर्ट की वेबसाइट पर 45 पेज का पीडीएफ मौजूद है, जिसमें इस केस की पूरी जानकारी है। न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने प्रज्वल रेवन्ना को रेप का दोषी ठहराते हुए अपने फैसले में एसआईटी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि, “एसआईटी ने सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया है और संभवतः यह राज्य का पहला मामला है, जिसमें एसआईटी ने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से वीडियो में मिले कमरे के वातावरण की तस्वीरों को जांच के दौरान वैज्ञानिक रूप से ली गई तस्वीरों के साथ मिलाने और तस्वीरों के पैटर्न और आवाज का वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण करने का अनुरोध किया था।”