
सोनाली बेंद्रे।
बॉलीवुड, एक ऐसी मायावी दुनिया जहां रोशनी की चमक में सपनों की परछाइयां उभरती हैं और हर नया चेहरा किसी सितारे के उभरने की आहट देता है। इसी मायानगरी में एक मासूम सी लड़की ने कदम रखा था, एक लड़की जो अपने स्ट्रेट बालों, मासूम आंखों और प्यारी मुस्कान के साथ फिल्मी दुनिया में आई थी। 90 के दशक की चमक-दमक से भरी उस दुनिया में कर्व्स और घुंघराले बालों की मांग थी, सोनाली बेंद्रे नाम की यह अभिनेत्री उन मानकों से थोड़ी अलग थीं। स्लिम बॉडी और शार्प चेहरे के चलते उन्हें कई रिजेक्शन झेलने पड़े, लेकिन एक्ट्रेस डटी रहीं और अपना अलग मुकाम बनाया और आज सबसे खूबसूरत एक्ट्रेसेज में गिनी जाती हैं।
इस एक्टर के साथ किया डेब्यू
सिर्फ 19 साल की उम्र में सोनाली ने सिल्वर स्क्रीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, वो भी किसी आम अभिनेता के साथ नहीं, बल्कि बॉलीवुड के डांसिंग सुपरस्टार और कॉमिक किंग गोविंदा के साथ। फिल्म थी ‘आग’, जो साल 1994 में रिलीज हुई। भले ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर आग नहीं लगा पाई, लेकिन सोनाली की सादगी और उनकी ऑन-स्क्रीन मौजूदगी ने दर्शकों का ध्यान जरूर खींचा। उनकी आंखों में एक खामोश चमक थी, जो कहती थी कि ये शुरुआत भर है।
जब खूबसूरती पर उठे सवाल
आज जहां पतला होना ग्लैमर की कसौटी माना जाता है, उस दौर में सोनाली को ठीक इसके उलट सुनना पड़ा। उन्होंने एक इंटरव्यू में खुद बताया कि कैसे उनकी पतली काया और सीधे बालों ने उन्हें कई फिल्मों से दूर कर दिया। एक्ट्रेस की पतनी कमर उनके काम के आड़े आने लगी थी। उन्होंने कहा, ’90 के दशक में कर्व्ड फिगर और घुंघराले बालों का जमाना था। मैं उनमें फिट नहीं बैठती थी, इसलिए कई फिल्मों से मुझे बाहर कर दिया गया।’ लेकिन सोनाली ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने भीतर के आत्मविश्वास को कभी डगमगाने नहीं दिया।
स्क्रीन पर बनीं दिलों की धड़कन
सोनाली बेंद्रे का करियर धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा। गोविंदा के साथ शुरुआत के बाद उन्होंने सलमान खान के साथ ‘हम साथ-साथ हैं’, अजय देवगन के साथ ‘दिलजले’ और अक्षय कुमार के साथ ‘अंगारे’ जैसी फिल्मों में काम किया। इतना ही नहीं सोनाली तीनों खान, शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान की हीरोइन बनीं। इन फिल्मों में उन्होंने भले ही हमेशा लीड रोल न निभाया हो, लेकिन उनका स्क्रीन प्रेजेंस और सौम्यता ने हर फ्रेम को खास बना दिया। वह ऐसी अभिनेत्री बन गईं, जो पर्दे पर आने भर से एक अलग सुकून और शांति ले आती थीं। 90 के दशक के उत्तरार्ध में सोनाली कई पारिवारिक और रोमांटिक फिल्मों में नजर आईं और अपने शांत अभिनय और सुंदरता से दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली। वह ग्लैमरस हुए बिना भी ग्लैमरस थीं, उनमें एक तरह की सादगी थी जो आज कम ही देखने को मिलती है।
क्षेत्रीय सिनेमा में भी चमका सितारा
हिंदी सिनेमा की सीमाओं को लांघते हुए सोनाली ने दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी कदम रखा और वहां भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। महेश बाबू के साथ उनकी फिल्म मुरारी एक ऐसी फिल्म बनी जिसने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी जगह बनाई। महेश बाबू के साथ उनकी केमिस्ट्री और अदायगी ने यह साबित कर दिया कि सोनाली केवल एक हिंदी फिल्म एक्ट्रेस नहीं थीं, बल्कि एक बहुभाषी कलाकार थीं। इसके अलावा उन्होंने नागार्जुन और चिरंजीवी जैसे दक्षिण भारत के दिग्गज अभिनेताओं के साथ भी काम किया।
किया शादी का फैसला
तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे करियर के बीच ही सोनाली बेंद्रे की शादी 12 नवंबर 2002 को फिल्ममेकर गोल्डी बहल से हुई। शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से धीरे-धीरे दूरी बनानी शुरू कर दी और 2004 के बाद वह बड़े पर्दे पर कम ही नजर आईं। उन्होंने पारिवारिक जिंदगी को प्राथमिकता दी और अपने बेटे रणवीर के जन्म के बाद पूरी तरह अभिनय से विराम ले लिया। हालांकि इस बीच वह रियलिटी शोज में जज बनकर और कुछ टेलीविजन प्रोजेक्ट्स के जरिए सक्रिय रहीं।
कैसर से लड़ी जंग
सालों तक लाइमलाइट से दूर रहने के बाद जुलाई 2018 में सोनाली ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्हें हाई-ग्रेड मेटास्टेटिक कैंसर स्टेज 4 डायग्नोस हुआ था। उन्होंने यह खबर सोशल मीडिया के जरिए साझा की और बताया कि वह इलाज के लिए न्यूयॉर्क गई हैं। इस मुश्किल घड़ी में भी सोनाली ने साहस और सकारात्मकता का उदाहरण पेश किया। कैंसर जर्नी के दौरान उन्होंने अपनी तस्वीरें और अनुभव साझा किए, जिससे लाखों लोगों को प्रेरणा मिली। इलाज के बाद वह धीरे-धीरे ठीक हुईं और फिर से पब्लिक लाइफ में लौट आईं।