RSS praise Modi speech, PM Modi RSS controversy- India TV Hindi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS चीफ मोहन भागवत।

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी कि RSS की जमकर तारीफ की, जिसके बाद सियासी हलकों में हंगामा मच गया। पहली बार लाल किले से RSS का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि अगले महीने, यानी 27 सितंबर को संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होंगे। उन्होंने RSS की सदी लंबी राष्ट्रसेवा को गौरवमयी बताते हुए कहा, ‘सेवा, समर्पण और अनुशासन RSS की पहचान है। यह दुनिया का सबसे बड़ा NGO है। मैं इसके सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक याद करता हूं।’

‘संघ की विचारधारा संविधान के खिलाफ’

मोदी के इस बयान पर विपक्ष ने तुरंत हमला बोला। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा, ‘मोदी की कुर्सी मोहन भागवत की कृपा पर टिकी है। लाल किले से RSS की तारीफ करके उन्होंने भागवत को खुश करने की कोशिश की।’ AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘अगर मोदी को RSS की तारीफ करनी थी, तो नागपुर जाकर करते। संघ की विचारधारा संविधान के खिलाफ है। लाल किले से इसकी तारीफ करके मोदी ने गलत परंपरा शुरू की।’ कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी RSS और मोदी पर निशाना साधा। 

RJD और सपा नेताओं ने भी साधा निशाना

RJD नेता मनोज झा ने कहा कि मोदी ने आज प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि BJP के नेता के तौर पर भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें RSS का जिक्र करना था, तो आजादी की लड़ाई में उसके योगदान की बात करते। वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि BJP का संविधान समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है, लेकिन RSS न समाजवाद मानता है, न सेक्युलरिज्म। उन्होंने कहा कि मोदी तय करें कि उन्हें किस रास्ते पर चलना है, अगर RSS से इतना प्यार है तो BJP का संविधान बदल लें।

BJP ने विपक्ष पर किया जवाबी हमला

BJP ने विपक्ष के हमलों का करारा जवाब दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘कांग्रेस की आंखों पर पट्टी बंधी है। उसे डॉ. हेडगेवार और RSS स्वयंसेवकों का समर्पण नहीं दिखता। कांग्रेस चाहती है कि स्वतंत्रता संग्राम का सारा क्रेडिट गांधी-नेहरू परिवार को मिले।’ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘राष्ट्र निर्माण में RSS का सबसे बड़ा योगदान है। बाढ़, सूखा, कोरोना या युद्ध, हर मुश्किल वक्त में RSS स्वयंसेवक सबसे पहले सेवा के लिए आगे आते हैं। इसे राष्ट्रविरोधी कहना गलत है।’

RSS ने विपक्ष को याद दिलाया इतिहास

RSS ने भी विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। संगठन ने याद दिलाया कि 1962 के युद्ध में पंडित नेहरू और 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने RSS से मदद ली थी और उसे सम्मान दिया था। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पंडित मदन मोहन मालवीय ने संघ के लिए कार्यालय बनवाया था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी RSS के दशहरा कार्यक्रम में शिरकत कर उसकी निस्वार्थ सेवा की तारीफ की थी। RSS ने कहा, ‘हमारा संगठन पिछले 100 साल से वनवासी कल्याण परिषद, विद्या भारती, सेवा भारती, एकल विद्यालय और राष्ट्र सेविका समिति जैसे संगठनों के जरिए समाज सेवा में जुटा है। हमारी निष्ठा और समर्पण पर सवाल उठाना बेमानी है।’

सियासी मजबूरी या वैचारिक टकराव?

कुछ नेताओं ने सवाल उठाया कि मोदी ने RSS को NGO क्यों कहा? RSS ने जवाब दिया कि वह 100 साल से समाज के हर क्षेत्र में सेवा कार्य कर रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि RSS की तारीफ पर विपक्ष का विरोध वैचारिक कम, राजनीतिक मजबूरी ज्यादा है। कई नेताओं को लगता है कि RSS को निशाना न बनाया, तो उनका वोटबैंक नाराज हो सकता है। कुछ भी हो, लाल किले से RSS की तारीफ ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। मौजूदा बहस ने एक बार फिर RSS और उसकी विचारधारा को राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है। अब देखना यह है कि यह सियासी जंग आगे कहां जाती है।

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