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‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा के सवालों के जवाब देते बाबा बागेश्वर।

नई दिल्ली: ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा के साथ एक बेबाक इंटरव्यू में बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ‘ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भूत-प्रेत और अलौकिक गतिविधियों के बारे में पढ़ाई करने’ की अपनी इच्छा व्यक्त की। इस इंटरव्यू में बाबा बागेश्वर ने यह भी बताया कि कैसे उनकी मां ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया था और कहा था, ‘और ऊंचे पद पर जाओ।’ पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने लंदन प्रवास, न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री से मुलाकात और मॉरीशस के राष्ट्रपति का पर्चा निकालने के बारे में कई मजेदार किस्से सुनाए।

ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज में पढ़ाई पर

जब उनसे पूछा गया कि वह किस विषय में पीएचडी करना चाहते हैं, तो धीरेंद्र शास्त्री ने कहा: ‘पीएचडी को लेकर हमारा उद्देश्य है कि कैम्ब्रिज या ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो और भूतों पर हो। ये सुनकर के आप बहुत हंसेंगे। एक विषय अभी शुरू हुआ है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी, कैम्ब्रिज में भी और अमेरिका की बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ में एक विषय हुआ है पैरानॉर्मल। पैरानॉर्मल का एक सब्जेक्ट स्टार्ट हुआ है। पैरानॉर्मल अदृश्य शक्तियां। भूतों के बारे में जानना, हमारा काम ही है भूत भगाना। इस देश में बहुत से लोग हमारे ऊपर उंगली उठाते हैं। इस देश में हमारे ऊपर बहुत से लोग लांछन लगाते हैं। कहते हैं अंधविश्वास फैलाते हैं, और ख़ास करके महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कुछ सदस्यों ने हमारे ऊपर उंगली उठाई थी, तो उसी दिन हमने विचार कर लिया था। इसका प्रमाण पत्र भी लेकर के आएंगे और तथ्य के साथ में हम कार्य करेंगे। अभी गुरु के द्वारा ज्ञान से ये कर रहे हैं। विज्ञान को जोड़कर के पीएचडी करके पैरानॉर्मल पर काम करके लोगों की नकारात्मकता को दूर करेंगे।’

राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात पर

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने याद किया कि कैसे उन्होंने अपनी मां से कहा था कि वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सिर पर हाथ न रखें क्योंकि वे राष्ट्राध्यक्ष हैं। इसी साल फरवरी में, राष्ट्रपति बागेश्वर धाम में उन 251 जोड़ों को आशीर्वाद देने आई थीं जिनका विवाह बाबा ने करवाया था। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, ‘हम लोग गांव के लोग हैं और सीधे-साधे। हमारी मां भी बहुत सीधी है। पढ़ी-लिखी नहीं है। पर मां तो मां होती है। कैसी भी हो, मां तो मां होती है। तो राष्ट्रपति जी जब 26 फरवरी को धाम पर बालाजी के दर्शन कर रही थीं तो हवन करने पहुंचीं। उन्होंने पूछा कि आपकी माताजी कहां हैं? हमने कहा कि माताजी हैं तो यहीं गांव में ही, पर प्रोटोकॉल के कारण पुलिस बहुत लगी तो आ नहीं पाईं। उन्होंने कहा कि बुलवाओ और हमको मिलना है। ऐसी मां के दर्शन करना है। उनके ऐसे शब्द थे। तो फिर अंदर आईं माताजी और ग्रीन रूम में उनसे मिलीं।’

बाबा बागेश्वर ने आगे कहा, ‘हमने माताजी को समझाया भी कि उनकी आदत है कि कोई भी प्रणाम करे तो सिर पर हाथ रख देती हैं। तो हमने उनको समझाया कि महामहिम राष्ट्रपति महोदय देश की प्रथम नागरिक हैं, इसलिए ऐसे दूर से ही हाथ जोड़ लेना। वह तो भोली-भाली। राष्ट्रपति महोदया ने मां से कहा कि आप बहुत भाग्यशाली हो, ऐसा बेटा पाया है। इतनी कन्याओं का घर बसा रहा, इतनी बेटियों का धर्मपिता बना। आपको हम देखकर के बहुत खुश हुए हैं। तो दोनों गले मिले और जैसे ही उन्होंने ऐसी बातें कहीं तो माताजी हमारी बात भूल गईं। उन्होंने तुरंत सिर पर हाथ धर के कह दिया, और ऊंचे पद पर जाओ। हमने हाथ पकड़ कर कहा ये देश की प्रथम नागरिक हैं और इससे ऊंचा पद कुछ नहीं होता है। लेकिन राष्ट्रपति महोदया भी इतनी सरल, इतनी विनम्र। उन्होंने उसको गलत नहीं लिया और वह हंसने लगीं। उनके लिए साड़ी लेकर आईं। फिर उन्होंने साड़ी भी दी। बोलीं बहुत अच्छा है, बहुत अच्छा है।’

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री से मुलाकात

इस साल जून में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री से मुलाकात को लेकर बाबा बागेश्वर ने कहा,’जैसे अभी लास्ट दिनों में हम न्यूजीलैंड गए तो वहां के प्रधानमंत्री हमको मिलने आए। बड़ी टेंशन थी और 2–3 घंटे पहले प्रेशर था माइंड पर, क्या बोलेंगे हम, क्या बोलेंगे। भारत में तो प्रधानमंत्री मिले थे तो हिंदी बोलते थे। बढ़िया काम चल गया। अब यहां क्या बोलेंगे? जैसे ही हम मिले उन्होंने कहा वेलकम, वेलकम, वेलकम। तो हमने भी कहा थैंक यू, थैंक यू, थैंक यू, थैंक यू। अब क्या बोल दें? हमें यही आती है। तो फिर हमने अंत में यही कहा कि सॉरी, आई कैन नॉट स्पीक इन इंग्लिश, बट आई अंडरस्टैंड। तो हम यही कहेंगे जो हमने भूल की, वह बाकी बच्चे न करें। पढ़ना बहुत जरूरी है। अपने बच्चों को आप कपड़े देना या न देना, सम्पत्ति देना या न देना, बच्चों को शिक्षा जरूर देना। यदि अपनी बेटियों को शिक्षा और अच्छे संस्कार देंगे तो वे अपनी शिक्षा के बल पर मकान भी बना लेंगी, दुकान भी बना लेंगी। इसका मतलब ये नहीं है कि हम अंग्रेजी सीख नहीं सकते, सीख सकते हैं। इसका मतलब ये भी नहीं कि हमें अंग्रेजी सीखने की ललक नहीं है। दोनों हैं, पर कारण भी है कि हमारी हिंदी का, हमारे हिंदुत्व का प्रचार होना चाहिए।’

मॉरीशस में निकाला राष्ट्रपति का पर्चा

रजत शर्मा द्वारा यह पूछे जाने पर कि जब उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी, तो उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपति का पर्चा कैसे निकाला, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया, ‘मॉरीशस में वहां के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों से मिले थे। हमारे एक चेले ने कहा कि गुरुजी आप आशीर्वाद देंगे तो अच्छा रहेगा। हमारे दिमाग में था कि ये कैसे होगा। हमने हनुमान जी से निवेदन किया कि आप कृपा करो, लाज रखो। हमने गुरु महाराज से प्रार्थना की, प्रणाम किया और उन्होंने अद्भुत लाज रख ली। पहले उनके पीए ने 15 मिनट का वक्त दिया था जिसे बढ़ाकर 30 मिनट कर दिया। वहां एक ट्रांसलेटर था। मुझसे पूछा गया कि क्या आपने पहले ही पर्चा बनाकर रख लिया? हमने कहा कि 15 मिनट में तो हमें यही समझ में आएगा कि बोल क्या रहे हैं, फिर हम क्या बोलेंगे। हमारा इंजन एक-डेढ़ घंटे में गरम होता है। तो फिर हमने हनुमान जी का नाम लिया, अपने गुरु भगवान का। उन्होंने लाज रख दी। हमने ट्रांसलेटर से कहा कि कह दो ऐसा–ऐसा लफड़ा है और ऐसा–ऐसा है। वह पर्चा बताने योग्य नहीं। जैसे ही मैंने ये कहा तो उन्होंने सिक्योरिटी से ‘गो, गो, गो, गो’ कहा और दरवाजा बंद कर दिया। हम तीनों वहां डेढ़ घंटे तक बैठे रहे। उन्होंने बढ़िया चाय-पानी पिलाया। हमने मन ही मन बाबा जी से कहा, जय बजरंग बली। ट्रांसलेटर बहुत खुश हुआ। उसने बाद में बताया कि हमको पहली बार पता लगा कि हमारे साहब के इतने राज हैं।’

अनंत अंबानी की शादी

पिछले साल जुलाई में अनंत अंबानी की शादी के रिसेप्शन में शामिल होने के लिए अंबानी परिवार ने ऑस्ट्रेलिया में एक खास प्लान क्यों भेजा, यह पूछे जाने पर धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया: ‘हम वहां बुलाए गए। उन्होंने जो कार्य किया, अभूतपूर्व किया। अपनी विवाह परंपरा को, मांगलिक कार्य को, उत्सव को महोत्सव बनाया और सनातन संस्कृति के साथ मनाया। इस देश में अमीर बहुत हैं, पर ऐसी अमीरी होनी चाहिए जिसमें साधु भी हो, देश का नेता भी हो, देश का अभिनेता भी हो, और संत भी हो, महंत भी हो, आदर भी हो, सत्कार भी हो, त्योहार भी हो, उत्सव भी हो। हमें ये बात जंची है। उन्होंने कहा कि आपको आना है और अनंत ने फोन लगाकर कहा कि हम तब तक दूल्हा नहीं बनेंगे जब तक आप आओगे नहीं। वह हमें दादा कहते हैं। हमने कहा कि हम ऑस्ट्रेलिया में हैं, हमारी कथा है, कथा छूट जाएगी तो दक्षिणा भी नहीं मिलेगी, बड़ी आफत हो जाएगी। तो उन्होंने कहा आप टेंशन न लो, आपकी कथा पर हम प्लेन भेजेंगे। तो उन्होंने फिर बड़ी वाली चील गाड़ी (चार्टर्ड प्लेन) भेज दी। उन्होंने बड़ी भारी गाड़ी भेजी। उसमें हम बढ़िया सोते चले आए। उसी में नहाने की व्यवस्था थी। गजब का हवाई जहाज था। हम तो भगवान से कह रहे थे कि ऐसी हर बार भेजें जो जो हमको बुला रहे। अब आपने नहीं भेजी है, वह आपकी कमी है।’

रजत शर्मा: और रोल्स रॉयस भी भेजी उन्होंने एयरपोर्ट से लेने के लिए?

धीरेंद्र शास्त्री: ‘वह दूसरी बार में वंतारा गए थे। तो वंतारा में वहां पर एक छोटा सा कार्यक्रम था, अनुष्ठान क्रम था। सच बताएं, जितने भी हैं अपने बाप की कुछ भी नहीं, मिलती है थोड़ी देर के लिए। मेहमान जैसी जिंदगी में पूरी दुनिया मेहमान है, आती है, चली जाती है। तो हमने भी रोल्स रॉयस पर बैठकर मजा ले लिया। उल्टा गेट खुलता है।’

अपनी आलीशान लाइफस्टाइल पर

जब रजत शर्मा ने उन्हें ब्रांडेड चश्मा और जैकेट पहने उनकी तस्वीरें दिखाईं, तो धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया: ‘नहीं, एक ही है। बाकी तो बहुत लो क्वालिटी के 60–60 रुपये वाले भी हैं और 20 रुपये वाले भी। मेरे शिष्य मुझे ये सब देते हैं। मुझसे प्रेम करते हैं। कहते हैं, गुरुजी आप एक बार पहन के दिखा दो, हमें खुशी होगी। हम पहन लेते हैं। हमें लगता है कि यह बुरा नहीं है। हमने न तो कभी संन्यास लिया, न हम साधु। जब साधु नहीं हैं, न हमने ऐसी कोई घोषणा की, तो ये पहनना बुरा नहीं है।’

शास्त्री ने आगे कहा, ‘जब इस देश में बलात्कार करने वाला करोड़ों के मकानों में रह सकता है, नाचने वाला अरबों–खरबों के बंगलों में रह सकता है, तो एक साधु को कोई दे दे और वह चश्मा पहन ले, तो वह जी सकता है यार। ये कोई बुराई नहीं है। हां, हमारी आसक्ति भी नहीं है, अनासक्ति भी नहीं है, अपेक्षा भी नहीं है, और मना भी नहीं है। अपेक्षा ही नहीं है कि रोल्स रॉयस हो। हम बैलगाड़ी पर बैठ गए, पर ये किसी ने खबर नहीं दिखाई। हम महाराष्ट्र में बैलगाड़ी पर गए। वहां पर पूरा कीचड़ मच गया था। हम बैलगाड़ी पर कथा करने गए थे। इस देश में बहुत काम हमने किए, वह खबर किसी ने नहीं दिखाई। पर चश्मा क्या पहन लिया, जैकेट क्या पहन ली, सबने चर्चा कर ली।’

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