
कैसे शुरू हुआ था द्वितीय विश्व युद्ध?
1 सितंबर, 1939… यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि वो काला दिन था, जब इंसानियत ने अपना सबसे बड़ा जख्म देखा। इस दिन दुनिया के इतिहास का सबसे विनाशकारी संघर्ष ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ शुरू हुआ था। यह तबाही कोई अचानक नहीं हुई, बल्कि इसकी जड़ें कई साल पहले से ही नफरत, बदले और अधूरी शांति की मिट्टी में पनप रही थीं। इस महायुद्ध की फौरी वजह भले ही जर्मनी का पोलैंड पर हमला थी, लेकिन इसके पीछे की दास्तान दिल को दहला देने वाली है।
बदले की आग, फिर हिटलर उभरा
जब पहला विश्व युद्ध (1914-1918) खत्म हुआ, तो विजेता ताकतों ने जर्मनी पर वर्साय की संधि थोपकर उसे घुटनों पर ला दिया। यह सिर्फ एक समझौता नहीं था, बल्कि जर्मनी के सम्मान पर एक गहरा वार था। उसे युद्ध का दोषी ठहराया गया, उसकी सेना छीन ली गई और उस पर इतना भारी हर्जाना लादा गया कि उसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। जर्मन लोगों के दिलों में अपमान और बदले की जो आग भड़की, उसी का फायदा उठाकर एक शख्सियत उभरी- एडॉल्फ हिटलर।
हिटलर और उसकी नाजी पार्टी ने जर्मनी के खोए हुए गौरव को वापस लाने का झूठा सपना दिखाया। उसका खूनी मकसद था ‘लेबेन्सराम’ (Lebensraum) यानी ‘जीवन का स्थान’ हासिल करना, जिसके लिए उसे पूर्वी यूरोप को रौंदना था। उसने वर्साय की संधि को एक कागज का टुकड़ा मानते हुए खुलेआम उसका उल्लंघन करना शुरू कर दिया। उसने जर्मनी की सेना को फिर से मजबूत किया और एक-एक करके ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया जैसे देशों को निगल लिया।
हिटलर की हरकतों पर दुनिया की चुप्पी
यह सब कुछ हो रहा था, लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश, जो पहले विश्व युद्ध का नरसंहार देख चुके थे, डर के साये में जी रहे थे। वे किसी भी कीमत पर एक और युद्ध नहीं चाहते थे। उन्होंने हिटलर की शैतानी हरकतों को रोकने के बजाय चुप्पी साधे रखी या मामूली रियायतें दे दीं। उन्हें लगा कि कुछ देकर हिटलर को शांत कर लिया जाएगा, लेकिन उनकी यह भूल इतिहास की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। हिटलर ने उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाया और अपनी बर्बरता को और बढ़ा दिया।
और फिर, 1 सितंबर, 1939…
हिटलर ने सोवियत संघ के साथ एक गुप्त समझौता किया, जिसे ‘मोलोटोव-रिबेंट्रोप पैक्ट’ कहते हैं। इस समझौते में दोनों ने पोलैंड को आपस में बांटने का फैसला किया। हिटलर ने समझा कि अब उसे रोकने वाला कोई नहीं है। और फिर वो दिन आया। 1 सितंबर, 1939 को जर्मनी ने बिना किसी चेतावनी के पोलैंड पर ‘ब्लिट्जक्रीग’ (Blitzkrieg) यानी बिजली की गति से युद्ध के साथ हमला बोल दिया। जर्मन टैंकों ने धरती को रौंद डाला, तोपों ने आग बरसाई और हवाई जहाजों ने आसमान से मौत बरपाई। पोलैंड की सेना इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी और देखते ही देखते उसकी उम्मीदें मिट्टी में मिल गईं।
इसके बाद, ब्रिटेन और फ्रांस ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्होंने हिटलर को पोलैंड से हटने की चेतावनी दी, जिसे उसने अनदेखा कर दिया। 3 सितंबर, 1939 को ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। और इसी के साथ इंसानियत पर एक ऐसा कहर टूटा, जिसने अगले 6 साल तक पूरी दुनिया को अपने खूनी पंजों में जकड़ लिया।
इस युद्ध में करोड़ों बेगुनाहों की जान गई, लाखों यहूदियों को हिटलर ने ‘होलोकॉस्ट’ के नाम पर गैस चैंबरों में तड़पा-तड़पाकर मार डाला। यह युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि मानवता के विवेक पर एक ऐसा काला धब्बा है, जिसने दुनिया का नक्शा और सोच हमेशा के लिए बदल दी।