उपराष्ट्रपति का चुनाव- India TV Hindi

उपराष्ट्रपति का चुनाव

भारत में 15वां उपराष्ट्रपति चुनने के लिए नौ सितंबर यानी मंगलवार के दिन वोटिंग होगी और शाम तक रिजल्ट आने की संभावना है। एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं तो वहीं विपक्ष के इंडिया गठबंधन की तरफ पी सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं। जानकारी के लिए बता दें कि जगदीप धनखड़ ने अचानक 21 जुलाई को अपने स्वास्थ्य की परिस्थितियों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद यह पद खाली हो गया था और अब इसके चुनाव कराया जा रहा है।

अब सबसे अहम ये जानना है कि भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन वोट डालता है? और अगर किसी पार्टी के सदस्य ने विपक्षी दल के उम्मीदवार को वोट दे दिया तो क्या उस पर कार्रवाई भी हो सकती है? जान लेते हैं चुनाव से लेकर रिजल्ट आने तक और उसके बाद क्या क्या होता है?

कैसे और कहां होगी वोटिंग?


जैसा कि हम बता चुके हैं कि इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से दो उम्मीदवार हैं और वोटिंग के लिए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है।उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101, वसुधा में मंगलवार की सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक होगा और वोटिंग खत्‍म होने के एक घंटे बाद यानी शाम छह बजे वोटों की गिनती शुरू होगी और फिर विजयी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया जाएगा। 

Image Source : INDIATV

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

कौन-कौन डाल सकता है वोट?

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदन- राज्‍यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट डालेंगे और इसके साथ ही राज्यसभा के नामित सदस्य भी वोटिंग कर सकते हैं। इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (अभी छह सीटें खाली हैं), राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (अभी एक सीट खाली) हैं। निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं।

क्या है वोटिंग प्रोसेस

उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग प्रोसेस की बात करें तो इसके लिए मतदान  गुप्त तरीके से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STVS) के जरिए होता है। मतदान के लिए जारी मतपत्र सफेद रंग के होते हैं, जिसमें दो कॉलम रहते है, जिसमें से एक कॉलम में हिंदी और इंग्लिश में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है। खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1,2… के रूप में दर्ज करनी होती है। ये वोटर पर निर्भर करता है कि वो हिंदी में दर्ज करे या अंग्रेजी में।

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उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

अब जान लीजिए वोटिंग के तरीके 

निर्वाचक मंडल के सदस्यों को खुद उपस्थित होना होता है और होकर गुप्त वोट डालना होता है और वोट डालते समय किसी की सहायता नहीं ली जा सकती है। अगर कोई सांसद प्रिवेंटिव डिटेंशन में हों, तभी वो डाक से अपना वोट डाल सकते हैं। जैसे कि इस बार के उपराष्ट्रपति के चुनाव में शेख अब्दुल रशीद (बारामूला) और अमृतपाल सिंह (खडूर साहिब) पोस्टल बैलट के लिए वोटिंग कर सकते हैं क्योंकि ये दोनों सदस्य जेल में हैं। 

कैसे होती है वोटों की गिनती?

वोटिंग के बाद शुरू होता है वोटों की गिनती का प्रोसेसे, जिसमें सबसे पहले वैध मत छांटे जाते हैं, वैध मतों में पहली प्रायोरिटी वाले वोटों की सबसे पहले गिनती होती है। अगर किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों में से 50% से अधिक वोट मिल जाते हैं तो उसे विजयी मान लिया जाता है। इसके विपरीत अगर पहले राउंड में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। उसके वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है और यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता।

वोटिंग क्यों है खास, इन बातों को जानना है जरूरी

  • देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव किसी पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाता और ना ही कोई भी पार्टी अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी करती है।

     
  • इस कारण सभी सदस्य अपने मन मुताबिक किसी को भी वोट दे सकते हैं और किसी के लिए दल-बदल विरोधी कानून का प्रावधान लागू नहीं होता।

     
  • सबसे बड़ी बात कि अगर उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी उम्मीदवार को वैलिड वोटों के छठे हिस्से से भी कम वोट मिलते हैं तो उसकी 15 हजार रुपये की प्रतिभूति राशि को जब्त कर लिया जाता है।

     
  • सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर भी सवाल उठाया जा सकता है। 

     
  • याचिका किसी उम्मीदवार या फिर निर्वाचक मंडल के 10 और उससे ज्यादा सदस्यों द्वारा दी जा सकती है। 

     
  • नतीजों को चुनौती सिर्फ 30 दिन के अंदर ही दी जा सकती है।

उपराष्ट्रपति को क्या क्या मिलती हैं सुविधाएं

  • उपराष्ट्रपति को सीधे तौर पर कोई नियमित वेतन नहीं मिलता। हालांकि संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के पदेन सभापति की भूमिका के लिए उन्हें वेतन प्राप्त होता है।

     
  • 2018 में हुए संशोधन के बाद, उपराष्ट्रपति को महीने में 4 लाख रुपये वेतन मिलता है।

     
  • इसके अलावा, एक बड़ा और सुंदर मुफ्त आवास मिलता है। 

     
  • दैनिक भत्ता, ट्रैवल अलाउंस, रेल व हवाई यात्रा, लैंडलाइन फोन, मोबाइल फोन समेत कई सुविधाएं दी जाती हैं।

     
  • उपराष्ट्रपति और उनके परिवार को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं। 

     
  • 24 घंटे हाई सिक्योरिटी के लिए बड़ा स्टाफ मिलता है। 

     
  • प्राइवेट सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी भी दिए जाते हैं। 

     
  • रिटायरमेंट के बाद, वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है।

     
  • पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है।

     
  • टाइप-8 बंगला, एक प्राइवेट सेक्रेटरी, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक भी दिया जाता है।

     
  • एक डॉक्टर, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी नर्स/अटेंडेट भी मिलते हैं।

     
  • पूर्व उपराष्ट्रपति के निधन पर जीवनसाथी को आजीवन टाइप-7 आवास का अधिकार होता है।

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