
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर जबरदस्त अटैक किया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस के ज़माने में सरकार दूसरे देशों के सामने घुटने टेक देती थीं, देशहित को, देश के आत्मसम्मान को किनारे रख देती थी लेकिन अब बदला हुआ भारत है, अगर कोई भारत की तरफ आंख उठाता है तो भारत घर में घुसकर मारता है। नवी मुंबई एयरपोर्ट का उद्घाटन करते समय मोदी ने आपरेशन सिंदूर की बात की। फिर पी. चिंदबरम के बयान की याद दिलाई। कहा, अब तो कांग्रेस के बड़े नेता भी मान रहे हैं कि 2008 के मुंबई हमले के बाद सेना, पाकिस्तान पर हमला करने के लिए तैयार थी लेकिन कांग्रेस की सरकार ने विदेशी दबाव में आकर इसकी अनुमति नहीं दी और अब पूरी दुनिया ने देखा कि भारत कैसे घर में घुसकर दहशतगर्दों के अड्डों को तबाह करता है।
मैंने पी. चिदंबरम का वो इंटरव्यू देखा है जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री मोदी ने किया। चिदंबरम ने जो कहा, उसका मतलब साफ है। एक तो ये कि 26/11 हमले के बाद वो पाकिस्तान पर हमला करना चाहते थे, सेनाएं तैयार थीं। दूसरा, सरकार ने अमेरिका के दबाव में आकर हमला नहीं किया और तीसरा विदेश मंत्रालय ने ये बताया था कि अमेरिका ने action लेने से मना किया है, इसीलिए हम कुछ नहीं कर सकते। ये बात पहले भी सामने आई है पर उस समय के गृह मंत्री पी. चिदंबरम का खुद ये बताना बड़ी बात है। मोदी ने इसका जिक्र इसीलिए किया क्योंकि पाकिस्तान के साथ ceasefire के बाद राहुल गांधी ने बार-बार ये कहा था कि मोदी ने ट्रंप के सामने surrender कर दिया। मोदी ने बाज़ी पलट दी। पहले तो अपने action से बताया कि वो न झुके, न डरे और आज जनता को याद दिला दी कि असल में कांग्रेस की सरकार थी जिसने 26/11 के समय अमेरिका के सामने surrender किया था।
अखिलेश खान से मिले: क्या आज़म मुलायम हुए?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर जाकर आजम खान से मिले। हालांकि अखिलेश यादव अपने साथ रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी को लेकर गए थे लेकिन आज़म खान ने सुबह ही साफ कर दिया था कि वह अखिलेश से वन-टू-वन बात करेंगे, न तो उनके साथ कोई होगा और न ही अखिलेश अपने साथ किसी को लेकर आएं। इसके बाद अखिलेश ने मोहिबुल्लाह नदवी को बरेली में ही छोड़ा और अकेले रामपुर पहुंचे। बंद कमरे में अखिलेश और आजम की दो घंटे तक बात हुई। मीटिंग के बाद आजम खां ने कहा कि वो कोई डाल के पंछी नहीं है कि आज इस डाल पर कल उस डाल पर, वह समाजवादी पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
अखिलेश यादव ने भी आजम खां को समाजवादी पार्टी का सबसे पुराना और सबसे मजबूत दरख्त बताया। अखिलेश ने कहा कि कहने वाले कुछ भी कहते रहें, लेकिन हकीकत यही है कि आजम खां का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहा है। बंद कमरे में हुई मुलाकात में क्या बातें हुईं, ये तो न आज़म ने बताया और न ही अखिलेश ने। लेकिन आजम खान ने सुबह ही साफ कर दिया था कि वो ये भूले नहीं है कि अखिलेश ने उनके विरोध के बाद भी रामपुर से मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिया। इसके बाद नदवी ने मौके बे मौके आजम खां के खिलाफ बयान दिए। यहां तक कहा कि आजम खां सुधार गृह में हैं, उम्मीद है सुधर कर बाहर आएंगे।
असल में मोहिबुल्ला नदवी तुर्क हैं, आजम खान पठान हैं। रामपुर में तुर्कों और पठानों में नहीं बनती। इसीलिए आजम खां नदवी को टिकट देने के खिलाफ थे। अखिलेश ने उनकी बात नहीं मानी, इसलिए आजम खान नाराज थे। अखिलेश दोनों का पैचअप कराना चाहते थे लेकिन आजम खान ने हाथ मिलाने से इंकार कर दिया। इस बात को यूपी के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने पकड़ लिया और इसे अलग अंदाज में पेश किया। राजभर ने कहा कि अखिलेश को डर है कि कहीं आजम खां और शिवपाल मिलकर नई पार्टी न बना लें, इसीलिए अखिलेश को आजम खां की याद आई।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आज़म-अखिलेश की मुलाकात को राजनीतिक मजबूरी बताया। ब्रजेश पाठक ने कहा कि अखिलेश को मजबूरी में आजम की चौखट पर जाना पड़ा क्योंकि रामपुर में उनकी पार्टी की ज़मीन खिसक चुकी है। अखिलेश यादव और आजम खान का रिश्ता पुराना है। आजम खान मुलायम सिंह यादव के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक रहे हैं पर आजम खान का मिज़ाज कुछ ऐसा है कि वो कड़वी बात कहते हैं, लेकिन अंदाज ऐसा है कि कड़वी बात को चाशनी में घोलकर पेश करते हैं। इसीलिए आजम खान की बात के कई-कई मतलब निकाले जाते हैं। इतना जरूर है कि आजम खान आजकल काफी bitter हैं। उन्हें लगता है कि मुसीबत के वक्त में किसी ने उनका साथ नहीं दिया। इसीलिए अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात का हर कोई अपने हिसाब से मतलब निकालने में लगा है। (रजत शर्मा)
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