
Pakistan Police Demolish Ahmadiyya Worship Place
Ahmadiyya In Pakistan: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का हाल बेहाल है। कट्टरपंथी तो जुल्म करते ही हैं लेकिन पुलिस को क्या कहें। अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस की हरकतों को ही बेपर्दा कर दिया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पुलिस ने एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के दबाव में अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय की करीब 50 साल पुरानी इबादतगाह को कथित तौर पर ध्वस्त कर दिया। समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने इस बारे में जानकारी दी है। अहमदिया समुदाय का यह धार्मिक स्थल लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर बहावलनगर में स्थित था।
ऐसे काम करती है पुलिस
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) के अनुसार, कट्टरपंथी पिछले 3 वर्षों से पुलिस पर 1980 में निर्मित इबादतगाह की मीनारों को ध्वस्त करने के लिए दबाव डाल रहे थे। जेएपी ने कहा, “चरमपंथियों (तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का संदर्भ) के दबाव में पुलिसकर्मी इस हफ्ते इबादतगाह पर पहुंचे। उन्होंने वहां मौजूद अहमदिया समुदाय के सदस्यों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और इबादतगाह की लाइटें बंद कर दीं।” संगठन ने कहा, “उन्होंने अभियान चलाकर धार्मिक स्थल को ध्वस्त कर दिया। अभियान पूरा करने के बाद उन्होंने मलबा हटा दिया।”
पुलिस ने दिया गजब का तर्क
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) देश भर में अहमदिया इबादतगाहों को निशाना बनाने में कथित तौर पर शामिल रहा है। समूह का दावा है कि ये इबादगाहें मुस्लिम मस्जिदों के समान हैं क्योंकि इनमें मीनारें हैं। दूसरी ओर, संबंधित पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने स्थानीय अहमदिया समुदाय के बुजुर्गों को बुलाकर अपने इबादतगाहों की मीनारें स्वयं ही ढहा देने को कहा, क्योंकि इससे इलाके के मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई थीं। उन्होंने कहा, “चूंकि अहमदिया लोगों ने निर्देशों का पालन नहीं किया, इसलिए पुलिस को उन्हें ध्वस्त करना पड़ा।”
‘पाकिस्तान में असुरक्षित हैं अहमदिया’
जेएपी के प्रवक्ता आमिर महमूद ने पुलिस की गैरकानूनी कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि पंजाब में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां पुलिस ने अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों की मीनारों को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, खासकर अहमदिया बेहद असुरक्षित हैं और अक्सर धार्मिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं।
पाकिस्तान में अहमदियों के साथ क्या हुआ?
पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल जिया-उल-हक ने अहमदिया लोगों के लिए खुद को मुसलमान कहना या अपने धर्म को इस्लाम कहना दंडनीय अपराध बना दिया था। हालांकि, अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद उन्हें ना केवल खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम के कुछ धार्मिक कर्मकांड का पालन करने पर भी रोक लगा दी गई। (भाषा)
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