
बिहार विधानसभा चुनाव
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के घटक दलों ने काफी माथापच्ची के बाद सीट बंटवारे पर सहमति बना ली है। लेकिन इस फैसले से इसके दो घटक दल, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) संतुष्ट नहीं है। बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) 6-6 सीटें मिली हैं। वहीं चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं।
मांझी, कुशवाहा का दर्द छलका
इस फॉर्मूले पर सभी घटक दलों की ओर से सहमति जताई गई और सोशल मीडिया पर पोस्ट भी शेयर किया गया। लेकिन इन सबके बीच जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का दर्द भी छलक पड़ा। मांझी ने सार्वजनिक तौर पर भी कहा कि हमें कम आंका गया है, लेकिन हम नरेंद्र मोदी का पूरा साथ देंगे। वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी सोशल मीडिया के जरिए अपना दर्द शेयर कर रहे हैं। वहीं चिराग पासवान सीटों की डील में बाजी मार ले गए। ऐसा लग रहा है जैसे चिराग की चमके के आगे मांझी और कुशवाहा फीके पड़ गए हैं।
क्या बोले मांझी?
मांझी ने कहा कि मैं चाहता था कि कम से कम 8 सीट मिले और हमारी पार्टी को मान्यता मिले। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। हम गरीब लोग है जो मिलता है उसी में खुश रहते हैं। उन्होंने कहा कि जनता के हित में , नरेंद्र मोदी करिश्माई नेतृत्व में
सारी सीटें जीत कर एनडीए की की झोली में डाल देंगे। मांझी ने कहा मैं दलित नेता हूं इसलिए मुझे ज़्यादा सीटें नहीं दी गई। चिराग पासवान को जितनी सीटें दी गई मुझे उससे कोई मतलब नहीं है लेकिन मैं चाहता था कि मैं भी ज़्यादा सीटें ले सकता था। लेकिन मुझे जितनी सीटें दी गई है मैं उसमें संतुष्ट हूं लेकिन मैं यह दुखी मन से कह रहा हूं। इससे पहले उन्होंने दिल्ली में रविवार को कहा था कि सिर्फ छह सीट देकर हमें कमतर आंका गया है। इसका असर चुनाव में राजग पर पड़ेगा। मांझी अपनी पार्टी को मान्यता दिलाने के लिए कम से कम 15 सीट की मांग कर रहे थे।
क्या बोले कुशवाहा?
वहीं उपेंद्रकुशवाहा ने सीट बंटवारे की घोषणा के बाद देर रात ‘एक्स’ पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लिखा, ‘‘प्रिय साथियों, मैं आप सबसे क्षमा मांगता हूं। हमें जितनी सीट मिली है, वह आपकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। मैं समझता हूं कि यह फैसला उन साथियों को आहत करेगा जो हमारी पार्टी से उम्मीदवार बनने की उम्मीद रखे थे।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। फिर भी मुझे भरोसा है कि आप सभी मेरी और पार्टी की मजबूरियों को समझेंगे। मैं विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि पहले आप सबका गुस्सा शांत हो जाए, फिर खुद समझ पाएंगे कि यह फैसला कितना सही या गलत था। बाकी बात समय बताएगा।’’
चमक गए चिराग
चिराग पासवान को 29 सीटें मिलना उनके दलित वोट बैंक (पासवान समुदाय) को मजबूत करने की रणनीति है। चिराग पासवान ने इस सीट शेयरिंग में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने शुरू में 40-50 सीटों की मांग की थी, जो जेडीयू को मंजूर नहीं थी। लंबी चर्चाओं के बाद 29 सीटें मिलना उनकी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और जेडीयू के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला। उसकी सीटों की संख्या बढ़ गई थी जबकि जनता दल यूनाइडेट को इसका नुकसान उठाना पड़ा। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में एलजेपी(आरवी) ने 5 सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया, जो उनकी ताकत दिखाता है।
JDU को भी पहले से कम सीटें मिलीं
वहीं बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच भी बिल्कुल बराबरी का मामला है। ऐसा पहली बार हुआ है जब दोनों की सीटें बराबर हैं जबकि इससे पहले हर चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की सीटें बीजेपी से ज्यादा रहती थीं। इस तरह से बड़े भाई और छोटे भाई का मामला अब नहीं रहा। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश की जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि बीजेपी ने 110 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार मामला बराबरी का है। पिछले चुनाव की तुलना में जनता दल यूनाइटेड से करीब 14 सीटें निकल चुकी हैं। कहा जा सकता है कि इससे नीतीश का कद घटता हुआ नजर आ रहा है। यह बीजेपी की बढ़ती ताकत और जेडीयू पर निर्भरता को दर्शाता है।
पीएम मोदी तक पहुंची बात
बताया जाता है कि ये चिराग पासवान के दबाव का ही असर था कि 7-10 अक्टूबर को बातचीत रुकी रही लेकिन पीएम मोदी के हस्तक्षेप और नित्यानंद राय की मध्यस्थता से बीच का रास्ता निकाला गया। चिराग पासवान ने कहा, “मेरे पीएम हैं, तो सम्मान की चिंता नहीं। बिहार तैयार है, एनडीए फिर बनेगी सरकार।” इसके बाद चिराग 29 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए। चिराग को मिली सीटें हाजीपुर, रोसड़ा, जमालपुर जैसी मजबूत पकड़ वाली हैं। यह दलित-ईबीसी वोटों को एकजुट करने में मदद करेगा।
225+ सीटें जीतने का इरादा
एनडीए ने इस बार विधानसभा की 243 में से 225+ सीटें जीतकर मजबूत सरकार बनाने का इरादा जाहिर किया है। हांलांकि अभी जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आएंगी, राजनीति को काफी दिलचस्प दृश्य देखने को मिल सकते हैं। सियासी गलियारों में ऐसी भी चर्चा है कि चिराग पासवान को मिली 29 सीटों में से कुछ बीजेपी के नेता भी चिराग के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं। यह तरकीब पहले के चुनावों में भी आजमाई जा चुकी है। अब सारी निगाहें नामांकन और एनडीए के घटक दलों की ओर से जारी की जाने वाली उम्मीदवारों की लिस्ट पर टिकी है। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे।