
पाकिस्तान के कराची में अफगान बस्ती पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया।
कराची: पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के बाहरी इलाके में स्थित रिफ्यूजी कैंप अफगान बस्ती में बुधवार को पाकिस्तानी अधिकारियों ने तोड़फोड़ और सफाई अभियान चलाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुलडोजर के जरिए इस तोड़फोड़ और सफाई अभियान के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। इस घटना में कुछ लोगों के मामूली रूप से जख्मी होने की खबर है। पुलिस के सीनियर सुपरिंटेंडेंट (वेस्ट) तारिक मस्तोई ने बताया कि यह अभियान इसलिए शुरू किया गया क्योंकि इस बस्ती में रहने वाले करीब 8000 अफगान अपने वतन लौट चुके हैं। उनके पीछे छोड़े गए कंक्रीट के मकान और दुकानें अब लैंड माफिया के कब्जे में आने का खतरा था।
‘यह अभियान 2-3 दिन में पूरा हो जाएगा’
मस्तोई ने कहा, ‘सुबह जब हमने अभियान शुरू किया तो कुछ शरारती तत्वों ने अफवाह फैलाई कि वैध दस्तावेजों वाले अफगानों को भी निशाना बनाया जाएगा। हमने लोगों को समझाया कि ऐसा नहीं है, जिसके बाद हालात काबू में आ गए।’ उन्होंने बताया कि यह अफगान बस्ती 40 साल पहले 200 एकड़ सरकारी जमीन पर बसी थी। यहां करीब 15000 अफगानों ने 3000 से 3500 कंक्रीट के ढांचे बनाए थे। अब इनमें से आधे लोग अपने देश लौट चुके हैं। मस्तोई ने कहा, ‘हम सिर्फ सरकारी जमीन को वापस लेने के लिए इन ढांचों को तोड़ रहे हैं। यह अभियान 2-3 दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद सरकार यह फैसला करेगी कि इस जमीन का क्या करना है।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान ने दशकों तक इन अफगानों का सम्मान किया और उन्हें काम करने की आजादी दी।
‘सरकारी जमीन को खाली कराना जरूरी’
मस्तोई ने कहा, ‘पाकिस्तान ने हमेशा मेहमाननवाजी दिखाई है, लेकिन अब गैरकानूनी रूप से रह रहे अफगानों को वापस भेजने का फैसला लिया गया है, इसलिए सरकारी जमीन को खाली कराना जरूरी है।’ बता दें कि यह अभियान ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सैन्य तनाव चल रहा है। सिविल और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ने इस तोड़फोड़ की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब हजारों अफगान पहले ही अपने देश लौट चुके हैं, तो इस अभियान की जरूरत क्यों पड़ी? हालांकि, पुलिस का कहना है कि यह कदम सिर्फ सरकारी जमीन को सुरक्षित करने के लिए उठाया गया है। इस घटना के बाद इलाके में तनाव बना हुआ है।