
मोहम्मद यूनुस, बांग्लादेश सरकार के अंतरिम कार्यवाहक
ढाका: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार भी अब आंदोलनकारियों के आक्रोश की चपेट में है। मोहम्मद यूनुस की कार्यप्रणालियों से लोग खुश नहीं हैं। लिहाजा छात्र और शिक्षक यूनुस सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच कुछ अज्ञात तत्वों ने मोहम्मद यूनुस द्वारा स्थापित उस ग्रामीण बैंक की एक स्थानीय शाखा में बुधवार को आग लगा दी, जिसकी स्थापना के लिए उन्हें प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।
2 दिन पहले बैंक मुख्यालय पर हुआ था ब्लास्ट
ग्रामीण बैंक की शाखा में आग लगाने की यह घटना राष्ट्रीय राजधानी में बैंक के मुख्यालय के बाहर हुए देसी बम विस्फोट के दो दिन बाद हुई है। बैंक अधिकारियों के अनुसार, ब्राह्मणबाड़िया के बिजॉयनगर उपजिला में बैंक की चंदूरा शाखा के भवन में लगी आग में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। शाखा प्रबंधक कलीम उद्दीन ने संवाददाताओं को बताया, “यह घटना रात करीब दो बजे हुई जब कुछ शरारती तत्वों ने बाहर से पेट्रोल डाला और इमारत में आग लगा दी।” उन्होंने बताया कि गार्ड ने आग देखी और तुरंत अधिकारियों को सूचित किया। स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया।
ढाका में सुरक्षा कड़ी करने का निर्देश
अधिकारियों ने ढाका में चौबीसों घंटे सुरक्षा कड़ी करने का आदेश दिया है, जहां हाल के दिनों में कई देशी बम विस्फोट और एक दर्जन खाली बसों में आग लगाए जाने की घटनाएं हुई हैं। यह आदेश पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अनुपस्थिति में उनके खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमे के मामले में संभावित फैसले से पहले दिया गया है। हसीना की अब भंग हो चुकी अवामी लीग ने सोशल मीडिया पर 13 नवंबर को “ढाका लॉकडाउन” का आह्वान किया है, जब बांग्लादेश का अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बांग्लादेश) हसीना के खिलाफ फैसला सुनाने की तारीख की घोषणा करने वाला है। अभियोजन पक्ष हसीना के लिए मौत की सजा की मांग कर रहा है।
1983 में यूनुस ने की थी ग्रामीण बैंक की स्थापना
सोमवार को ढाका में कई जगहों पर देशी बम विस्फोट हुए, जिसके बाद अधिकारियों को सुरक्षा बढ़ानी पड़ी। ग्रामीण बैंक के मुख्यालय के बाहर तथा मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस के सहयोगी के स्वामित्व वाले एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के बाहर भी विस्फोट हुए थे। वर्तमान में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी और गरीबी उन्मूलन तथा गरीब महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके कार्य के लिए 2006 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। (भाषा)
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