सऊदी अरब में शराब की...- India TV Hindi
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सऊदी अरब में शराब की बिक्री पर अभी भी काफी हद तक बैन है।

Why Alcohol Was Banned in Saudi Arabia | सऊदी अरब को दुनिया में सबसे सख्त शराब नीतियों वाले देशों में गिना जाता है। यहां शराब की बिक्री, खरीद और उपभोग पर पाबंदी है, जो इस्लामी कानूनों पर आधारित है। लेकिन ये बैन अचानक नहीं लगा। इसके बैन के पीछे एक दुखद घटना है जिसमें सऊदी के संस्थापक किंग अब्दुलअजीज को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने पूरे देश में शराब पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया। आज सऊदी अरब में शराब की सिर्फ एक दुकान है और वह भी 2024 में खोली गई थी। आइए, जानते हैं सऊदी अरब में शराब पर बैन की पूरी कहानी।

प्रिंस मिशाल ने शराब के नशे में कर दी थी हत्या

सऊदी अरब की स्थापना 1932 में किंग अब्दुलअजीज अल सऊद, जिन्हें इब्न सऊद भी कहते हैं, ने की थी। उस वक्त शराब की बिक्री कानूनी थी, खासकर विदेशियों के लिए किसी भी तरह की रोक नहीं थी। लेकिन 1951 में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सब बदल दिया। एक दिन किंग के बेटे प्रिंस मिशाल बिन अब्दुलअजीज नशे में धुत थे। जेद्दाह में उन्होंने ब्रिटिश वाइस-कॉन्सुल सायरिल ओसमैन पर गोली चला दी, जिससे ओसमैन की मौत हो गई। ये घटना किंग अब्दुलअजीज के लिए बहुत बड़ा झटका थी। उन्हें इसके बाद इतना गुस्सा आया कि उन्होंने 1952 में पूरे सऊदी अरब में शराब के आयात, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगा दिया।

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किंग अब्दुलअजीज अल सऊद ने 1952 में सऊदी अरब में शराब की बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।

धार्मिक वजहों से प्रेरित नहीं था शराब बैन का फैसला

किंग अब्दुलअजीज का फैसला धार्मिक वजहों से प्रेरित नहीं था, बल्कि उन्हें लगा कि शराब आगे भी ऐसी हिंसा का कारण बन सकती है, जो उनके परिवार और देश की छवि को खराब कर सकती है। उस समय ब्रिटेन जैसे देशों से रिश्ते महत्वपूर्ण थे, और ओसमैन की मौत ने डिप्लोमैटिक संबंधों पर काफी असर डाला था। प्रिंस मिशाल ने ओसमैन पर गोली ही इसलिए चलाई थी कि उन्होंने प्रिंस को तय लिमिट से ज्यादा शराब देने से इनकार कर दिया था। बाद में प्रिंस मिशाल को उम्रकैद की सजा हुई और ओसमैन की पत्नी मुआवजा लेकर चुपचाप ब्रिटेन चली गई। इसके बाद 1952 से शराब सऊदी अरब में गैरकानूनी हो गई, और आम नागरिकों पर ये बैन आज भी लागू है।

सऊदी में शराब की बिक्री, उपभोग पर सख्त कानून

सऊदी कानून इस्लामी शरिया पर आधारित है, जहां शराब को हराम माना जाता है। 1952 में लगे बैन के बाद अब आम नागरिकों के लिए शराब की बिक्री, खरीद या उपभोग पर सख्त सजाएं हैं। अगर कोई शराब रखते या पीते पकड़ा जाता है, तो उसे जुर्माना देना पड़ सकता है, जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है, सार्वजनिक रूप से कोड़े खाना हो सकता है और विदेशियों को वापस उनके देश भेजा जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई सऊदी नागरिक शराब बेचते पकड़ा जाए तो उसे 500 या इससे ज्यादा कोड़े मारे जा सकते हैं। विदेशी पर्यटक या निवासी एयरपोर्ट पर शराब लाते पकड़े गए तो जेल हो सकती है।

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सऊदी अरब में अब अमीर विदेशी नागरिक शराब खरीद सकते हैं।

‘आम सऊदी या मुस्लिम शराब नहीं खरीद सकते’

सऊदी अरब में शराब की एकमात्र आधिकारिक दुकान रियाद के डिप्लोमैटिक क्वार्टर में स्थित है। ये दुकान जनवरी 2024 में खुली, और केवल नॉन-मुस्लिम डिप्लोमैट्स और अमीर विदेशी निवासियों के लिए है। आम सऊदी या मुस्लिम यहां से शराब नहीं खरीद सकते। यहां वाइन, बीयर और अन्य तरह की शराब मिलती है, लेकिन इसे खरीदने के लिए डिप्लोमैटिक आईडी दिखानी पड़ती है। ये दुकान शराब के ब्लैक मार्केट को रोकने के लिए खोली गई, जहां पहले एम्बेसी के जरिए शराब की सप्लाई होती रहती थी। बता दें कि सऊदी में ब्लैक मार्केट में शराब मिलती रहती है, लेकिन पकड़े जाने पर खतरा भी बड़ा है और आरोपियों को सख्त सजा झेलनी पड़ती है।

अन्य शहरों में भी शराब की दुकान खोलने की योजना

अब सवाल ये कि सऊदी ने हाल में शराब के नियमों में छूट क्यों दी है? दरअसल, 2024 और 2025 में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले ये दुकान सिर्फ डिप्लोमैट्स के लिए थी, लेकिन अब नॉन-मुस्लिम विदेशी निवासियों को भी एक्सेस मिल रहा है। ऐसे निवासी जो प्रीमियम रेसिडेंसी रखते हैं या महीने में कम से कम 50,000 रियाल (करीब 12 लाख रुपये) कमाते हैं वे सऊदी अरब की इकलौती शराब की दुकान से शराब खरीद सकते हैं। वहीं, कुछ अन्य शहरों में भी शराब की दुकान खोलने की योजना है। दरअसल, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान विजन 2030 के तहत टूरिज्म और एंटरटेनमेंट को बढ़ाना चाहते हैं और यही वजह है कि कई चीजों में ढील दी जा रही है।

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सऊदी अरब ‘विजन 2030’ के तहत अब कई चीजों में लगातार ढील देता जा रहा है।

कई रूढ़िवादी व्यवस्थाओं को पीछे छोड़ रहा सऊदी

ये बदलाव दिखाते हैं कि सऊदी अरब धीरे-धीरे बाकी दुनिया के साथ भी कदमताल मिलाने की कोशिश कर रहा है और कई रूढ़िवादी व्यवस्थाओं को पीछे छोड़ रहा है। हालांकि इस मुल्क में शराब अभी भी आम लोगों के लिए बैन है, और सजाएं सख्त हैं क्योंकि इसके धार्मिक कारण है। पर ऐसे लोगों को जो दूसरे धर्मों में यकीन रखते हैं, उनके लिए छूट का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है। कहा जा सकता है कि एक राजा के गुस्से से शुरू हुई शराब के बैन की कहानी को ग्लोबलाइजेशन के दौर में एक नया मोड़ दिया जा रहा है।





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