ED Raid  rypto currency investment fraud- India TV Hindi
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ED की कई राज्यों में रेड। (फाइल फोटो)

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने का सपना दिखाकर देश-विदेश के लोगों से करोड़ों की ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने 18 दिसंबर 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली में एक साथ 21 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई M/s 4th Bloc Consultants और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ की गई है।

फर्जी क्रिप्टोकरेंसी निवेश का प्लेटफॉर्म बनाया

ईडी को यह जानकारी कर्नाटक पुलिस की एफआईआर और साझा इनपुट के आधार पर मिली थी। शुरुआती जांच में सामने आया कि आरोपी लोग फर्जी क्रिप्टोकरेंसी निवेश प्लेटफॉर्म बनाकर लोगों को झांसे में ले रहे थे। ये वेबसाइटें असली निवेश प्लेटफॉर्म जैसी दिखाई जाती थीं और बेहद ज्यादा रिटर्न का लालच दिया जाता था।

कैसे दिया जाता था ठगी को अंजाम?

जांच में आरोपियों का जो तरीका सामने आया है, वह किसी मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) स्कीम जैसा था। शुरुआत में कुछ निवेशकों को पैसा वापस देकर भरोसा जीता जाता था, ताकि वे और लोगों को जोड़ें। इसके बाद बड़े पैमाने पर निवेश कराया जाता था।आरोपी सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल करते थे। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देकर लोगों को फंसाया जाता था। इतना ही नहीं, नामी क्रिप्टो एक्सपर्ट्स और मशहूर हस्तियों की तस्वीरें बिना अनुमति के प्रचार में इस्तेमाल की जाती थीं।

क्रिप्टो वॉलेट से हवाला तक

ईडी की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने कई फर्जी क्रिप्टो वॉलेट, विदेशी बैंक खाते और शेल कंपनियां बना रखी थीं। ठगी से जुटाए गए पैसे को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में इकट्ठा किया जाता था। इसके बाद हवाला, फर्जी एंट्री और पीयर-टू-पीयर (P2P) क्रिप्टो ट्रांजैक्शन के जरिए पैसा भारत और विदेशों में घुमाया जाता था। बताया जा रहा है कि यह पूरा खेल साल 2015 से चल रहा था। कमाए गए अवैध पैसे से भारत और विदेशों में चल-अचल संपत्तियां भी खरीदी गईं।

छापेमारी में क्या मिला?

छापेमारी के दौरान ईडी को आरोपियों की कई संपत्तियों का पता चला है। इसके अलावा कुछ ऐसे क्रिप्टो वॉलेट एड्रेस भी सामने आए हैं, जिनका इस्तेमाल अपराध की कमाई को रखने और आगे इस्तेमाल करने में किया गया। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कई आरोपी विदेशों में गुप्त बैंक खाते और कंपनियां चला रहे थे, ताकि काले धन को सफेद किया जा सके।

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