
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इस ऑपरेशन के दौरान 4 ही दिन में पाकिस्तान घुटनों पर आ गया था। भारतीय सेना के इस पराक्रम की चर्चा पूरी दुनिया में हुई थी। इस ऑपरेशन सिंदूर के वीर टीवी पर पहली बार सामने आए हैं। इंडिया टीवी के खास प्रोगाम में वीर जवानों ने बताया है कि ऑपरेशन सिंदूर की लड़ाई भारत ने कैसे लड़ी और भारत पाकिस्तान को 4 ही दिन में घुटनों पर कैसे ले आया। आइए जानते हैं कि इस बारे में नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष ने क्या कुछ बताया है।
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष को जानिए
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष को युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने काफी अहम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की और पाकिस्तान की ओर से आने वाले ड्रोन्स और खतरों को पूरी तरह से नाकामयाब किया। भारत के धरती पर घुसते ही उन्हें तबाह कर दिया। एयर डिफेंस की एक ऐसी दीवार बना दी जिसे भेदना पाकिस्तान के लिए नामुमकिन हो गया। अपने साथियों के साथ मिलकर इन्होंने पाकिस्तान से आने वाले हर खतरे को खत्म किया। इस वीरता के लिए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।
कैसे तबाह किए गए पाकिस्तानी ड्रोन्स?
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष ने बताया कि वह आर्मी डिफेंस रेजिमेंट से हैं। इस रेजिमेंट का मोटो है कि आकाश का कोई भी शत्रु देश के खिलाफ आ रहा हो उसे किसी भी हालत में कामयाब नहीं होने देंगे। आर्मी के पास गन और रडार है और आधुनिक तकनीक वाली आकाश तीर मौजूद है। ये किसी भी एरियल टारगेट का रियल टाइन पिक्चर दिखा देता है। 7 और 8 मई की रात को हमें आकाश तीर द्वारा मैसेज मिला की दुश्मन के कुछ एरियल टारगेट का अटैक होने वाला है। एयरक्राफ्ट और मिसाइल की स्पीड बहुत ज्यादा होती है। टारगेट काफी तेजी से आपकी ओर आएगा। उसी हिसाब से हमें खुद को तैयार करना पड़ता है। जैसे ही हमें मैसेज पास हुआ हमने एरियल टारगेट को रडार पर फॉलो करते रहे। जैसे ही ये हमारे गन की रेंज में आए, कम से कम 10 से 15 ड्रोन एक साथ आ रहे थे। इनमें से 5 ड्रोन को तबाह किया गया, बाकी के ड्रोन खुद वापस चले गए। उस समय हमने अपने AD गन से इतना जबरदस्त फायर किया कि महाभारत में अर्जुन के तीर के जैसे एक दीवार खड़ी कर दी। मेरे अंडर 15 लोग और 2 गन थे।
कैसे काम करता है आकाश तीर?
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष ने बताया कि आकाश तीर हमें मैसेज देता है कि टारगेट इस दिशा में आ रहा है। फिर हमारे रडार टारगेट को लॉक ऑन कर रहा है। जैसे ही टारगेट गन की रेंज में आता है तो हम रडार से या गन पर बैठ कर फायर करते हैं। हम एम्युनेशन बर्बाद नहीं करते, जो भी फायर करते हैं इफेक्टिव करते हैं। हमारे पास जो एडी गन्स हैं वह एक सीधी लाइन बनाता है। इसमें राउंड जलती हुई जाती है, ये राउंड किसी भी टारगेट को चट करता है तो ब्लास्ट हो जाता है। हमारे पास ऐसे भी राउंड हैं जो टारगेट के 10-15 मीटर पहले ही फट सकता है। कोई भी एयरक्राफ्ट या ड्रोन हो उसमें एक टुकड़ा टच होने से ब्लास्ट हो जाता है।
नायब सूबेदार रत्नेश्वर घोष ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से इतने ड्रोन्स आ रहे थे कि मैं एक समय में दो जगहों पर फायर कर रहा था। ताकि एक साथ कई टारगेट को तबाह किया जा सके। अगले दिन हमें 5 ड्रोन्स मिले इनमें से कुछ में पेलोड था। कई ड्रोन्स हथियारों के साथ थे और कई ड्रोन्स सर्विलांस के लिए आ रहे थे।
