
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज PRAGATI (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) की 50वीं मीटिंग का नेतृत्व किया। ये प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारी, परिणाम-आधारित शासन की एक दशक लंबी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये मील का पत्थर बताता है कि कैसे टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड लीडरशिप, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और लगातार केंद्र-राज्य सहयोग ने देश की प्राथमिकताओं को जमीनी स्तर पर मापने योग्य परिणामों में बदला है।
50वीं PRAGATI में की गई समीक्षा
मीटिंग में प्रधानमंत्री ने सड़क, रेलवे, बिजली, जल संसाधन और कोयला सहित अलग-अलग क्षेत्रों में 5 महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की। ये परियोजनाएं 5 राज्यों में फैली हुई हैं, जिनकी कुल लागत 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
पीएम श्री योजना की समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पीएम श्री योजना को समग्र और भविष्य के लिए तैयार स्कूली शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय बेंचमार्क बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यान्वयन (इम्प्लीमेंटेशन) इंफ्रास्ट्रक्चर-केंद्रित होने के बजाय परिणाम-उन्मुख होना चाहिए। उन्होंने सभी मुख्य सचिवों को पीएम श्री योजना की बारीकी से निगरानी करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि पीएम श्री स्कूलों को राज्य सरकार के अन्य स्कूलों के लिए बेंचमार्क बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि सरकार के सीनियर अधिकारियों को पीएम श्री स्कूलों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए फील्ड विजिट करनी चाहिए।
इस मौके पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मील के पत्थर को पिछले एक दशक में शासन की संस्कृति में भारत द्वारा देखे गए गहरे बदलाव का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब फैसले समय पर होते हैं, समन्वय प्रभावी होता है और जवाबदेही तय होती है, तो सरकारी कामकाज की स्पीड अपने आप ही बढ़ जाती है और इसका प्रभाव सीधे नागरिकों के जीवन में दिखाई देता है।
PRAGATI की शुरुआत
PRAGATI की उत्पत्ति को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अनुशासन, पारदर्शिता और समयबद्ध कार्रवाई के साथ सार्वजनिक शिकायतों को समझने और हल करने के लिए टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड SWAGAT प्लेटफॉर्म (स्टेट वाइड अटेंशन ऑन ग्रीवेंस बाय एप्लीकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी) लॉन्च किया था। उस अनुभव के आधार पर, केंद्र में पदभार संभालने के बाद उन्होंने उसी भावना को PRAGATI के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित किया, जिससे बड़े प्रोजेक्ट्स, प्रमुख कार्यक्रम और शिकायत निवारण एक एकीकृत प्लेटफॉर्म पर समीक्षा, समाधान और फॉलो-अप के लिए आए।
पैमाना और प्रभाव
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में PRAGATI के नेतृत्व वाले इकोसिस्टम ने 85 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स को गति देने में मदद की है और बड़े पैमाने पर प्रमुख कल्याणकारी कार्यक्रमों के जमीनी कार्यान्वयन में सहायता की है। 2014 से, PRAGATI के तहत 377 प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की गई है और इन प्रोजेक्ट्स में 3162 पहचानी गई समस्याओं में से 2958- यानी लगभग 94 प्रतिशत को हल किया गया है, जिससे देरी, लागत में बढ़ोतरी और कोऑर्डिनेशन की विफलताएं काफी कम हुई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, PRAGATI की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सुधार की गति को बनाए रखने और डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए PRAGATI जरूरी है।
लंबे समय से अटके प्रोजेक्ट्स को शुरू करना
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से, सरकार ने डिलीवरी और जवाबदेही को संस्थागत बनाने के लिए काम किया है। इससे एक ऐसा सिस्टम बना है जहां लगातार फॉलो-अप के साथ काम किया जाता है और समय सीमा और बजट के भीतर पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि जो प्रोजेक्ट पहले शुरू किए गए थे लेकिन अधूरे छोड़ दिए गए थे या भुला दिए गए थे, उन्हें राष्ट्रीय हित में फिर से शुरू किया गया और पूरा किया गया।
कई प्रोजेक्ट्स जो दशकों से अटके हुए थे, उन्हें PRAGATI प्लेटफॉर्म के तहत लिए जाने के बाद पूरा किया गया या निर्णायक रूप से शुरू किया गया। इनमें असम में बोगीबील रेल-कम-रोड ब्रिज शामिल है, जिसकी कल्पना पहली बार 1997 में की गई थी; जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक, जहां काम 1995 में शुरू हुआ था; नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसकी अवधारणा 1997 में की गई थी; भिलाई स्टील प्लांट का आधुनिकीकरण और विस्तार, जिसे 2007 में मंजूरी मिली थी; और गाडरवारा और LARA सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स, जिन्हें क्रमशः 2008 और 2009 में मंजूरी दी गई थी। ये परिणाम लगातार उच्च-स्तरीय निगरानी और अंतर-सरकारी समन्वय के प्रभाव को दर्शाते हैं।
साइलो से टीम इंडिया तक
प्रधानमंत्री ने बताया कि प्रोजेक्ट सिर्फ इरादे की कमी से फेल नहीं होते। कई प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेशन की कमी और साइलो-आधारित कामकाज के कारण फेल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि PRAGATI ने सभी स्टेकहोल्डर्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाकर, एक साझा नतीजे के लिए मिलकर काम करके इस समस्या को हल करने में मदद की है।
उन्होंने PRAGATI को सहकारी संघवाद का एक प्रभावी मॉडल बताया, जहां केंद्र और राज्य एक टीम के रूप में काम करते हैं और मंत्रालय और विभाग समस्याओं को हल करने के लिए साइलो से आगे बढ़कर सोचते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी शुरुआत से अब तक, भारत सरकार के लगभग 500 सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों ने PRAGATI बैठकों में हिस्सा लिया है। उन्होंने उनकी भागीदारी, प्रतिबद्धता और जमीनी स्तर की समझ के लिए उन्हें धन्यवाद दिया, जिसने PRAGATI को एक रिव्यू फोरम से एक असली समस्या-समाधान प्लेटफॉर्म में बदलने में मदद की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित किए हैं, जिसमें सभी सेक्टरों में लगातार निवेश किया गया है। उन्होंने हर मंत्रालय और राज्य से योजना से लेकर कार्यान्वयन तक पूरी चेन को मजबूत करने, टेंडर से लेकर जमीनी स्तर पर डिलीवरी तक की देरी को कम करने का आह्वान किया।
सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन
50वीं PRAGATI समीक्षा में प्रधानमंत्री ने अगले चरण के लिए स्पष्ट उम्मीदें साझा कीं और सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के अपने विजन को बताते हुए कहा, “सरल बनाने के लिए सुधार, डिलीवर करने के लिए प्रदर्शन, प्रभाव डालने के लिए परिवर्तन।” उन्होंने कहा कि सुधार का मतलब प्रक्रिया से समाधान की ओर बढ़ना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और सिस्टम को जीवन जीने में आसानी और व्यापार करने में आसानी के लिए अधिक अनुकूल बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन का मतलब समय, लागत और गुणवत्ता पर समान रूप से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिणाम-आधारित शासन PRAGATI के माध्यम से मजबूत हुआ है और अब इसे और गहरा होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बदलाव को इस बात से मापा जाना चाहिए कि नागरिक समय पर सेवाओं, शिकायतों के तेजी से समाधान और जीवन जीने में बेहतर आसानी के बारे में वास्तव में कैसा महसूस करते हैं।
PRAGATI और विकसित भारत 2047 की यात्रा
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत 2047 एक राष्ट्रीय संकल्प और एक समय-सीमा वाला लक्ष्य दोनों है, और PRAGATI इसे हासिल करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है। उन्होंने राज्यों को विशेष रूप से सामाजिक क्षेत्र के लिए मुख्य सचिव स्तर पर इसी तरह के PRAGATI जैसे तंत्र को संस्थागत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। PRAGATI को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट जीवन चक्र के हर चरण में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने ये कहते हुए अपनी बात खत्म की कि PRAGATI की 50वीं मीटिंग सिर्फ एक मील का पत्थर नहीं है, ये एक प्रतिबद्धता है। तेज एग्जीक्यूशन, बेहतर क्वालिटी और नागरिकों के लिए मापने योग्य नतीजों को पक्का करने के लिए आने वाले सालों में PRAGATI को और मजबूत किया जाना चाहिए।
