
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (दाएं) UAE के शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान (दाएं)
Saudi Arabia And UAE Conflict: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच यमन को लेकर टकराव बढ़ गया है। संयुक्त अरब अमीरात ने ऐलान किया है कि वह सऊदी अरब से अपने सैनिक वापस बुला लेगा। UAE ने यह ऐलान इस वजह से किया है क्योंकि सऊदी अरब ने यमन के पोर्ट शहर मुकल्ला पर बमबारी की है। बमबारी के दौरान कथित तौर पर UAE से आए हथियारों की खेप को निशाना बनाया गया था।
सऊदी अरब और UAE में बिगड़े हालात
यमन के मुकल्ला पर हुई बमबारी के बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में बिगड़े संबंधों का असर इस्लामिक देशों पर भी पड़ेगा। चलिए ऐसे में समझते हैं कि सऊदी अरब और UAE में बिगड़े हालात का इस्लामिक देशों पर क्या असर पड़ेगा। ऊदी अरब और UAE में टकराव ना केवल यमन के आंतरिक संघर्ष को गहरा सकता है, बल्कि व्यापक इस्लामिक दुनिया पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
सऊदी अरब और UAE के हित हुए अलग
यमन में सिविल वॉर 2014 से जारी है, जब हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था। हूतियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जबकि सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2015 में हस्तक्षेप किया, जिसमें UAE एक प्रमुख भागीदार था। इस गठबंधन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार को बहाल करना था। हालांकि, समय के साथ UAE और सऊदी अरब के हित अलग-अलग हो गए।
खुलकर सामने आए मतभेद
संयुक्त अरब अमीरात ने दक्षिणी यमन में साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) जैसे समूहों को समर्थन दिया, जो दक्षिणी यमन की स्वतंत्रता की मांग करते हैं। वहीं, सऊदी अरब एक एकीकृत यमन का पक्षधर रहा है, क्योंकि दक्षिणी अलगाववाद उसकी सीमाओं को खतरे में डाल सकता है। 2025 में यह मतभेद खुलकर सामने आ गए।
क्या है सऊदी अरब का आरोप?
सऊदी अरब ने संयुक्त अरब अमीरात पर STC को उकसाने का आरोप लगाया कि वो सऊदी सीमाओं की ओर बढ़ रहे हैं। मुकल्ला हमले में सऊदी ने दावा किया कि उन्होंने UAE से आने वाले हथियारों को नष्ट किया, हालांकि UAE ने इस आरोप से इनकार किया। इस घटना ने दोनों देशों के बीच वर्षों से सुलगते तनाव को उजागर कर दिया है।
दक्षिणी यमन में भड़क सकता है गृहयुद्ध
ताजा बने हालातों को लेकर कहा जा सकता है कि, टकराव दक्षिणी यमन में गृहयुद्ध को दोबारा भड़का सकता है, जो हूतियों को मजबूत करेगा और पड़ोसी देशों में फैल सकता है। UAE की सेनाएं वापस लौटती हैं तो सऊदी गठबंधन कमजोर हो सकता है, लेकिन STC जैसे समूहों का समर्थन जारी रहने की संभावना है, जो टकराव को लंबा खींच सकता है।
इस्लामिक देशों पर संभावित प्रभाव
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच टकराव केवल यमन तक सीमित नहीं रहेगा। यह व्यापक इस्लामिक दुनिया को प्रभावित कर सकता है। खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) में दरार देखने को मिल सकती है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात GCC के 2 प्रमुख सदस्य हैं, जो पारंपरिक रूप से एकजुट रहे हैं। इस टकराव से GCC की एकता कमजोर हो सकती है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को प्रभावित करेगा। अन्य सदस्य जैसे कुवैत, ओमान और बहरीन मध्यस्थता की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन अगर विवाद बढ़ा तो GCC का विघटन संभव है।
ईरान को होगा लाभ, ये देश होंगे प्रभावित
हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है। सऊदी-UAE गठबंधन की कमजोरी से ईरान को फायदा मिलेगा। यह सुन्नी-शिया विभाजन को गहरा सकता है, जो इराक, सीरिया और लेबनान जैसे देशों में पहले से मौजूद है। पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया जैसे गैर-अरब मुस्लिम देशों में भी यह ध्रुवीकरण बढ़ा सकता है, जहां ईरान के साथ संबंध पहले से जटिल हैं। विवाद पड़ोसी देशों जैसे ओमान और जिबूती में फैल सकता है, जहां यमन की अस्थिरता पहले से प्रभाव डाल रही है। लाल सागर में व्यापार मार्ग प्रभावित हो सकते हैं, जो मिस्र, सूडान और जॉर्डन जैसे इस्लामिक देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा। इसके अलावा, कतर जैसे देश, जो पहले UAE-सऊदी ब्लॉक से अलग हुए थे, इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।
व्यापक मुस्लिम दुनिया पर प्रभाव
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे मंचों में यह विवाद चर्चा का विषय बन सकता है, जो मुस्लिम देशों की एकता को चुनौती देगा। इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नाइजीरिया जैसे दूरस्थ मुस्लिम-बहुल देशों में यह मानवीय संकट (जैसे शरणार्थी प्रवाह) को बढ़ा सकता है, जो पहले से यमन युद्ध से प्रभावित हैं। आर्थिक रूप से, तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव से सऊदी और UAE पर निर्भर देश प्रभावित होंगे। यह दरार गहरी हुई तो दशकों पुराने गठबंधनों को तोड़ सकती है।
यह भी पढ़ें:
पाकिस्तान में बढ़ा सियासी बवाल, इमरान खान की बहन अलीमा को पुलिस ने किया गिरफ्तार
