China Opened Secret PS in America, FBI Worried:दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ( FBI) भी चीन की चाल से चकमा खा गई है। दरअसल चीन ने अमेरिका के कई शहरों में गुप्त पुलिस स्टेशन खोल दिया है। हैरानी की बात है कि एफबीआइ को इस बारे में पता ही नहीं चल पाया…और अब जानकारी हुई तो एफबीआइ के होश उड़ गए हैं कि भला यह कैसे हो सकता है। विश्व की कई अन्य खुफिया एजेंसियों ने भी अमेरिका में चीनी खुफिया स्टेशन खोले जाने की पुष्टि की है। इससे जो बाइडन के खेमे में खलबली मच गई है। आखिर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका में ऐसा क्या करने वाले हैं, जिससे कि उन्होंने अपना सीक्रेट पुलिस स्टेशन अमेरिका में खोल दिया है।
अमेरिका में गुप्त चीनी पुलिस थानों की रिपोर्ट मिलने से एफबीआइ निदेशक क्रिस्टोफर रे के भी होश उड़ गए हैं। उनका कहना है कि एफबीआइ न्यूयॉर्क में ऐसे स्टेशनों की मौजूदगी की जांच कर रही है, जो संप्रभुता का उल्लंघन कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका चीनी सरकार द्वारा अमेरिकी शहरों में अनधिकृत “पुलिस स्टेशन” स्थापित करने के बारे में गहराई से चिंतित है। एफबीआइ अब इस दिशा में संभावित ऑपरेशन चलाएगा।
एफबीआइ को चीन की चुनौती
अमेरिका में गुप्त पुलिस स्टेशन खोलकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सीधे तौर पर अमेरिका की एफबीआइ और राष्ट्रपति जो बाइडन को चुनौती दे दी है। यह अमेरिका की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा भी है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया में खुद को सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी बताने वाली एफबीआइ भी चीन की इस साजिश के सामने फेल हो गई। उसे इस बारे में पहले कुछ पता ही नहीं चला और अब जानकारी हुई तो उसके होश उड़ गए। इस बात का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि क्रिस्टोफर रे कहते हैं “मैं इस बारे में बहुत चिंतित हूं। रे ने अमेरिकी सीनेट की मातृभूमि सुरक्षा और सरकारी मामलों की समिति की सुनवाई में कहाकि हम इन स्टेशनों के अस्तित्व के बारे में जानते हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर एफबीआइ के इन्वेस्टीगेशन वर्क को स्वीकार किया, लेकिन इस बारे में विवरण देने से इनकार कर दिया।
चीन ने किया संप्रभुता का उल्लंघन
क्रिस्टोफर रे कहते हैं कि ..मेरे लिए यह सोचना अपमानजनक है कि चीन न्यूयॉर्क में पुलिस शॉप स्थापित करने का प्रयास करेगा, वह भी बिना किसी समन्वय के। यह सरासर अमेरिका की संप्रभुता का उल्लंघन करता है और मानक न्यायिक व कानून प्रवर्तन सहयोग प्रक्रियाओं को दरकिनार करता है। रिपब्लिकन सीनेटर रिक स्टॉक ने पूछा कि क्या ऐसे चीनी स्टेशन अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन करते हैं?..इस पर क्रिस्टोफर ने कहा कि एफबीआइ कानूनी मापदंडों को देख रहा है।
अमेरिका ही नहीं चीन ने इन देशों में भी खोल दिए गुप्त पुलिस स्टेशन
यूरोप स्थित मानवाधिकार संगठन सेफगार्ड डिफेंडर्स ने सितंबर में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें न्यूयॉर्क सहित दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों में दर्जनों चीनी पुलिस “सर्विस स्टेशनों” की मौजूदगी का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये स्टेशन कुछ चीनी नागरिकों या विदेश में उनके रिश्तेदारों पर आपराधिक आरोपों का सामना करने के लिए चीन लौटने का दबाव बनाने के बीजिंग के प्रयासों का विस्तार थे। इसने उन्हें चीन के संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग की गतिविधियों से भी जोड़ा। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी निकाय विदेशों में अपना प्रभाव और प्रचार प्रसार करने व वहां की खुफिया सूचनाओं को जुटाने के लिए ऐसा कर रही है। ग्रेग मर्फी और माइक वाल्ट्ज सहित अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन ने अक्टूबर में न्याय विभाग को पत्र भेजकर पूछा कि क्या राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन ऐसे स्टेशनों की जांच कर रहा है और तर्क दे रहा है कि उनका इस्तेमाल चीनी मूल के अमेरिकी निवासियों को डराने के लिए किया जा सकता है। इस बारे में चीन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
क्या है चीन का मकसद
अमेरिका ऐसा पहला देश नहीं है, जहां चीन की ओर से गुप्त पुलिस स्टेशन खोले जाने का यह मामला सामने आया हो, इससे पहले नीदरलैंड में भी इस तरह के पुलिस स्टेशनों को खोले जाने की बात सामने आई थी। हालंकि तब चीन के विदेश मंत्रालय ने डच अधिकारियों द्वारा जांच के बाद नीदरलैंड में ऐसे स्टेशन होने से इनकार किया था। चीन ने कहा कि चीनी नागरिकों को दस्तावेजों को नवीनीकृत करने में मदद करने के लिए ऐसे कार्यालय खोले गए थे। वहीं एफबीआइ के निदेशक रे ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी सरकार को चीनी नेता शी जिनपिंग से असहमत लोगों को परेशान करने, उनका पीछा करने, निगरानी करने और ब्लैकमेल करने से जुड़े कई अभियोग लगाए हैं।
एफबीआइ आगे क्या करेगा
किस्टोफर रे ने कहा कि “यह एक वास्तविक समस्या है और कुछ ऐसा है जिसके बारे में हम अपने विदेशी भागीदारों के साथ भी बात कर रहे हैं, क्योंकि हम एकमात्र देश नहीं हैं जहाँ ऐसा हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने सात चीनी नागरिकों के खिलाफ अक्टूबर में आपराधिक आरोपों को हटा दिया, जिन पर चीनी सरकार द्वारा उनमें से एक को चीन वापस भेजने के प्रयास में एक अमेरिकी निवासी और उसके परिवार के खिलाफ निगरानी और उत्पीड़न अभियान छेड़ने का आरोप लगाया गया था। यह न्याय विभाग का नवीनतम मामला था, जिसमें विदेशों में उन लोगों को ट्रैक करने के चीन के प्रयास को लक्षित किया गया था, जिन्हें बीजिंग आपराधिक संदिग्ध कहता है, जिसे “ऑपरेशन फॉक्स हंट” के रूप में जाना जाता है।