महाराष्ट्र में मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। महाराष्ट्र में अब सभी सरकारी, अर्धसरकारी और नगर निगम कार्यालयों में मराठी बोलना अनिवार्य कर दिया गया है। मराठी भाषा में बोलने के लिए दफ़्तर में साइन बर्ड लगाने होंगे। वहीं, जानकारी के मुताबिक, सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटर की-बोर्ड भी मराठी भाषा में होंगे।
मना करने वालों पर होगा एक्शन
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा का इस्तेमाल न करने वालों के खिलाफ एक्शन की भी तैयारी है। जानकारी के मुताबिक, मराठी भाषा का इस्तेमाल करने से मना करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है।
मराठी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए AI की जरूरत
इससे पहले बीते शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में तीसरे विश्व मराठी सम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने मराठी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए AI का लाभ उठाने की जरूरत को रेखांकित किया था। उन्होंने इस बात को सुनिश्चत करने का निर्देश दिया था कि आने वाली पीढ़ियों को महान मराठी लेखकों की कृतियां सुलभ हो सके। इस दौरान उन्होंने एआई का उपयोग करके एक छोटा भाषा मॉडल विकसित करने का निर्देश दिया था।
मराठी स्वराज की आधिकारिक भाषा बनी थी- सीएम
बीते साल केंद्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था। इस पर सीएम फडणवीस ने कहा कि शास्त्रीय भाषा की मान्यता मिलने से मराठी को उसका उचित स्थान मिला है। सीएम ने कहा कि हमारी भाषा हमेशा से शास्त्रीय रही है, लेकिन आधिकारिक मान्यता महत्वपूर्ण है। सीएम फडणवीस ने इतिहास को याद करते हुए कहा कि जब मुगलों ने फारसी को इस देश की ‘राजभाषा’ बनाया, तो छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठी को स्वराज की आधिकारिक भाषा बनाया। उन्होंने ही मराठी को शाही मान्यता दिलाई।