Explainer: मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए पीएम, जानिए भारत के लिए कैसा रहेगा रुख?


मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए पीएम
Image Source : AP
मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए पीएम

India Canada Relations: कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने ‘बैंक ऑफ कनाडा’ के पूर्व प्रमुख मार्क कार्नी को अपना नेता चुना है और अब वह देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब कनाडा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ वॉर’ और विलय की धमकियों का सामना कर रहा है। कार्नी (59) प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का स्थान लेंगे जिन्होंने जनवरी में पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। 

चुनौतियों से घिरा है कनाडा

कनाडा फिलहाल खाद्य और आवास की कीमतों में वृद्धि समेत आव्रजन की समस्या सहित कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। अब ऐसे में मार्क कार्नी के हाथ में कनाडा की कमान जाने से किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे यह जल्द ही साफ हो जाएगा। वैसे कार्नी अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अभी से सख्त नजर आ रहे हैं। अमेरिका और ट्रंप को लेकर मार्क कार्नी ने क्या कहा है यह तो हम आपको बताएंगे साथ ही साथ ही इस बात पर भी नजर डालेंगे कि कनाडा के पीएम की कुर्सी पर कार्नी का आना भारत के लिए किस तरह से अहम है। भारत को लेकर कार्नी का स्टैंड जस्टिन ट्रूडो से कितना अलग हो सकता है चलिए इस बारे में जानते हैं।

भारत और कनाडा के रिश्तों की नई शुरुआत?

सबसे पहले बात भारत की करते हैं। मार्क कार्नी का पीएम बनना भारत और कनाडा के रिश्तों में एक नई शुरुआत दिशा तय कर सकता है। कार्नी ने पीएम चुने जाने से पहले ही भारत के साथ संबंध अच्छे करने की बात कही है। कार्नी ने हाल ही में कहा था कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेंगे। अब ऐसे में संदेश साफ है कि कनाडा में सत्ता बदलने के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते सामान्य होंगे और बेहतरी की तरफ बढ़ेंगे। पिछले साल सितंबर में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का ‘संभावित’ हाथ होने का आरोप तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगाया था। ट्रूडो के इस रुख के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

Image Source : AP

मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए पीएम

भारत की अर्थव्यवस्था से परिचित हैं कार्नी

भारत की अर्थव्यवस्था से कार्नी का अच्छी तरह से परिचित होना उनके पक्ष में काम कर सकता है। इस साल जनवरी तक, कार्नी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड के अध्यक्ष थे, जो एक ऐसी फर्म है जिसने भारत में रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में लगभग 30 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। अब ऐसे में कार्नी अच्छे से जानते हैं कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करना दोनों देशों के हित में है।

आर्थिक चुनौतियों से बाहर निकलेगा कनाडा?

भारत के बाद बात अमेरिका की करते हैं साथ ही मार्क कार्नी के बारे में भी जानते हैं।  कार्नी ‘बैंक ऑफ कनाडा’ के पूर्व प्रमुख हैं और ‘बैंक ऑफ इंग्लैंड’ में अहम पद पर सेवाएं दे चुके हैं, माना जाता है कि इन अहम पदों पर रहने के कारण वह देश को आर्थिक चुनौतियों से बाहर निकालने में सफल रहेंगे। खास बात है कि उनके पास हाउस ऑफ कॉमन्स यानी कनाडा की संसद में कोई सीट नहीं है, ऐसे समझिए कि वो सांसद नहीं है। कार्नी कनाडा के इतिहास में हाउस ऑफ कॉमन्स में सीट के बिना केवल दूसरे प्रधानमंत्री होंगे।

कार्नी का अमेरिका को जवाब

मार्क कार्नी ने हाल ही में अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि कोई है जो हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा था, जैसा कि हम जानते हैं डोनाल्ड ट्रंप ने हमारे द्वारा बनाए गए उत्पादों, हमारे द्वारा बेची जाने वाली वस्तुओं और हमारे जीवनयापन के साधनों पर अनुचित शुल्क लगा दिए हैं। वह कनाडाई परिवारों, श्रमिकों और व्यवसायों पर हमला कर रहे हैं लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते। 

Image Source : AP

मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए पीएम

‘अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा कनाडा’

कार्नी ने यह भी कहा था कि कनाडा तब तक जवाबी शुल्क लागू रखेगा जब तक अमेरिकी इसे जारी रखता है। उन्होंने कहा था हमने यह लड़ाई शुरू नहीं की लेकिन जब कोई तंग करता है तो कनाडा के लोग उसे छोड़ते भी नहीं हैं। कार्नी ने यह भी कहा था कि  अमेरिकी हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारी जमीन, हमारा देश चाहते हैं। जरा सोचिए। अगर वो सफल हो गए तो वो हमारी जीवन शैली को नष्ट कर देंगे। उन्होंने कहा था, ”अमेरिका कनाडा नहीं है और कनाडा कभी भी किसी भी तरह से, आकार या रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा।” 

कार्नी के नेतृत्व की परीक्षा

वैसे देखने वाली बात यह भी है कि कनाडा में इसी साल अक्टूबर में आम चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह कार्नी के नेतृत्व की परीक्षा भी है। क्या वह भारत के साथ अपने रिश्ते सुधार पाएंगे? क्या वह ट्रंप के सामने टिक पाएंगे? अगले कुछ महीने मार्क कार्नी के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे। 

यह भी पढ़ें:

गजब की रणनीति! जानें कैसे रूस ने कुर्स्क में पीछे से यूक्रेनी सैनिकों पर किया हमला

कराची में अफगानी नागरिकों के साथ हुआ दर्दनाक हादसा, अफगान बस्ती में पसरा मातम





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version