• विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 14वीं सदी में हरिहर और बुक्का ने की थी। तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा यह शहर जल्द ही दक्षिण भारत का प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया था। इसकी भव्यता ने विदेशी यात्रियों को आकर्षित किया। कहा जाता है कि इतने भव्य शहर को 2 भाइयों की गद्दारी ने बर्बाद करके रख दिया। तस्वीर में विजयनगर साम्राज्य का राजचिह्न नजर आ रहा है।

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    विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 14वीं सदी में हरिहर और बुक्का ने की थी। तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा यह शहर जल्द ही दक्षिण भारत का प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया था। इसकी भव्यता ने विदेशी यात्रियों को आकर्षित किया। कहा जाता है कि इतने भव्य शहर को 2 भाइयों की गद्दारी ने बर्बाद करके रख दिया। तस्वीर में विजयनगर साम्राज्य का राजचिह्न नजर आ रहा है।

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    विजयनगर की वास्तुकला अपने समय में बहुत आगे थी। विट्ठल मंदिर, हजारा राम मंदिर और कमल महल जैसी अद्भुत इमारतों ने इसकी शोभा बढ़ाई। मंदिरों में जटिल नक्काशी की गई थी और इनके गोपुरम भव्य हुआ करती थीं। ये संरचनाएं हिंदू धर्म और कला का प्रतीक थीं। विदेशी व्यापारी इन्हें देखकर हैरान रह जाते थे।

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    विजयनगर एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था और अपने जमाने में बीजिंग के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर था। यहां हीरे, मसाले, कपड़े और घोड़ों का व्यापार होता था और दुनियाभर से व्यापारी यहां आया करते थे। बाजारों में सोने-चांदी के सिक्कों की चमक दिखा करती थी।

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    विजयनगर में कला, संगीत और साहित्य का विकास हुआ। कन्नड़, तेलुगु और संस्कृत साहित्य फला-फूला। राजा कृष्णदेवराय ने विद्वानों को संरक्षण दिया। त्योहारों और उत्सवों ने शहर को जीवंत बनाया, लेकिन एक दिन यह सब बर्बाद हो गया।

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    विजयनगर की सैन्य शक्ति अजेय थी क्योंकि इसके पास विशाल सेना, युद्ध हाथी और घोड़े थे। राजा कृष्णदेवराय ने कई युद्ध जीते, लेकिन पड़ोसी सल्तनतों, खासकर बहमनी सल्तनत से लगातार टकराव रहा। आने वाले दिनों में राजा अलीय रामा राय ने अपनी सेना में दो मुस्लिम कमांडरों, गिलानी बंधुओं को नियुक्त किया जो आगे चलकर आत्मघाती साबित हुआ।

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    1565 में तलिकोटा युद्ध विजयनगर के पतन का कारण बना। तलिकोटा युद्ध के दौरान आदिल शाह की सेना से विजयनगर की सेना में आए गिलानी बंधु बहमनी सल्तनतों के साथ मिल गए। युद्ध के बीच में उनका विजयनगर की सेना को छोड़कर दुश्मन के पाले में जाना घातक सिद्ध हुआ। बहमनी सल्तनतों की एकजुट ताकत और गिलानी बंधुओं की धोखेबाजी की वजह से विजयनगर की सेना हार गई।

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    राजा अलीय रामराय को बहमनी सुल्तानों ने मार डाला और पूरा शहर लूट लिया गया। मंदिर, महल नष्ट कर दिए गए और भव्य शहर एक झटके में खंडहर बन गया। इसके खंडहर आज भी इसकी भव्यता की कहानी कहते हैं। हम्पी, जो विजयनगर का हिस्सा था, अब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। आज यह इलाका कर्नाटक में आता है।





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