• फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना उतना आसान नहीं है, जितना सोचा जाता है। सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए दिन-रात खूब मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे कई फिल्मी सितारे हैं, जिनके संर्घष की कहानी आपको रोने पर मजबूर कर देगी। लेकिन, कहते हैं न कि किस्मत पलटने में वक्त नहीं लगता है। ऐसा ही कुछ इस हसीना के भी साथ हुआ था। 19 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने वाली इस हसीना ने कई हिट फिल्में दीं, लेकिन निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रही थी।

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    फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना उतना आसान नहीं है, जितना सोचा जाता है। सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए दिन-रात खूब मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे कई फिल्मी सितारे हैं, जिनके संर्घष की कहानी आपको रोने पर मजबूर कर देगी। लेकिन, कहते हैं न कि किस्मत पलटने में वक्त नहीं लगता है। ऐसा ही कुछ इस हसीना के भी साथ हुआ था। 19 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने वाली इस हसीना ने कई हिट फिल्में दीं, लेकिन निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रही थी।

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    ये एक्ट्रेस कोई और नहीं बल्कि स्मिता पाटिल थी, जिनका जन्म 17 अक्टूबर, 1955 को पुणे में हुआ था। उन्होंने मराठी स्कूल में पढ़ाई की और बाद में मुंबई दूरदर्शन में बतौर मराठी न्यूज एंकर काम किया। उनकी बायोग्राफी ‘स्मिता पाटिल: अ ब्रीफ इनकैनडिसेंस’ में राइटर मैथिली राव ने बॉलीवुड की सुपरस्टार स्मिता पाटिल के बारे में कई खुलासे किए थे।

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    उनके पिता महाराष्ट्र सरकार में मत्री थे और मां एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली स्मिता ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है लेकिन, उनकी पर्सनल लाइफ काफी विवादों में रही। उन्होंने मां की मर्जी के खिलाफ जाकर एक्टर राज बब्बर से शादी थी। इस शादी के बाद उन पर राज बब्बर के घर को तोड़ने तक का आरोप लगा। फिल्म ‘भीगी पलकें’ में काम करने के दौरान राज बब्बर और स्मिता पाटिल में प्यार हो गया था।

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    फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन करने के बाद स्मिता पर डायरेक्टर श्याम बेनेगल की नजर पड़ी और उन्होंने स्मिता को अपनी फिल्म ‘चरणदास चोर’ के लिए साइन कर लिया। 1975 में इस फिल्म की रिलीज के साथ ही स्मिता ने बॉलीवुड डेब्यू किया। स्मिता पाटिल ने अपने 11 साल करियर में 80 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।

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    स्मिता को डिलीवरी के दौरान इन्फेक्शन हो गया था। बेटे प्रतीक बब्बर के पैदा होने के बाद वो घर आ गई थीं। लेकिन जब इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मां बनने के महज 16 दिन बाद महज 31 साल की उम्र में 13 दिसंबर, 1986 को उनकी मौत हो गई।

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    स्मिता की करीब 14 फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज हुई थीं। इसमें ‘मिर्च मसाला’, ‘डांस-डांस’, ‘ठिकाना’, ‘सूत्रधार’, ‘इंसानियत के दुश्मन’, ‘अहसान’, ‘राही’, ‘नजराना’, ‘आवाम’, ‘शेर शिवाजी’, ‘वारिस’, ‘हम फरिश्ते नहीं’, ‘आकर्षण’ और ‘गलियों के बादशाह’ शामिल है।

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    स्मिता ने तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जाता था। जबकि, दो बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। साल 1985 में स्मिता को भारत सरकार ने नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया।





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