भारत के बंटवारे का ऐलान
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भारत के बंटवारे का ऐलान

3 जून का दिन भारत के इतिहास और भूगोल को बदलने वाले दिन के तौर पर इतिहास में दर्ज है। साल 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘3 जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है। 

हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी अंतरिम सरकार

तब देश में दंगे हो रहे थे। केंद्र में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला प्रांतों के पास था। लिहाजा, राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘3 जून योजना’ आई, जिसमें भारत के विभाजन और भारत तथा पाकिस्तान को सत्ता के हस्तांतरण का विवरण था। 

दो स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में विभाजन की घोषणा

भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान के रूप में दो स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में विभाजन की घोषणा की थी। यह योजना ब्रिटिश सरकार की ओर से भारत को स्वतंत्रता देने की अंतिम रणनीति थी। इसके तहत 15 अगस्त 1947 को दोनों देशों को स्वतंत्रता मिली थी।

जानिए माउंटबेटन क्या बोले रेडियो प्रसारण में?

भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को नई दिल्ली से ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से इस ऐतिहासिक घोषणा को प्रसारित किया था। उन्होंने अपने रेडियो प्रसारण में कहा, ‘मैंने भारतीय नेताओं के साथ लंबी चर्चा के बाद यह प्रस्ताव ब्रिटिश सरकार को दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। यह योजना भारत को एकजुट रखने की कोशिशों के बावजूद अपरिहार्य हो गई, क्योंकि मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन सकी।’ 

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भारत के बंटवारे से जुड़े जरूरी फैक्ट

बंटवारे में इन बातों का रखा गया ध्यान

वहीं, विभाजन का आधार पंजाब और बंगाल प्रांतों को धार्मिक आधार पर विभाजित किया जाएगा। विधानसभाओं के हिंदू और मुस्लिम बहुल क्षेत्र अलग-अलग समूहों में मतदान करेंगे। सीमा निर्धारण को लेकर कहा गया कि सिरिल रैडक्लिफ की अध्यक्षता में एक सीमा आयोग गठित किया जाएगा, जो भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं का निर्धारण करेगा।

रियासतों को दिया गया खास विकल्प

रियासतों की स्थिति पर कहा गया कि रियासतों को यह विकल्प दिया गया है कि वे भारत, पाकिस्तान या स्वतंत्र रहना चाहते हैं। इसके साथ ही माउंटबेटन ने स्वतंत्रता की तारीख को जून 1948 से पहले करके 15 अगस्त 1947 निर्धारित की थी, ताकि जल्द से जल्द सत्ता हस्तांतरण हो सके। (पीटीआई के इनपुट के साथ)

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