
सचिवालय के घंटाघर की ऊंचाई बन रही समस्या
पटना: बिहार के पटना से एक बड़ी खबर सामने आई है। पटना में सचिवालय के घंटाघर की काफी अधिक ऊंचाई की वजह से पटना एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की लैंडिंग मे काफी दिक्क़तें होती हैं। इस वजह से 134 मीटर रनवे का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। विमान को साढ़े तीन डिग्री पर लैंडिंग करनी पड़ती है जो सुरक्षा मानक के अनुसार सही नहीं है। यदि घंटाघर की ऊंचाई 17.5 मीटर कम कर दी जाएगी तो विमानों को रनवे पर उतरने में आसानी होगी।
पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर नागरिक सुविधाओं और सुरक्षा मानक को लेकर जिला प्रशासन के साथ एयरपोर्ट अथॉरिटी की हुई एक बैठक में ये बातें रखी गईं। कुछ दिन पहले तक पटना के डीएम रहे और अब पटना के प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. चंदशेखर सिंह की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक में चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि विमानों की सुरक्षा की दृष्टि से यह मामला काफी गंभीर है। इसीलिए सचिवालय के टावर को कम करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा जिस पर सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
घंटाघर की वजह से एयरपोर्ट पर उतरने वाले विमानों को होती है परेशानी
बैठक में एयरपोर्ट के निदेशक ने भी कहा कि वर्तमान में घंटाघर की ऊंचाई 49.5 मीटर है। पटना के सचिवालय के इसी घंटाघर की ऊंचाई की वजह से एयरपोर्ट पर उतरने वाले विमानों को परेशानी होती है। इस कारण 134 मीटर रनवे का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
दरअसल सचिवालय स्थित घंटाघर 1917 में बना था। लंदन और मैनचेस्टर के बिगबेन टावर की तर्ज पर इसे बनाया गया है। तब टावर की ऊंचाई 198 फीट थी। 1934 में बिहार में भूकंप आने पर यह क्षतिग्रस्त हो गया और इसकी ऊंचाई घटकर 184 फीट हो गई। 1924 में टावर में घड़ी लगाई गई।
इस बैठक में पटना के डीएम त्यागराजन एसएम, एसपी ट्रैफिक अपराजित लोहान, नगर निगम के अपर नगर आयुक्त, डीएफओ, एयरपोर्ट के निदेशक, कमान्डिंग ऑफिसर भारतीय वायुसेना बिहटा के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
इसके अलावा पटना एयरपोर्ट के रनवे का 700 मीटर विस्तार भी होगा। बैठक में एयरपोर्ट प्रशासन की तरफ से रनवे विस्तार का मामला उठाया गया। एयरपोर्ट के पश्चिम दिशा में 200 और पूरब में 500 मीटर बढ़ाया जाएगा। रनवे की लंबाई कम होने की वजह से विमानों को लैंड करने में काफी दिक्कतें होती हैं और यात्रियों को काफी झटका महसूस होता है।
प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम को निर्देश दिया कि इस संबंध में जल्द प्रस्ताव तैयार कराया जाए। एयरपोर्ट के पश्चिम में जमीन खाली है जबकि पूरब में चिडियाखाना की लगभग 15 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। एयरपोर्ट के करीब गर्दनीबाग में नगर निगम के डंपिंग यार्ड को भी जल्दी हटाने को कहा गया है। कचरे के कारण यहां आसपास पक्षी मंडराते रहते हैं। इससे विमानों को खतरा रहता है। कई साल पहले पटना के गर्दनीबाग में विमान क्रैश हो चुका है।