डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।
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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रवासियों के बच्चों को मिलने वाले जन्मजात नागरिकता के अधिकार को फिलहाल खत्म नहीं कर पाएंगे। अमेरिका की एक संघीय अपीलीय अदालत ने बुधवार को उनके इस फैसले को असंवैधानिक ठहरा दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अमेरिका में जन्म लेने पर स्वतः नागरिकता मिलने के अधिकार को समाप्त करने की कोशिश संविधान के खिलाफ है। अदालत ने उस निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, जिसने इस आदेश के राष्ट्रव्यापी प्रवर्तन पर रोक लगाई थी।

अब आगे क्या हो सकता है?

बता दें कि यह अहम फैसला 9वीं यू.एस. सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिया। इससे पहले न्यू हैम्पशायर में एक संघीय न्यायाधीश ने भी ट्रंप के उस फैसले पर रोक लगा दी थी। अब अपीलीय अदालत ने निचली कोर्ट के फैसले को बिलकुल सही ठहराया है और रोक को बरकरार रखा है। ऐसे में यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के और करीब आ गया है। 9वीं सर्किट का निर्णय ट्रंप प्रशासन को उस आदेश को लागू करने से रोकता है, जिसके तहत अमेरिका में अवैध रूप से या अस्थायी रूप से रहने वाले लोगों के बच्चों को नागरिकता से वंचित करता है। 

जजों ने टिप्पणी में क्या और कहा?

न्यायाधीशों ने लिखा, “जिला अदालत ने सही ढंग से निष्कर्ष निकाला कि कार्यकारी आदेश की प्रस्तावित व्याख्या अमेरिका में जन्मे कई लोगों को नागरिकता से वंचित करना असंवैधानिक है। हम इस निष्कर्ष से पूर्णतः सहमत हैं।” यह 2-1 का फैसला यू.एस. जिला न्यायाधीश जॉन सी. कॉगनॉर के पिछले फैसले को बरकरार रखता है, जिन्होंने सिएटल में ट्रंप के प्रयास पर रोक लगाई थी और इसे संविधान को राजनीतिक लाभ के लिए नजरअंदाज करने का प्रयास बताया था। हालांकि व्हाइट हाउस और न्याय विभाग ने इस फैसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 

किसने दिया था निचली अदालत के आदेश को चुनौती

यह मामला वॉशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनोइस और ओरेगन जैसे राज्यों द्वारा दायर किया गया था। उनका कहना था कि अगर अमेरिका के सिर्फ आधे हिस्से में जन्मसिद्ध नागरिकता लागू रहेगी, तो इससे गंभीर प्रशासनिक समस्याएं होंगी इसलिए राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञा जरूरी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निचली अदालतों के जजों की राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञा (nationwide injunctions) जारी करने की शक्ति को सीमित किया है, 9वीं सर्किट ने पाया कि यह मामला उन विशेष अपवादों में आता है जो सुप्रीम कोर्ट ने खुले छोड़े हैं। न्यायाधीश माइकल हॉकिंस और रोनाल्ड गॉल्ड  ने लिखा, “हम मानते हैं कि जिला अदालत ने राज्यों को पूर्ण राहत देने के लिए सार्वभौमिक निषेधाज्ञा जारी कर कोई गलती नहीं की।”

 न्यायाधीश पैट्रिक बुमाटाय (ट्रंप द्वारा नियुक्त) ने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि राज्यों के पास मुकदमा करने का कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने लिखा, “हमें किसी भी सार्वभौमिक राहत की मांग पर सावधानी और संदेह के साथ विचार करना चाहिए। ‘पूर्ण राहत’ की मांग को सार्वभौमिक निषेधाज्ञा का छिपा हुआ रास्ता नहीं बनना चाहिए।” हालांकि बुमाटाय ने यह नहीं बताया कि क्या जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करना संविधान के अनुरूप होगा या नहीं।

क्या कहता है अमेरिका का 14वां संशोधन?

संविधान का 14वां संशोधन कहता है कि जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्मा या प्राकृतिक रूप से नागरिक बना है और संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, वह अमेरिकी नागरिक है। न्याय विभाग का तर्क है कि “संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार क्षेत्र का अर्थ है कि सिर्फ जन्मस्थान के आधार पर नागरिकता अपने आप नहीं मिलती। मगर राज्य सरकारों (जैसे वॉशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनोइस, ओरेगन) का कहना है कि यह नागरिकता क्लॉज़ की स्पष्ट भाषा और 1898 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को नजरअंदाज करता है जिसमें कहा गया था कि सैन फ्रांसिस्को में चीनी माता-पिता से जन्मा बच्चा अमेरिकी धरती पर जन्म के कारण यहीं का नागरिक था।

क्या है ट्रंप का आदेश

ट्रंप का आदेश यह दावा करता है कि अगर बच्चे की मां के पास वैध आप्रवासन स्थिति नहीं है या वह अस्थायी रूप से अमेरिका में है और पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं या वैध स्थायी निवासी नहीं है, तो बच्चा नागरिक नहीं माना जाएगा। अमेरिका भर में इस आदेश को लेकर कम से कम 9 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। (एपी)

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