
तेलंगाना हाई कोर्ट में 4 वकीलों को जज के तौर पर नियुक्त किया गया है।
हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट में गुरुवार को 4 नए एडिशनल जजों ने शपथ ग्रहण की है। इनमें गौस मीरा मोहिउद्दीन, चालपति राव सुडासा, वकिति रामकृष्ण रेड्डी और गादी प्रवीण कुमार शामिल हैं। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने एक समारोह में चारों नए जजों को पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति ने 28 जुलाई को इन 4 वकीलों को तेलंगाना हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया था। अतिरिक्त जजों की नियुक्ति 2 साल के लिए होती है, जिसके बाद उन्हें स्थायी जज बनाया जा सकता है।
भारत में वकील से हाई कोर्ट का जज बनने के नियम
भारत में हाई कोर्ट का जज बनने के लिए संविधान और कानून में कुछ साफ नियम तय किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार हाई कोर्ट का जज बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं जरूरी हैं:
- नागरिकता: व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए।
- अनुभव: उम्मीदवार को कम से कम 10 साल तक वकील के रूप में किसी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस का अनुभव होना चाहिए। यह अनुभव एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में मिला-जुला हो सकता है।
- उम्र: हाई कोर्ट के जज की अधिकतम उम्र सीमा 62 साल है। हालांकि, नियुक्ति के समय कोई न्यूनतम उम्र सीमा तय नहीं है, लेकिन अनुभव के आधार पर आमतौर पर वरिष्ठ वकील ही चुने जाते हैं।
- चरित्र और योग्यता: उम्मीदवार का चरित्र और कानूनी ज्ञान उच्च स्तर का होना चाहिए। उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता की जांच की जाती है।
नियुक्ति की क्या है प्रक्रिया?
हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के तहत होती है। इसमें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और वरिष्ठ जजों की एक समिति उम्मीदवारों के नाम सुझाती है। ये नाम सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम (जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और अन्य वरिष्ठ जज शामिल होते हैं) को भेजे जाते हैं। कॉलेजियम की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की मंजूरी से नियुक्ति होती है। अतिरिक्त जजों को पहले 2 साल के लिए नियुक्त किया जाता है, ताकि उनके काम का आकलन हो सके। इसके बाद उन्हें स्थायी जज बनाया जा सकता है। (PTI)