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मुगल बादशाह अकबर की सबसे छोटी बेटी को लोग हरम की तितली कहते थे। उनका नाम शहज़ादी आराम बानू बेगम था। लेकिन उन्हें हरम की तितली, यह नाम उनके चंचल, जीवंत और मुखर स्वभाव के कारण दिया गया था। शहजादी आराम बानू अपनी सुंदरता और पिता के प्रति अपने व्यवहार के लिए जानी जाती थीं।
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आराम बानू बेगम मुगल बादशाह अकबर और उनकी पत्नी बीबी दौलत शाद की सबसे छोटी बेटी थीं। शहजादी तितली की तरह इधर-उधर घूमती रहती थी, जिसकी वजह से वे हरम की तितली नाम से मशहूर हो गई थीं।
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अकबर उनसे बहुत प्यार करते थे और उन्हें प्यार से “लाडली बेगम” कहते थे। आराम बानू गलत बातों के खिलाफ आवाज उठाने से डरती नहीं थीं और अपनी बात स्पष्ट रूप से कहती थीं।
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आराम बानो बेगम बहुत बातूनी थीं, काफी तेज तर्रार स्वभाव की थीं। वाद विवाद होता था तो कई बार वो अपने पिता शहंशाह अकबर के खिलाफ भी चली जाती थीं। लेकिन वो पिता की सबसे प्यारी थीं।
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अकबर के हरम में रहने वाले सभी लोग आराम बेगम को बहुत प्यार करते थे। लोगों को उनकी बातें बहुत अच्छी लगती थीं। अकबर को आराम बानो अपनी आंखों के सामने नहीं दिखती थीं तो वो परेशान हो जाते थे। इसीलिए सभी उन्हें हरम की तितली बुलाते थे।
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कहा जाता है कि अकबर के हरम में पांच हजार महिलाएं थीं। कहा जाता है कि मुगलों के हरम में रहने वाली महिलाओं को बाहर के किसी भी शख्स से संपर्क नहीं रहता था। उन्हें बाहरी दुनिया से किसी तरह का कोई मतलब नहीं रहता था।
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मुगल हरम में बादशाह की पत्नियां, उनके बच्चे, उनकी दासियां और घर के बाकी सदस्य जो महिलाएं होती थीं, वो रहती थीं। हरम में ही बच्चों की परवरिश होती थी।
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मुगलों के दौर में महिलाओं को लेकर सबसे ज्यादा जिसकी होती है वो है उनके हरम की। इतिहासकारों के मुताबिक महिलाओं के लिए ही हरम बनाया गया था और उसमें बादशाह के अलावा किसी और को जाने की इजाजत नहीं थी।