
सीएम योगी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह।
गौतमबुद्धनगर: नोएडा के सेक्टर 80 में राफे एमफाइबर प्राइवेट लिमिटेड के रक्षा उपकरण और इंजन परीक्षण केंद्र का आज उद्घाटन किया गया। इस मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि देश में स्थापित किये जा रहे दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में से एक उत्तर प्रदेश में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसमें रक्षा विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए 12,500 एकड़ भूमि आवंटित की है। सीएम योगी ने कहा कि यूपी में गलियारे को अलीगढ़, कानपुर, आगरा और चित्रकूट समेत छह जिलों में विकसित किया जा रहा है।
शस्त्र और शास्त्र के बीच संतुलन जरूरी
सीएम योगी ने ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र को लखनऊ में स्थापित करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस मिसाइल प्रणाली ने ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।’’ सीएम ने कहा, ‘‘भारत 1947 से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है और इन चुनौतियों का स्वरूप निरंतर बदलता जा रहा है। अगर आपके पास शक्ति है, तो दुनिया आपके सामने झुकती है। यह प्राचीन अवधारणा आज भी प्रासंगिक है।’’ सीएम योगी ने भारत के पारंपरिक ज्ञान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘शस्त्र और शास्त्र के बीच संतुलन होना चाहिए। एक राष्ट्र इस संतुलन से ही शक्तिशाली बनता है, और शक्तिशाली बनने के बाद ही कोई शांति की अपील कर सकता है।’’ उन्होंने शक्ति और साहस के महत्व को रेखांकित करने के लिए महाराणा प्रताप की उक्ति, ‘वीर भोग्या वसुंधरा’ (वीरों को पृथ्वी विरासत में मिलती है) का भी उल्लेख किया।
राजनाथ सिंह ने ड्रोन की भूमिका पर दिया जोर
इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने ड्रोन को आधुनिक युद्ध रणनीति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें युद्ध नीति में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर जब हम ‘एयरक्राफ्ट’ शब्द सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में तेजस, राफेल और लड़ाकू विमानों की तस्वीरें आती हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि ये सभी लड़ाकू विमान हैं। हालांकि, आज के बदलते समय में, ड्रोन इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरे हैं। ड्रोन अब उन क्षेत्रों में भी तैनात किए जा रहे हैं, जहां बड़े उपकरण नहीं पहुंच सकते। यदि आप रूस-यूक्रेन संघर्ष को करीब से देखें, तो आप पाएंगे कि ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है – पहले भी, अब भी और लगातार भी। इससे साबित होता है कि ड्रोन के महत्व को समझना और उन्हें हमारी युद्ध नीति में शामिल करना बेहद जरूरी हो गया है।’’
युद्ध में हो रहा ड्रोन का इस्तेमाल
ड्रोन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “शुरुआती दिनों में इनका इस्तेमाल केवल निगरानी और टोह लेने के लिए किया जाता था। बाद में, कुछ देशों ने लड़ाकू ड्रोन विकसित करना शुरू किया और कई देशों ने सीमा संघर्षों में इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिन देशों ने ड्रोन तकनीक में निवेश किया है, उन्होंने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़त हासिल की है, जबकि कई अन्य पीछे छूट गए हैं। अपने छह से साढ़े छह साल के अनुभव (रक्षा मंत्री के रूप में) से, मैं कह सकता हूं कि आज के रक्षा क्षेत्र की वास्तविकता विमान तकनीक और ड्रोन पर टिकी है।’’ रक्षामंत्री ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमें ड्रोन आयात करने पड़ते थे, लेकिन आज हम उन्हें घरेलू स्तर पर डिजाइन, विकसित और निर्मित कर रहे हैं।’’ (इनपुट- पीटीआई)