
पानी में डूबा कोलकाता
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा से ठीक पहले हुई मूसलाधार बारिश ने राजधानी कोलकाता सहित कई जिलों में कहर बरपाया है। रिकॉर्ड-तोड़ बारिश के बाद कोलकाता में बाढ़ जैसे हालात हैं, जिससे सामान्य जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया है। इस भयानक बारिश और जलभराव की वजह से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 7 की मौत करंट लगने से हुई है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने 25 सितंबर तक सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, दुर्गा पूजा की छुट्टियों का भी समय से पहले ऐलान कर दिया गया है।
कोलकाता की सड़कें बनीं दरिया
कोलकाता में हुई महज कुछ घंटों की बारिश ने शहर की सड़कों को पूरी तरह से जलमग्न कर दिया है। पार्क स्ट्रीट, कैमक स्ट्रीट, जादवपुर यूनिवर्सिटी, साल्ट लेक और बिधाननगर जैसे पॉश और व्यस्त इलाकों में भी घुटनों तक पानी भर गया है। लोगों के घरों, दुकानों और यहां तक कि दुर्गा पूजा के पंडालों में भी पानी घुस गया है, जिससे तैयारियों को भारी नुकसान पहुंचा है।
बारिश का असर इतना गहरा था कि कोलकाता रेलवे स्टेशन और सियालदह स्टेशन पर भी पानी भर गया, जिससे ट्रेनें रोकनी पड़ीं और दर्जनों फ्लाइट्स भी रद्द करनी पड़ीं।
कोलकाता में मॉनसून बना जानलेवा
आंकड़ों में बारिश का प्रकोप
मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोलकाता में औसत से 2663% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। इसी तरह, हावड़ा में औसत से 1006% और 24 परगना में औसत से 857% ज्यादा बारिश हुई है। इस तरह की बारिश बीते 40 सालों में नहीं देखी गई थी।
आगे भी जारी रहेगी बारिश
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्व में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण दक्षिण बंगाल के कई जिलों, जैसे पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, दक्षिण 24 परगना, झारग्राम और बांकुड़ा में भी भारी बारिश की संभावना है। विभाग ने यह भी कहा कि 25 सितंबर के आस-पास एक और नया निम्न दबाव का क्षेत्र बन सकता है, जिससे बारिश का प्रकोप और बढ़ सकता है।
दुर्गा पूजा से पहले पानी से बेहाल कोलकाता
सीएम ममता ने केंद्र को ठहराया जिम्मेदार
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन हालातों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि फरक्का बैराज में ड्रेजिंग (गाद निकालने का काम) न होने की वजह से गंगा नदी में पानी का स्तर बढ़ गया, जिसका सीधा असर कोलकाता पर पड़ा। उनका कहना है कि यह काम केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। ममता बनर्जी ने इस आपदा की तुलना 1978 की प्राकृतिक आपदा से करते हुए कहा कि यह उससे भी बड़ी है। उन्होंने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील भी की।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और लोग इस प्राकृतिक आपदा को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं, मैं उनसे कहूंगी कि ऐसा न करें। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से कई लोगों की मौत हुई। आज भी वहां कई जगहों पर कनेक्टिविटी नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार ने भी आपदाएं झेली, जिन राज्यों से होकर गंगा नदी बहती है उन पर इसका असर बहुत ज्यादा होता है।
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