
मुजाहीदिन आर्मी
खनऊ: उत्तर प्रदेश में मुजाहिदीन आर्मी बनाकर हिंसा फैलाने की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश एटीएस ने किया है। यूपी एटीएस को मुजाहिदीन आर्मी के मास्टरमाइंड रज़ा के पास से एक काली डायरी मिली है जिससे पूरी साजिश का पता चलता है। इस डायरी के हर एक पन्ने के बाद अल्लाह लिखा हुआ है जबकि सातवें पन्ने पर ‘कौम खतरे में’ लिखा हुआ है। वहीं इस काली डायरी में कुछ पन्नों पर कोड वर्ड में शब्द लिखे गए हैं।
हथियारों का इस्तेमाल करना सीखने का आदेश
14 वें पन्ने में उर्दू में कागज़ चिपकाया गया है जिसपर लिखा हुआ है, जिहाद की तैयारी। इसमें सभी मुसलमानों को जिहाद में इस्तेमाल होने वाले हथियारों का इस्तेमाल करना सीखने का आदेश दिया गया है। इसमें संख्या का भी जिक्र किया गया है। यह संख्या है-127
कोडवर्ड में कई संदेश
संदेश को तौर पर सभी वाट्सअप ग्रुप पर भी रज़ा की तरफ से इसे भेजा गया था। डायरी के पन्ने पर सभी ग्रुप मेंबर्स की जानकारी कोडवर्ड में लिखी हुई है जिसको जांच एजेंसी डिकोड कर रही है। डायरी में हर टीम को एक नंबर दिया गया है। नाम की जगह नंबर का जिक्र है।
हिन्दू धर्मगुरुओं के ये खास कोडवर्ड
साथ ही हथियार इकट्ठा करने के लिए कोर्डवर्ड में ‘दावत का इंतज़ाम’ करना लिखा हुआ है। इस किताब में हिन्दू धर्मगुरुओं को काफ़िर का कोडवर्ड दिया गया था। जैसे K यानी काशी से ताल्लुक रखने वाले हिंदू धर्म गुरु और काफिर, M यानी मथुरा में रहनेवाले धर्मगुरु, काफिर, वहीं हरिद्वार से ताल्लुक रखने वाले हिंदू धर्मगुरुओं के लिए h से और ऋषिकेश से ताल्लुक रखने वाले धर्मगुरुओं के लिए r कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता था।
इसी तरह से अलग-अलग शहरों के नाम और हिंदू धर्म गुरुओं का कोड वर्ड लिखा गया था। फिलहाल अभी ये एटीएस को पता नहीं चल पाया है कि ये हिन्दू धर्मगुरु कौन हैं। वहीं मुलाकात करने की जगह को लाइब्रेरी का कोड दिया गया था। इस ऑपरेशन के लिए पैसे एकाउंट में आने पर रोशनी आ गयी का कोड वर्ड प्रयोग होता था। ये सभी कोड वर्ड वाट्सअप ग्रुप के कुछ मेंबर्स को ही दिए गए थे जो डायरी में लिखे मिले है।
अलग-अलग शहरों में जिहाद के लिए उकसाया
टीएनआरएफएफ व तब्लीक तहरीक नाम के बने ग्रुपों में भी कट्टरपंथियों को जोड़ा गया था, जिनके माध्यम से अलग-अलग शहरों में जिहाद के लिए युवकों को उकसाया जा रहा था। ग्रुप में जुड़ने के लिए जिहाद के लिए कुछ भी कर गुजरने का प्रमाण देना होता था। इन ग्रुपों से जुड़े कट्टरपंथियों के माध्यम से ही सरगना रजा के खाते में चंदे के रूप में रकम पहुंचाई जा रही थी, जिसे हिंसा के लिए उपयोग किए जाने की योजना थी।
पाकिस्तानी संगठनों से जुड़कर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के इरादे से रजा अपने नेटवर्क को बढ़ाने में लगा था। आरोपियों के मोबाइल से कई पाकिस्तानी नंबर भी मिले हैं जिन्हें लेकर भी छानबीन की जा रही है। हिंदू धार्मिक नेताओं को निशाना बनाने के लिए कुछ युवकों को खास प्रशिक्षण दिलाए जाने की बात भी सामने आई है, एटीएस इन सभी तथ्यों को verify कर रही है।