सोशल मीडिया तनाव और चिंता- India TV Hindi
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सोशल मीडिया तनाव और चिंता

आज की आधुनिक जीवन शैली हमारे लिए काफी ज्यादा सुविधाजनक हो गई है। आधुनिक जीवनशैली ने हमारे जीने के तरीके को काफी आसान बना दिया है इंटरनेट , सोशल मीडिया,  स्मार्टफोन, ऑनलाइन काम, ने हमे काफी ज्यादा सशक्त बनाया है, लेकिन यही सुविधाजनक जीवन हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल रही है। यानी आधुनिक जीवन शैली के कारण बीते कुछ सालों में डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारी तेजी से बढ़े हैं। गुरुग्राम में स्थित आर्टेमिस लाइट एनएफसी अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार एवं मनोचिकित्सा प्रमुख, डॉ. राहुल चंडोक से जानते हैं कि कैसे आधुनिक जीवन शैली डिप्रेशन का खतरा बढ़ा रही है।

डिजिटल मीडिया है सबसे बड़ा कारण:

  • दूसरों से तुलना: आधुनिक जीवनशैली में हर व्यक्ति किसी न किसी लक्ष्य को पानी में लगा हुआ है। कुछ लोग खूब तरक्की कर रहे हैं, उन चीजों को सोशल मीडिया पर साझा भी कर रहे हैं, ऐसे में जब कोई व्यक्ति उन चीजों को देखा है तो इससे तनाव बढ़ता है। सोशल मीडिया पर दूसरों से तुलना करने की प्रवृत्ति भी आत्म सम्मान को प्रभावित करती है और तनाव बढ़ाती है।
  • डिजिटल निर्भरता: हमारी डिजिटल निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गई है। स्मार्टफोन सोशल मीडिया और लगातार नोटिफिकेशन हमारे दिमाग को लगातार सक्रिय रखते हैं। इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घटती है और दिमाग को शांति का समय नहीं मिल पाता है।

  • सोशल मीडिया पर एक्टिव: सोशल मीडिया पर हमेशा अपडेट और एक्टिव रहना आधुनिक जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। हमेशा ऑनलाइन रहने की आदत दिमाग को कभी आराम नहीं देती। इससे मानसिक थकान और तनाव बढ़ता है।

ये अन्य वजहें भी बनती हैं डिप्रेशन की वजह:

  • नींद की कमी: नींद की कमी, आधुनिक जीवन शैली में हम देर रात तक काम करते हैं या मोबाइल चलाते हैं। जब शरीर को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाता है, तो हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे मूड स्विंग्स , चिड़चिड़ापन और चिंता बढ़ती है।

  • खराब डाइट: आधुनिक जीवनशैली में अक्सर हम जंक फूड, कैफीन को ज्यादा तवज्जो देते हैं, इससे भी शरीर में तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ता है, वहीं हर चीज हमारे एक कदम दूर हो गया है, इस वजह से हमारी शारीरिक सक्रियता भी काम हो गई है।  जब हम शारीरिक तौर से कम सक्रिय होते हैं तो हमारे शरीर से हैप्पी हार्मोन घटता है। मन उदास रहने लगता है। इससे डिप्रेशन जैसी बीमारी हो सकती है।

  • सामाजिक अलगाव: रिश्ते में दूरी और सामाजिक अलगाव भी एक बड़ी वजह है। आजकल लोग डिजिटल तौर पर लोगों से जुड़े हुए हैं, लेकिन भावनात्मक रूप से पहले से ज्यादा अकेले हैं। अकेलापन धीरे-धीरे मानसिक तनाव को बढ़ाता है।

कैसे करें डिप्रेशन से बचाव?

डिप्रेशन से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाएँ।  डाइट अच्छी करें। अच्छे खानपान का असर हमारी सेहत पर भी दिखता है। नियमित व्यायाम करें। रोजाना कम से कम आधे घंटे की वॉक करें। दिन में कम से कम 8 से 9 घंटे की पर्याप्त नींद लें। सबसे ज़रूरी डिजिटल डिटॉक्स को अपनी जीवनशैली में शामिल करें। 

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